Bangladesh Violence / बांग्लादेश में 12 दिन में तीसरे हिंदू की हत्या: कपड़ा फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड को साथी ने गोली मारी

बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में एक कपड़ा फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड बजेंद्र बिस्वास की गोली मारकर हत्या कर दी गई। आरोपी साथी गार्ड नोमान मिया गिरफ्तार। यह 12 दिनों में तीसरे हिंदू की हत्या है। इससे पहले अमृत मंडल और दीपू चंद्र दास की भी हत्या हुई थी, जिसमें दीपू की हत्या ईशनिंदा के झूठे आरोप में हुई थी।

बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है। हाल ही में मैमनसिंह जिले की एक कपड़ा फैक्ट्री में एक हिंदू कर्मचारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जो पिछले 12 दिनों में बांग्लादेश में किसी हिंदू की हत्या की तीसरी घटना है और यह घटना देश में अल्पसंख्यक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है और व्यापक अशांति के माहौल को दर्शाती है।

मैमनसिंह में सिक्योरिटी गार्ड की हत्या

यह दुखद घटना सोमवार शाम करीब 6:45 बजे भालुका उपजिला स्थित सुलताना स्वेटर्स लिमिटेड फैक्ट्री के परिसर में हुई। मृतक की पहचान 42 वर्षीय बजेंद्र बिस्वास के रूप में हुई है, जो फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड के पद पर कार्यरत थे। इस मामले में पुलिस ने 29 वर्षीय नोमान मिया नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो बजेंद्र बिस्वास का साथी स्टाफ था और उसी फैक्ट्री में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात था। पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों से मिली जानकारी के अनुसार, घटना के समय बजेंद्र बिस्वास और नोमान मिया दोनों अपनी सुरक्षा ड्यूटी पर थे। किसी बात को लेकर हुई बातचीत के दौरान नोमान मिया ने अचानक बजेंद्र बिस्वास पर एक सरकारी शॉटगन तान दी। कुछ ही देर में बंदूक चल गई और गोली बजेंद्र की बाईं। जांघ में जा लगी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना ने फैक्ट्री परिसर में हड़कंप मचा दिया और स्थानीय समुदाय में भय का माहौल पैदा कर दिया है। पुलिस मामले की गहनता से जांच कर रही है ताकि। घटना के पीछे के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।

दो हफ्तों में तीन हिंदू मारे गए

बजेंद्र बिस्वास की हत्या बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ती हिंसा की एक कड़ी मात्र है। पिछले दो हफ्तों के भीतर यह तीसरी ऐसी घटना है, जिसने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर चिंताएं बढ़ा दी हैं और इन लगातार हो रही घटनाओं ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है, जिससे बांग्लादेश में धार्मिक सहिष्णुता और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं। यह पैटर्न एक गहरी सामाजिक समस्या की ओर इशारा करता है जिसे तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है।

राजबाड़ी में अमृत मंडल की पीट-पीटकर हत्या

इससे पहले, 24 दिसंबर बुधवार रात करीब 11:00 बजे राजबाड़ी जिले के होसेनडांगा गांव में एक और हिंदू युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। मृतक की पहचान 29 वर्षीय अमृत मंडल उर्फ सम्राट के तौर पर हुई थी, जो होसेनडांगा गांव का ही निवासी था। पुलिस के शुरुआती बयानों के अनुसार, अमृत मंडल को भीड़ ने जबरन वसूली के आरोप में मार डाला था। पुलिस ने यह भी बताया कि अमृत के खिलाफ पांगशा पुलिस स्टेशन में पहले से ही दो मामले दर्ज थे, जिनमें से एक हत्या का मामला भी शामिल था। इस घटना ने भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा और कानून को अपने हाथ में लेने की प्रवृत्ति को उजागर किया, जो किसी भी सभ्य समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है।

दीपू चंद्र दास की ईशनिंदा के झूठे आरोप में हत्या

इन घटनाओं से भी पहले, 18 दिसंबर को ढाका के पास एक और हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ ने निर्ममता से हत्या कर दी थी। हत्या के बाद, उसके शव को एक पेड़ पर लटकाकर जला दिया गया था, जो इस अपराध की बर्बरता को दर्शाता है। दीपू चंद्र दास की हत्या ईशनिंदा के झूठे आरोपों के आधार पर की गई थी और सोशल मीडिया पर यह आरोप लगाया जा रहा था कि दीपू चंद्र दास ने फेसबुक पर ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई थीं। हालांकि, बाद में हुई जांच में इन दावों के कोई सबूत नहीं मिले। बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमान ने बांग्लादेशी अखबार ‘द डेली स्टार’ को बताया कि जांच में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जो यह साबित कर सके कि दीपू दास ने फेसबुक पर कोई आपत्तिजनक या धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला कंटेंट पोस्ट किया था। यह खुलासा भीड़ की हिंसा के पीछे के आधार की कमी और अफवाहों के खतरनाक प्रभाव को दर्शाता है।

छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद हिंसा

दीपू चंद्र दास की हत्या उस समय हुई जब बांग्लादेश में व्यापक हिंसा भड़की हुई थी और यह हिंसा इंकलाब मंच के 32 वर्षीय नेता शरीफ उस्मान बिन हादी की मौत के बाद शुरू हुई थी। उस्मान हादी अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार के विरोध में हुए छात्र आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। उन्हें शेख हसीना और भारत विरोधी माना जाता था। 12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें गोली मार दी गई थी। यूनुस सरकार ने उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर भेजा था, लेकिन 18 दिसंबर को हादी की मौत हो गई और उनकी मौत के बाद राजधानी ढाका समेत चार शहरों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं।

इस दौरान भीड़ ने बांग्लादेश के दो बड़े अखबारों, द डेली स्टार और प्रोथोम आलो के कार्यालयों में आग लगा दी। आरोप है कि हादी के समर्थक इलियास हुसैन ने फेसबुक पोस्ट के जरिए लोगों से राजबाग एरिया में इकट्ठा होने का आह्वान किया था, जहां इन दोनों अखबारों के दफ्तर स्थित हैं और उस्मान हादी अपनी तकरीरों में प्रोथोम आलो और द डेली स्टार अखबारों की अक्सर आलोचना करते थे, उन्हें हिंदुओं का पक्षधर बताते थे और उनके सेक्युलर होने पर सवाल उठाते थे। यह व्यापक अशांति और राजनीतिक ध्रुवीकरण का माहौल अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के लिए एक उपजाऊ जमीन तैयार करता है। बांग्लादेश में हाल ही में हुई ये घटनाएं देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती हैं।

एक सुरक्षा गार्ड की गोली मारकर हत्या, भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्याएं, और ईशनिंदा के झूठे आरोपों पर बर्बरतापूर्ण कृत्य, ये सभी एक ऐसे समाज की तस्वीर पेश करते हैं जहां हिंसा और असहिष्णुता बढ़ रही है। सरकार और संबंधित अधिकारियों को इन घटनाओं की गहन जांच करनी चाहिए और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके और सभी नागरिकों, विशेषकर अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।