Hemant Soren / झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता पर फैसला आज

Zoom News : Aug 25, 2022, 03:16 PM
Hemant Soren: चुनाव आयोग की ओर से झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की खबर सुर्खियों में है. इस बीच झारखंड सीएमओ (CMO) की ओर से कहा गया है कि चुनाव आयोग या फिर राज्यपाल से इस संबंध में कोई संचार प्राप्त नहीं हुआ है. झारखंड सीएम ऑफिस की ओर से कहा गया है कि सीएम को कई मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल को एक रिपोर्ट भेजी है, जिसमें उनके विधायक के तौर पर सदस्यता को रद्द करने की सिफारिश की गई है. सीएमओ को इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है.

उधर, झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) रांची पहुंच चुके हैं. इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग की ओर से नोटिस दिए जाने की खबर को लेकर अपनी बात रखी है. 

झारखंड के राज्यपाल ने क्या कहा?

झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि मेरे पास अभी हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की कोई जानकारी नहीं आई है. इस संबंध में मेरे पास कोई आदेश नहीं आया है. उधर, बीजेपी नेता रघुवर दास (Raghubar Das) ने कहा है कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सत्ता में आते ही जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधन को लूट रहे हैं. इस पूरे कारनामे के लिए हेमंत सोरेन जिम्मेदार है. राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के लिए हेमंत सोरेन जिम्मेदार है. पूरे परिवार ने खनन लीज लिया है.

हेमंत सोरेन पर क्या है आरोप

हेमंत सोरेन (Hemant Soren) पर झारखंड के मुख्यमंत्री (Jharkhand) CM) पद पर रहते हुए खनन पट्टा (Mining Lease) खुद के और अपने भाई को जारी करने का आरोप लगा है. सीएम हेमंत सोरेन पर लाभ के पद पर होने के आरोप लगे थे. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से संबंधित खनन लीज मामले में चुनाव आयोग (ECI) में सुनवाई पूरी हो चुकी है. बीजेपी का आरोप है कि हेमंत सोरेन ने अवैध रूप से अपने नाम खनन पट्टा आवंटित किया. बीजेपी ने उन्हें विधायक (MLA) के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने की मांग की थी.

झारखंड के लिए 4 जरूरी सवाल

1. क्या हो सकता है अगले 48 घंटे में?

राज्य में अगले 48 घंटे में राजनीतिक उथल-पुथल होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। चुनाव आयोग के इस फैसले का असर राज्य सरकार पर पड़ना तय माना जा रहा है। सत्ताधारी UPA सभी विकल्पों पर विचार कर उस आधार पर स्ट्रेटजी बना रही है। UPA खेमे में हेमंत के साथ और हेमंत के CM नहीं रहने की स्थितियों को लेकर तैयारी की जा रही है।

2. सदस्यता गई तो आगे क्या?

अगर हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द होती है तो उन्हें इस्तीफा देकर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी। इसके बाद 6 महीने के अंदर उन्हें दोबारा विधानसभा चुनाव जीतना होगा। अगर चुनाव लड़ने के लिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाता है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में वे परिवार या पार्टी से किसी को कमान सौंप सकते हैं।

3. हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं

झारखंड हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील ए. अल्लाम ने दैनिक भास्कर को बताया कि चुनाव आयोग अगर किसी विधायक या मंत्री को लाभ का पद रखने के मामले में दोषी पाता है तो उनकी सदस्यता समाप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि सदस्यता रद्द होने पर वे इस मामले में हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आर्टिकल-32 के मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर सकते हैं। लेकिन ये सभी विकल्प चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद ही निर्भर करता है।

4. UPA खेमे में चर्चा, हेमंत का विकल्प कौन?

चुनाव आयोग के फैसले के दोनों पक्षों को लेकर UPA ​​​​​रेडी मोड में हैं। अगर फैसले से सोरेन की राजनीतिक सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा तो सत्तापक्ष कम्फर्टेबल मोड में रहेगा। दूसरी तरफ झामुमो इस बात को लेकर बेचैन है कि अगर कमीशन का फैसला सोरेन के खिलाफ गया तो ऐसी स्थिति में उनके विकल्प के रूप में किसे चुना जा सकता है। हालांकि, इसको लेकर पार्टी और UPA प्लेटफार्म पर अनौपचारिक रूप से तीन नामों की चर्चा हुई है।

उसमें सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चम्पई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक नहीं किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।

सभी विधायकों की हो रही है निगहबानी

वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए सत्ताधारी UPA के सभी विधायकों पर राज्य सरकार की पैनी नजर है। सभी विधायकों की एक्टिविटी पर पूरी नजर रखी जा रही है। यहां तक कि राजधानी के अलावा उनके क्षेत्र में भी सरकारी मशीनरी की मदद से उन विधायकों को ट्रैक किया जा रहा है।

30 जुलाई को कैशकांड में झारखंड कांग्रेस के तीन विधायकों के फंसने के बाद से राज्य सरकार चौकस हो गई है और इसका मैसेज पिछले दिनों CM हाउस में हुई UPA के विधायक दल की बैठक में भी दिया गया है।

क्या है खनन पट्टे का मामला

दरअसल 10 फरवरी को पूर्व CM रघुवर दास के नेतृत्व में BJP के एक डेलिगेशन ने गवर्नर से मुलाकात कर CM सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। BJP ने आरोप लगाया था कि CM सोरेन ने पद पर रहते हुए अनगड़ा में खनन पट्टा लिया है। BJP का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने BJP की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी थी। उसके बाद चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर सोरेन से इस मामले में जवाब मांगा था। लगभग छह महीने की सुनवाई के बाद आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया। वही निर्णय अब किसी भी समय आने की उम्मीद है।

सरकार के ऊपर से कंट्रोल नहीं छोड़ना चाहती है झामुमो

मौजूदा समीकरण में 81 इलेक्टेड सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में 30 सदस्यों के साथ झामुमो सबसे बड़ा दल है। कांग्रेस के 18 विधायकों, राजद के एक और भाकपा माले के एक विधायक के समर्थन के साथ सरकार चला रहा है। ऐसे में झामुमो किसी भी परिस्थिति में सत्ता की चाबी अपने हाथ से जाने देने के मूड में नहीं है।

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