देश / मौत की सजा पाए रेप, उत्पीड़न और हत्या के दोषियों को SC ने क्यों छोड़ा

Zoom News : Nov 08, 2022, 02:58 PM
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक फैसले में 19 साल की लड़की से गैंगरेप, उत्पीड़न और कत्ल के तीन दोषियों को रिहा कर दिया। इस फैसले की कल से ही चर्चा हो रही है और सवाल उठ रहा है कि आखिर इन्हें रिहाई क्यों मिली है। पीड़िता के परिजनों ने भी कहा कि इन लोगों को कम से कम उम्रकैद की सजा तो होनी ही चाहिए थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना है कि इन लोगों के खिलाफ आरोप साबित करने में पीड़ित पक्ष के वकील और पुलिस फेल साबित हुई है। ऐसे में इन्हें संदेह का लाभ देते हुए रिहा किया गया है। बता दें कि इन लोगों को निचली अदालत और हाई कोर्ट से मौत की सजा दी गई थी।  

तीनों आरोपियों रवि कुमार, राहुल और विनोद को 2014 में ट्रायल ने मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। हालांकि शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान फैसला पलट दिया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अभियोजन पक्ष तीनों के खिलाफ आरोप साबित करने में असफल रहा है। जजों ने कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से तार्किक संदेह जताया गया है, लेकिन आरोपों को साबित नहीं किया जा सका। इसके अलावा हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट को लेकर भी अदालत ने कहा कि उनकी भूमिका भी निष्क्रिय अंपायर जैसी थी। 

SC ने बताया ट्रायल में कहां हुई चूक, क्यों किया गया रिहा

अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी की पहचान तक साबित नहीं कर सका है। यह इस ट्रायल की एक बड़ी खामी रही है। बेंच ने कहा कि पूरे ट्रायल के दौरान 49 गवाहों में से 10 का क्रॉस एग्जामिनेशन भी नहीं किया गया। इस केस की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने निचली कोर्ट्स को नसीहत भी दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अदालतों को कानून के मुताबिक मेरिट के आधार पर फैसले सुनाने चाहिए। कोर्ट को किसी भी तरह के बाहरी नैतिक दबाव में नहीं आना चाहिए।' इस बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी भी शामिल थे। 

निर्भया जैसी क्रूरता का शिकार हुई थी युवती

फरवरी 2012 में हरियाणा के रेवाड़ी में युवती की लाश एक खेत में अधजली अवस्था में पाई गई थी। किडनैपिंग के कई दिनों के बाद युवती की लाश मिली थी और इसके चलते काफी विरोध हुआ था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि युवती को कार के औजारों से मारा गया था। इसके अलावा मिट्टी के कुछ बर्तन उसके सिर पर मारे गए थे। यही नहीं क्रूरता की हद यहां तक थी कि युवती की आंखों में तेजाब डाल दिया गया था। उसके प्राइवेट पार्ट्स में शराब की बोतल डाल दी थी। तीनों दोषियों ने हाईकोर्ट में झटका लगने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सजा घटाने की मांग की थी। लेकिन अदालत में सुनवाई के बाद पूरा मामला ही पलट गया और उन्हें रिहा कर दिया गया।

दिल्ली से किया किडनैप और रेवाड़ी में हुई थी दरिंदगी

उत्तराखंड के पौड़ी के नैनीडांडा ब्लॉक के रहने वाले परिवार की बेटी दिल्ली में डाटा एंट्री आपरेटर के तौर पर काम करती थी। वह दिल्ली के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही थी और शिक्षिका बनना चाहती थी। परिवार की आर्थिक सहायता के लिए नौकरी करती थी। 9 फरवरी 2012 को जब वह अपने ऑफिस से लौट रही थी तो तीन लोगों ने उसका अपरहण कर लिया। आरोपी उसे हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रोढाई गांव के गांव में करीब 30 किमी दूर एक सरसों के खेत में ले गए। वहां किरन के साथ दरिंदगी करने के बाद बेहद निर्मम तरीके से घायल कर वहीं मरने के लिए छोड़ दिया।

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