Coronavirus / WHO ने दी नई चेतावनी, कोरोना को लेकर कही ये भयावह बात

Zoom News : Oct 13, 2020, 04:57 PM
Coronavirus: दुनियाभर में कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी पर नियंत्रण के लिए तमाम तरह की कोशिशें जारी हैं। एक तरफ कोरोना के इलाज की दवाएं तैयार की जा रही हैं तो दूसरी ओर इससे बचाव के लिए तमाम तरह के टीके विकसित किए जा रहे हैं। कोरोना पर नियंत्रण के लिए इस महामारी काल में शुरुआत से लेकर अबतक कई बार हर्ड इम्यूनिटी (Herd Immunity) की रणनीति पर बात होती रही हैं। अप्रैल-मई में तो ब्रिटेन द्वारा यह रणनीति अपनाए जाने तक की खबर फैलने लगी थी, हालांकि बाद में वहां की सरकार ने इसका खंडन किया। ज्यादातर विशेषज्ञ कोरोना को लेकर हर्ड इम्यूनिटी की रणनीति को सुरक्षात्मक नहीं बताते हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों का एक समूह इसकी वकालत कर चुका है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी पोलियो और खसरा बीमारी का उदाहरण देते हुए इसको लेकर चेतावनी दी है।  

सबसे पहले यह जानें कि हर्ड इम्यूनिटी क्या है

हर्ड इम्यूनिटी दरअसल वह स्थिति है, जब किसी बीमारी के प्रति आबादी के बड़े हिस्से में लोगों के अंदर एंटीबॉडी विकसित हो जाए। बीमारी के हिसाब से इस बड़े हिस्से के मायने बदल सकते हैं। अमूमन यह हिस्सा 60 से 80 फीसदी के बीच हो सकता है। हर्ड इम्यूनिटी की स्थिति दो तरीके से प्राप्त होती है:

पहला- आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण कर देने से

दूसरा- आबादी के बड़े हिस्से में बीमारी फैल जाने से

कोरोना के मामले में पहला तरीका सुरक्षित है, लेकिन उसके लिए कारगर और सुरक्षित वैक्सीन चाहिए। दूसरा तरीका खतरनाक है, क्योंकि लोगों को महामारी को बीमार होने या मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। 

इस पर WHO ने क्या कहा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हर्ड इम्यूनिटी के लिए कोरोना महामारी फैलने देने का समर्थन करने वालों को चेतावनी दी है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ट्रेडोस अधनोम ने वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान इसे अनैतिक बताते हुए कहा, "हर्ड इम्यूनिटी एक कॉन्सेप्ट है, जिसका इस्तेमाल टीकाकरण में होता है। इसमें एक सीमा तक टीकाकरण हो जाने के बाद ही पूरी आबादी को किसी वायरस से बचाया जा सकता है।"

खसरा और पोलियो का उदाहरण

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने सुरक्षित हर्ड इम्यूनिटी समझाने के लिए खसरे की बीमारी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, 'यदि कुल आबादी का 95 फीसदी हिस्सा वैक्सीनेट हो जाए यानी उन्हें टीका लगा दिया जाए तो बचे हुए पांच फीसदी लोगों वायरस से बचाया जा सकता है। वहीं पोलियो का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पोलियो में इसकी सीमा रेखा करीब 80 फीसदी है। यह हर्ड इम्यूनिटी की सुरक्षित और आदर्श स्थिति है। 

जान जोखिम में डालना उचित नहीं

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, "हर्ड इम्यूनिटी किसी वायरस से इंसान की सुरक्षा करके हासिल की जाती है, ना कि उन्हें जोखिम में डालकर। किसी महामारी से निजात पाने के लिए जन स्वास्थ्य इतिहास में कभी भी हर्ड इम्यूनिटी को एक रणनीति की तरह इस्तेमाल नहीं किया गया है।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसे वैज्ञानिक और नैतिक रूप से रणनीति कहना सही नहीं है।

इम्यून के बारे में कम जागरुक लोग

डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, कोरोना वायरस एक खतरनाक वायरस है, जिसके बारे में हमें पूरी जानकारी नहीं है, उसे यूं फैलने के लिए छोड़ देना अनैतिक होगा। महामारी से बचने का यह कोई विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी डेवलप करने पर जानकारी का अभाव है। लोगों का इम्यून रेस्पॉन्स कितना मजबूत है, एंटीबॉडीज कितने दिन तक बनी रह सकती है, इन सब बिंदुओं पर जागरूकता जरूरी है। 

वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उन्होंने बताया कि ज्यादातर देशों की 10 फीसदी से भी कम आबादी को ये लगता है कि वे कोरोना वायरस के संपर्क में आए थे। ज्यादातर देशों में अधिकाधिक लोग वायरस के प्रति असंवेदनशील और कम जागरूक हैं। उन्होंने बताया कि पिछले चार दिनों में कई देशों खासकर अमेरिका और यूरोप में कोविड-19 के रिकॉर्ड केस दर्ज किए गए हैं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने इस साल के अंत या साल 2021 की शुरुआत तक एक कारगर वैक्सीन उपलब्ध होने की बात कही है। 

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