Karnataka CM Dispute / इंतजार करिए, फोन करूंगा- CM विवाद के बीच राहुल गांधी का डीके शिवकुमार को संदेश

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सियासी हलचल तेज है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार बदलाव की मांग कर रहे हैं। इस बीच, राहुल गांधी ने डीके शिवकुमार को मैसेज कर कहा है कि वह इंतजार करें, उन्हें फोन किया जाएगा। शिवकुमार 29 नवंबर को दिल्ली आने और सोनिया गांधी से मिलने की तैयारी में हैं।

कर्नाटक में पिछले कुछ दिनों से नेतृत्व में बदलाव को लेकर सियासी हलचल बहुत तेज हो गई है। राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही खींचतान ने दिल्ली तक अपनी पहुंच बना ली है, जहां कांग्रेस आलाकमान इस मामले को सुलझाने में जुटा है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का गुट लगातार मुख्यमंत्री बदलने की बात पर। डटा हुआ है, जिससे राज्य की राजनीति में गर्माहट बनी हुई है।

कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज

कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार के 5 साल के कार्यकाल के पहले ढाई साल पिछले हफ्ते 20 नवंबर को पूरे हो गए और इस महत्वपूर्ण पड़ाव के बाद से ही राज्य में नेतृत्व बदलाव की चर्चाएं और भी तेज हो गई हैं। 2023 में जब कांग्रेस राज्य की सत्ता में लौटी थी, तब मुख्यमंत्री पद को लेकर खासा संघर्ष देखा गया था। उस समय लंबी बातचीत और गहन विचार-विमर्श के बाद पार्टी आलाकमान ने सिद्धारमैया के नाम पर मुख्यमंत्री पद के लिए मुहर लगाई थी और अब ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद, सत्ता साझेदारी के एक कथित समझौते को लेकर अटकलें फिर से जोर पकड़ रही हैं, जिसने राज्य की राजनीतिक स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

राहुल गांधी का डीके शिवकुमार को महत्वपूर्ण संदेश

राज्य में लंबे समय से जारी लीडरशिप की खींचतान के बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को एक महत्वपूर्ण संदेश भेजा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, डीके शिवकुमार अंदरूनी घटनाक्रम को लेकर लंबे समय से राहुल गांधी से बात करने की कोशिश कर रहे थे। एक हफ्ते की कोशिशों के बाद, राहुल गांधी ने आखिरकार शिवकुमार से संपर्क साधा और उन्हें अपने तरीके से जवाब दिया। राहुल गांधी ने WhatsApp पर अपने छोटे से मैसेज के साथ जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा, “प्लीज़ इंतजार करिए, मैं आपको कॉल करता हूं। ” यह संदेश ऐसे समय में आया है जब शिवकुमार गुट लगातार मुख्यमंत्री पद पर बदलाव की मांग कर रहा है, और इसे आलाकमान की ओर से मामले को सुलझाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा है।

दिल्ली में विधायकों की बढ़ती हलचल

कर्नाटक में चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच, राज्य के विधायकों का दिल्ली आने-जाने का सिलसिला लगातार बना हुआ है, जो राजधानी में सियासी हलचल को और तेज कर रहा है। यह सिलसिला पिछले कुछ दिनों से जारी है, जहां विधायक पार्टी आलाकमान से मुलाकात कर रहे हैं और राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर अपनी बात रख रहे हैं और पिछले हफ्ते, कर्नाटक के 10 विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि विभिन्न गुट अपनी बात केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाना चाहते हैं। दूसरी ओर, सूत्रों का दावा है कि डीके शिवकुमार गुट के 6 विधायकों। का एक दल तीन दिन पहले पार्टी आलाकमान से मिलने दिल्ली आया था। इसके अलावा, कुछ और विधायकों के भी दिल्ली आने की उम्मीद है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लॉबिंग और दबाव की राजनीति अपने चरम पर है।

सत्ता साझेदारी का अनकहा समझौता और उसकी पृष्ठभूमि

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर वर्तमान विवाद की जड़ें 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद की स्थिति में हैं और जब कांग्रेस ने राज्य में बहुमत हासिल किया था, तब मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। लंबी बातचीत और कई दिनों के विचार-विमर्श के बाद, पार्टी आलाकमान ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था। हालांकि, उस समय यह दावा किया गया था कि दोनों नेताओं के बीच 2. 5-2 और 5 साल के लिए सत्ता साझेदारी का एक समझौता हुआ है, जिसके तहत पहले ढाई साल सिद्धारमैया मुख्यमंत्री रहेंगे और अगले ढाई साल डीके शिवकुमार। यह समझौता कभी भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया था, लेकिन अब सिद्धारमैया सरकार के पहले ढाई साल पूरे होने के बाद, यह अनकहा समझौता एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है, और शिवकुमार गुट इसी आधार पर नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहा है।

आलाकमान की भूमिका और आगामी संसदीय सत्र

कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद पर बदलाव के बीच, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार 29 नवंबर को दिल्ली आने की भी तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया है कि उन्होंने सोनिया गांधी से मिलने। का समय मांगा है, जो उसी दिन दिल्ली लौट रही हैं। यह मुलाकात इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। दूसरी ओर, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी से चर्चा के बाद ही कर्नाटक के मामले का समाधान करेंगे। कांग्रेस आलाकमान की ओर से 1 दिसंबर से शुरू हो रहे संसदीय सत्र से पहले मुख्यमंत्री को लेकर किसी भी बदलाव पर फैसला होने की उम्मीद है, जिससे इस राजनीतिक खींचतान को जल्द ही एक निष्कर्ष पर पहुंचने की संभावना है। यह स्थिति कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है, जिसे उसे संसदीय सत्र से पहले सुलझाना होगा ताकि पार्टी की एकजुटता और छवि बनी रहे।