कर्नाटक की राजनीति में पिछले कई दिनों से बड़े बदलावों की अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन अब सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। कांग्रेस हाईकमान ने राज्य में मुख्यमंत्री बदलने के किसी भी विचार को फिलहाल खारिज कर दिया है, जिससे राज्य की राजनीतिक अनिश्चितता पर विराम लगने की उम्मीद है। यह फैसला पार्टी के भीतर स्थिरता बनाए रखने और सरकार के कामकाज। पर ध्यान केंद्रित करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
हाईकमान का नेतृत्व पर रुख
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के मूड में बिल्कुल नहीं है। इस बात की पुष्टि गुरुवार देर रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच हुई लगभग 10। मिनट की फोन पर बातचीत से भी हुई, जिसमें कथित तौर पर हाईकमान ने सिद्धारमैया के नेतृत्व पर अपना भरोसा जताया। पार्टी का स्पष्ट संदेश है कि वह राज्य में किसी भी तरह की आंतरिक कलह के बजाय सुशासन और चुनावी वादों को पूरा करने पर केंद्रित है।
मंत्रिमंडल में संभावित फेरबदल
मुख्यमंत्री के पद पर स्थिरता के बावजूद, कर्नाटक में मंत्रिमंडल में फेरबदल की प्रबल संभावना है। यह फेरबदल राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद, संभवतः दिसंबर के उपरांत हो सकता है। इस फेरबदल में नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता। है या मौजूदा मंत्रियों के विभागों में बदलाव किया जा सकता है। इसका उद्देश्य सरकार के प्रदर्शन को मजबूत करना और क्षेत्रीय या जातीय प्रतिनिधित्व को संतुलित करना हो सकता है।
सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार: समर्थन का गणित
पार्टी के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की तुलना में अधिक विधायकों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि, डीके शिवकुमार का खेमा भी दिल्ली में सक्रिय रहा है, जहां उनके कुछ समर्थक डेरा डाले हुए हैं। सोमवार तक शिवकुमार खेमे के कुछ और लोगों के दिल्ली पहुंचने की संभावना जताई गई थी, जो पार्टी के भीतर अपने प्रभाव को प्रदर्शित करने का एक प्रयास माना जा रहा था।
रणदीप सुरजेवाला की कड़ी चेतावनी
बढ़ती अटकलों और आंतरिक बयानबाजी के जवाब में, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक कड़ा बयान जारी किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों से बात की है, और वे इस बात पर सहमत हुए हैं कि "बुरी तरह हारी हुई और गुटों में बंटी कर्नाटक बीजेपी", मीडिया के एक हिस्से के साथ मिलकर, जानबूझकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ बदनाम करने वाला अभियान चला रही है। सुरजेवाला के अनुसार, इसका एकमात्र मकसद सरकार की शानदार कामयाबियों और उसकी पांच गारंटियों को कमजोर करना है, जो समावेशी विकास और न्याय का एक शानदार मॉडल बन गई हैं।
आंतरिक असंतोष पर लगाम
सुरजेवाला ने कुछ कांग्रेस नेताओं और विधायकों द्वारा दिए गए "बेवजह के। बयानों" का भी जिक्र किया, जिन्होंने अटकलों को और हवा दी थी। कांग्रेस पार्टी ने इन व्यक्तियों को सख्त चेतावनी दी है कि वे नेतृत्व के मुद्दे पर कोई भी सार्वजनिक बयान न दें या अपने निजी लाभ के लिए चलाए जा रहे एजेंडे का हिस्सा न बनें और पार्टी नेतृत्व ने विभिन्न नेताओं की राय पर ध्यान दिया है और पार्टी में अनुशासन और एकता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
शिवकुमार के 'शक्ति प्रदर्शन' का भविष्य
डीके शिवकुमार के खेमे के दिल्ली में सक्रिय होने के बावजूद, यह देखना होगा कि पार्टी हाईकमान द्वारा रणदीप सुरजेवाला के बयान के माध्यम से दी गई कड़ी चेतावनी के बाद वे अपना "शक्ति प्रदर्शन" जारी रखते हैं या नहीं। यह उम्मीद की जा रही है कि इस निर्देश के बाद शिवकुमार के और समर्थकों का दिल्ली आना रुक सकता है। आने वाले दिन यह स्पष्ट करेंगे कि उपमुख्यमंत्री का खेमा पार्टी की चेतावनी का पालन करता है या अपने प्रभाव को प्रदर्शित करने के प्रयासों को जारी रखता है। पार्टी का एकता और सुशासन पर जोर ऐसे आंतरिक प्रदर्शनों को समाप्त करने की इच्छा को दर्शाता है।