देश / मामले जरूर घटे हैं लेकिन नहीं टला है खतरा, मास्क पहनना ही बेहतर

Zoom News : Apr 02, 2022, 07:14 AM
पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) किसी परिचय का मोहताज नहीं है। कोरोना की जांच से लेकर इलाज और टीके के विकास में संस्थान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वदेशी टीके ‘कोवैक्सीन’ का निर्माण एनआईवी के शोध से ही संभव हो पाया है।

देश में कोरोना के सामान्य होते हालात और आगे की स्थितियों को लेकर संस्थान की निदेशक डॉ. प्रिया अब्राह्म से ‘हिन्दुस्तान’ के ब्यूरो चीफ मदन जैड़ा ने विशेष बातचीत की। पेश हैं इसके अंश...

महाराष्ट्र और दिल्ली ने मास्क पहनने की अनिवार्यता खत्म कर दी है, ऐसा करना ठीक है?

कोरोना संक्रमण के मामले घटे हैं और न्यूनतम स्तर पर हैं। पर एक विषाणुरोग विज्ञानी के तौर पर मेरी निजी राय है कि हमें अपने सेफगार्ड कम नहीं करने चाहिए। यदि हम आज मास्क पहनना बंद करते हैं तो यह हमारे लिए उचित नहीं है। इससे हमारा बचाव नहीं होगा। चीन, सिंगापुर समेत कई देशों में अभी भी संक्रमण के मामले ज्यादा हैं। देश में भी वायरस अभी मौजूद है। रोज सैकड़ों में मामले अभी आ रहे हैं। जिस प्रकार से हमारे देश में आवाजाही है तो उससे एक कोने से दूसरे कोने में संक्रमण फैलने में ज्यादा देर नहीं लगती है। अभी सावधान रहने का वक्त है। कोरोना के विषाणु में कब क्या बदलाव हो जाए, यह कह नहीं सकते। इसलिए अभी मास्क पहनना जारी रखना चाहिए।

एनआईवी देश में वायरस पर शोध करने वाली सबसे बड़ी प्रयोगशाला है, कितने वायरस, बैक्टीरिया और उनके वेरिएंट आपकी प्रयोगशाला के भंडारगृह में रखे गए हैं?

हजारों की तादाद में हैं। संख्या का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि सिर्फ कोरोना के ही 350 से ज्यादा स्ट्रेन हमारे पास मौजूद हैं। कई ऐसे वायरस और उनके स्ट्रेन भी हैं जो अब दुनिया में मौजूदा नहीं हैं। वे सिर्फ हमारी लैब में हैं या दूसरी लैब्स में हैं।

लैब में वायरस या बैक्टीरिया को रखना कितना सुरक्षित है, क्या यह लीक हो सकते है?

इन्हें बायो सेफ्टी लेवल-4 लैब में रखा जाता है। ये 100 फीसदी सुरक्षित हैं। इनके लीकेज होने की आशंका जरा भी नहीं है।

देश में ज्यादातर लोगों का प्राइमरी टीकाकरण हो चुका है। आपको लगता है कि अब सभी लोगों के लिए बूस्टर डोज जरूरी है?

बूस्टर डोज लगाने का काम चरणबद्ध तरीके से शुरू हो चुका है। जिस प्रकार पूर्व में प्राइमरी टीकाकरण हुआ है, उसी प्रकार एहतियाती डोज को लेकर भी सरकारी दिशा-निर्देश आएंगे। आने वाले दिनों में सब को बूस्टर डोज लगेगी।

12 साल से छोटे बच्चों को टीका लगना चाहिए?

बच्चों का प्रतिरोधक तंत्र कोरोना संक्रमण का सामना आसानी से कर सकता है। देश में ज्यादातर बच्चों को संक्रमण हो भी चुका है तथा उनमें लक्षण नहीं दिखे हैं या बेहद हल्के दिखे हैं। लेकिन जो बच्चे किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें जरूर टीका लगाया जाना चाहिए।

क्या अब वैक्सीन को अपग्रेड करने की योजना है?

हमने कोरोना के पांच और स्ट्रेन आइसोलेट करके हाल में भारत बायोटेक को सौंपे हैं। यह हमारे और उनके बीच हुए समझौते के तहत है। अब वे इससे कोई नया टीका बनाएंगे या नहीं यह उनको तय करना है।

सरकार ने एनआईवी की नई प्रयोगशालाएं खोलने का ऐलान किया था, इस दिशा में क्या प्रगति हुई है?

देश में एनआईवी की चार और प्रयोगशालाएं खोली जाएंगी। इसके लिए बजट मंजूर हो चुका है। योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। ये प्रयोगशालाएं चंडीगढ़, डिब्रूगढ़, जबलपुर तथा बेंगलुरु में खुलेंगी। इस प्रकार भविष्य में पांच एनआईवी कार्य करेंगे जो देश के अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में होंगे ताकि आपात स्थिति में आसानी से पूरे देश को कवर कर सकें।

वन हेल्थ संस्थान खोलने की भी बात हुई थी, कब तक शुरू हो जाएगा?

इंसान से जानवरों में फैलने वाली बीमारियों पर शोध के लिए वन हेल्थ इंस्टीट्यूट स्थापित करने की घोषणा हुई थी। यह संस्थान नागपुर में स्थापित हो रहा है। बजट स्वीकृत हो चुका है तथा संस्थान के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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