Gyanvapi Verdict / ज्ञानवापी सर्वे पर फैसला 2 बजे के बाद ,जानिए कोर्ट कमिश्नर हटेंगे या नहीं

Zoom News : May 12, 2022, 01:02 PM
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के अंदर वीडियोग्राफी (Videography) और सर्वे (Survey) कराये जाने और इसके लिए नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के आग्रह सम्बन्धी मामलों में स्थानीय अदालत आज दोपहर दो बजे के बाद फैसला सुनायेगी. बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर कोर्ट में बुधवार को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. इस मामले में प्रतिवादी अंजुमन इंतजामियां मसाजिद कमेटी की तरफ से एडवोकेट कमिश्नर ए के मिश्रा को हटाए जाने की मांग को लेकर 3 दिन से बहस चल रही थी. 

सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की कोर्ट सुनाएगी फैसला

हिंदू पक्ष के वकील शिवम गौर ने बुधवार को मामले की सुनवाई के बाद संवाददाताओं को बताया कि सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में ज्ञानवापी परिसर में 'बैरिकेडिंग के अंदर' स्थित दो तहखाने खुलवाकर उनकी वीडियोग्राफी कराने और एडवोकेट कमिश्नर को बदलने को लेकर दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क रखे. वहीं एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा ने भी अपना पक्ष रखा था.

ईमानदारी से किया काम: एके मिश्रा

वहीं दूसरी ओर श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट की ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा (Advocate Commissioner) ने कहा, 'उन्होंने इस मामले में पूरी ईमानदारी, और निष्ठा से काम किया है. ऐसे मामलों में लोगों की आपत्तियां आती रहती हैं जिसका निस्तारण करना कोर्ट का काम है. वहां पर ऐसा कोई काम नहीं हुआ, जिससे कोर्ट के किसी भी आदेश का उल्लंघन हुआ हो.' 

वादी पक्ष की दलील : सर्वे से ही स्पष्ट होगी वस्तुस्थिति

कोर्ट में वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर कुमार त्रिपाठी ने कहा कि अदालत ने विग्रहों की वस्तुस्थिति जानने की बात कही है। विग्रह कहां हैं, यह कमीशन की कार्यवाही पूरी होने के बाद स्पष्ट होगा। वादी राखी सिंह के अधिवक्ता शिवम गौर व विपक्षी काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अधिवक्ता अनूप द्विवेदी ने भी कहा कि विपक्षी बेवजह जिरह खींच रहे हैं। लिहाजा, उनके आवेदन पर कोई विचार न किया जाय।

उपासना स्थल अधिनियम का उल्लंघन

विपक्षी अधिवक्ता अभयनाथ यादव ने जिरह के दौरान कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर प्रवेश करना उपासना स्थल अधिनियम-1991 का उल्लंघन है। साथ ही कोर्ट कमिश्नर जिस आराजी संख्या 9130 पर तहखाना की बात कर रहे हैं, सर्वे से पूर्व उसकी न तो चौहद्दी तय की गई और न ही निर्धारण हुआ। इसलिए मस्जिद में प्रवेश वर्जित है। विपक्षी अधिवक्ता ने सवाल उठाया कि यदि मंदिर के ऊपरी हिस्से को तोड़कर गुंबद बनाया गया है तो क्या कभी गुंबद को अतिक्रमण मानते हुए या अवैध कब्जा के खिलाफ कार्रवाई के लिए कोर्ट में कोई प्रार्थना पत्र दिया गया है?

डीजीसी ने कहा, ज्ञानवापी में जिम्मेदारियां अलग-अलग

जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने वादी के उस आरोप को खारिज किया कि जिसमें जिला प्रशासन पर कार्यवाही में मदद न करने की बात कही गई थी। डीजीसी ने कोर्ट को अवगत कराया कि पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद जिम्मेदारियां बंट गई हैं। ज्ञानवापी परिसर के रखरखाव की जिम्मेदारी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पर है। वहां की ताला-चाबी की जिम्मेदारी भी कमेटी की है। परिसर के अंदर की सुरक्षा सीआरपीएफ के हाथ में है। तब जज ने पूछा कि क्या जिला प्रशासन के आदेश का सीआरपीएफ पालन नहीं करता है? डीजीसी ने कहा कि शासन-प्रशासन और सरकार कोर्ट के सभी आदेश का पालन करने को बाध्य है। उन्होंने कोर्ट से सभी के लिए अलग-अलग आदेश जारी करने का आग्रह किया।

छह मई को शुरू हुआ था सर्वे

सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर (Justice Ravi K Diwakar) की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पिछले महीने की 26 अप्रैल को अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी और सर्वे करके 10 मई को अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था. वहीं एडलोकेट कमिश्नर मिश्रा ने वीडियोग्राफी और सर्वे के लिए छह मई का दिन तय किया था. ऐसे में मुस्लिम पक्ष ने बिना आदेश के ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी कराने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए अदालत द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर पर पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया था

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