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- 10-Jul-2025 07:20 AM IST
Bombay Stock Exchange: भारत का शेयर बाजार, जो आज एशिया का फाइनेंशियल टाइगर बन चुका है, की शुरुआत एक छोटे से बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। 150 साल पहले मुंबई की दलाल स्ट्रीट पर शुरू हुआ यह सफर आज दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में शुमार है। BSE न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, बल्कि यह लाखों निवेशकों के सपनों को हकीकत में बदलने का मंच भी है। आइए, आज BSE के 150वें जन्मदिन पर जानते हैं कि कैसे एक छोटी सी शुरुआत ने भारत को ग्लोबल फाइनेंस का पावरहाउस बना दिया!
बरगद के पेड़ से शुरू हुआ सपना
सपने वो नहीं जो सोते वक्त देखे जाते हैं, सपने वो हैं जो आपको सोने न दें। यही सपना देखा था 19वीं सदी में कुछ व्यापारियों ने, जब 9 जुलाई 1875 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की नींव पड़ी। उस वक्त इसे "The Native Share & Stock Brokers’ Association" कहा जाता था। मुंबई की मशहूर दलाल स्ट्रीट के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे व्यापारी और दलाल जमा होते थे। वहां वो शेयरों और सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री करते थे। कोई सोच भी नहीं सकता था कि यह अनौपचारिक सभा एक दिन एशिया का पहला और दुनिया का एक प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बन जाएगी।
उस दौर में व्यापार का तरीका बिल्कुल देसी था। दलाल लोग चिल्ला-चिल्लाकर (Open Outcry System) सौदे पक्के करते थे। ज्यादातर व्यापारी पारसी, गुजराती और मारवाड़ी समुदाय से थे। इनमें प्रेमचंद रायचंद का नाम सबसे बड़ा था, जिन्हें "मुंबई के शेयर बाजार का पितामह" कहा जाता है। उन्होंने इस बाजार को नियम और ढांचा देने में अहम रोल अदा किया। शुरुआत में कपास मिलों, रेलवे कंपनियों और सरकारी बॉन्ड्स के शेयरों की ट्रेडिंग होती थी। धीरे-धीरे यह अनौपचारिक सिस्टम संगठित होने लगा, और 1957 में भारत सरकार ने इसे सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1956 के तहत मान्यता दे दी।
कमाल की है BSE की यात्रा
BSE की कहानी सिर्फ एक स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना तक सीमित नहीं है। इसने 150 साल में कई मील के पत्थर हासिल किए। 1995 में BSE ने पुराने चिल्ला-चिल्लाकर व्यापार करने वाले सिस्टम को अलविदा कहा और BOLT (BSE On-Line Trading) सिस्टम लॉन्च किया। यह एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सिस्टम था, जिसने ट्रेडिंग को तेज, पारदर्शी और आसान बना दिया। 2005 में BSE को कॉर्पोरेटाइज और डीम्यूचुअलाइज कर दिया गया, यानी इसे एक कंपनी का रूप दे दिया गया। 2011 में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग को और मजबूत किया गया, जिसने BSE को ग्लोबल मार्केट में और चमकदार बना दिया।
BSE का सेंसेक्स (Sensitive Index) आज हर निवेशक की जुबान पर है। 1986 में शुरू हुआ यह इंडेक्स भारत की टॉप 30 कंपनियों के परफॉर्मेंस को दिखाता है। सेंसेक्स आज भारतीय अर्थव्यवस्था का आईना है, जिसे दुनियाभर के निवेशक गौर से देखते हैं। इसकी गणना फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर होती है। आज BSE पर 5,000 से ज्यादा कंपनियां लिस्टेड हैं, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक बनाती हैं। इक्विटी, डेरिवेटिव्स, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स—हर तरह की ट्रेडिंग यहां होती है।
आज का BSE: ग्लोबल फाइनेंशियल पावरहाउस
BSE आज सिर्फ एक स्टॉक एक्सचेंज नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ है। यह कंपनियों को पूंजी जुटाने और निवेशकों को पैसा कमाने का मौका देता है। देश-विदेश के निवेशकों के लिए BSE भारत में निवेश का सबसे बड़ा गेटवे है। खास बात यह है कि BSE खुद एक लिस्टेड कंपनी बन चुकी है। इसके शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर ट्रेड होते हैं, और अभी BSE Ltd का शेयर प्राइस 2,518 रुपये है। इसका मार्केट कैप एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।
BSE को सेबी (Securities and Exchange Board of India) रेगुलेट करता है, जो निवेशकों के हितों की रक्षा करता है। डिजिटल और टेक्नोलॉजी को अपनाकर BSE ने ग्लोबल फाइनेंस मार्केट में अपनी धाक जमाई है। आज यह न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है।
