COVID-19 / 3 घंटे तक सड़क पर पड़ी रही कोरोना पॉजिटिव की डेडबॉडी, नहीं आई एंबुलेंस

News18 : Jul 04, 2020, 07:54 AM
बेंगलुरु। कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru) में हृदयविदारक मामला सामने आया है। दरअसल शुक्रवार को एक 64 वर्षीय व्यक्ति की कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाए जाने के बाद सड़क पर ही गिरकर मौत हो गई। उस व्यक्ति की डेडबॉडी तकरीबन 3 घंटे तक सड़क पर ही पड़ी रही। तीन घंटे बाद अस्पताल की एंबुलेंस आई। उस व्यक्ति की पत्नी ने बताया है कि जब उनके पति का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया तो उन्होंने अपने घर के पास एंबुलेंस मंगाई थी। वो नहीं चाहते थे कि कोरोना की जानकारी सुनकर पड़ोसियों में पैनिक क्रिएट हो। लेकिन वो बीच रास्ते में ही गिर पड़े और उनकी मौत हो गई।


क्या कहना है BBMP का?

मामले पर बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (BBMP) के एक अधिकारी ने कहा-दरअसल एंबुलेंस पहुंचने में देर कम्यूनिकेशन फेलियर की वजह से हुई। इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शाम को शहर में हुई भारी बारिश की वजह से एंबुलेंस पहुंचने में और भी ज्यादा देर हुई।


एक सप्ताह पहले भी हुआ था ऐसा मामला

गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले शहर में एक 52 वर्षीय व्यक्ति की मौत एंबुलेंस में ही हो गई थी। उसे 18 अस्पतालों ने अपने यहां एडमिट करने से मना कर दिया था। अस्पतालों को उस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

बेंगलुरु में तेजी से बढ़ रहे कोरोना मामले

बेंगलुरु में चिंताजनक रूप से कोरोना मामले बढ़े हैं। बीते शनिवार से लेकर बुधवार के बीच में इस मेट्रोपोलिटन शहर में कोरोना मरीजों (Covid-19 की संख्या दोगुनी हो गई है। शनिवार को शहर में जहां कोरोना के एक्टिव केस 1913 थे वहीं बुधवार को बढ़कर ये आंकड़ा 4649 तक पहुंच गया। अगर डबलिंग रेट के हिसाब से देखा जाए तो बेंगलुरु में कोरोना रोगियों की संख्या दिल्ली, मंबई और चेन्नई से भी तेजी से बढ़ रही है। हालांकि अगर कोरोना के कुल मामालों के हिसाब से देखा जाए तो बेंगलुरु अब भी अन्य महानगरों से कहीं पीछे है। लेकिन अगर रफ्तार यही रही तो जल्दी ही स्थिति बेहद चिंताजनक हो जाएगी।


'लॉकडाउन के नियमों उल्लंघन मुख्य जिम्मेदार'

माना जा रहा है कि बेंगलुरु में एकाएक मरीजों की संख्या बढ़ने के पीछे लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन भी बड़ा जिम्मेदार है। 29 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक शहर में होम क्वारंटाइन के नियमों के उल्लंघन के 17000 से ज्यादा मामले सामने आए थे। और ये सिर्फ उन लोगों की संख्या है जो प्रशासन की नजर में आ गए।

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