Delhi Car Blast / NIA-ED करेगी जांच, अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर भी फॉरेंसिक जांच की तलवार

दिल्ली में हुए ब्लास्ट की फंडिंग की जांच अब NIA, ED और अन्य वित्तीय एजेंसियां करेंगी। केंद्रीय गृह मंत्री की बैठक के बाद यह अहम फैसला लिया गया। अल-फलाह यूनिवर्सिटी की भी पूरी फॉरेंसिक जांच होगी, और मनी लॉन्ड्रिंग सहित सभी वित्तीय पहलुओं की गहनता से जांच की जाएगी।

दिल्ली में हाल ही में हुए लाल किला के पास के धमाके के बाद, सरकार ने इस घटना को एक आतंकी हमला करार दिया है। इस गंभीर मामले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अन्य वित्तीय जांच एजेंसियों को सौंप दी गई है और यह महत्वपूर्ण निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद लिया गया, जिसमें गृह सचिव, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक, NIA के महानिदेशक और गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच को एक नई दिशा देना और इसके पीछे की वित्तीय जड़ों को उजागर करना था।

जांच का दायरा और एजेंसियां

केंद्रीय गृह मंत्री की बैठक में यह स्पष्ट रूप से तय किया गया कि लाल किला ब्लास्ट मामले में केवल आतंकी पहलुओं की ही नहीं, बल्कि इसकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे वित्तीय मामलों की भी गहनता से जांच की जाएगी। NIA, जो आमतौर पर आतंकवाद से संबंधित मामलों की जांच करती है, अब ED और अन्य वित्तीय जांच से जुड़ी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेगी। यह सहयोग यह सुनिश्चित करेगा कि इस आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किए गए धन के स्रोत और उसके प्रवाह का पता लगाया जा सके। सरकार का मानना है कि ऐसी घटनाओं के पीछे अक्सर एक जटिल वित्तीय नेटवर्क होता है, जिसे तोड़ना बेहद जरूरी है।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर फॉरेंसिक जांच

जांच के दायरे में अल-फलाह यूनिवर्सिटी भी आ गई है। सूत्रों के अनुसार, इस यूनिवर्सिटी की पूरी फॉरेंसिक जांच की जाएगी और यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इस मामले में हिरासत में लिए गए एक प्रमुख संदिग्ध, डॉ. फारुक, ने इसी यूनिवर्सिटी से MBBS की पढ़ाई की है। डॉ और फारुक वर्तमान में यूपी के हापुड़ स्थित जीएस मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। यूनिवर्सिटी से जुड़े किसी भी संदिग्ध वित्तीय लेनदेन या अन्य गतिविधियों की जांच के लिए ED और अन्य वित्तीय जांच एजेंसियां भी सक्रिय रूप से शामिल होंगी। यह जांच यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड्स, फंडिंग स्रोतों और अन्य प्रासंगिक डेटा की गहन छानबीन करेगी।

संदिग्धों की हिरासत और पूछताछ

दिल्ली ब्लास्ट मामले में जांच एजेंसियां लगातार कार्रवाई कर रही हैं और इस सिलसिले में जम्मू-कश्मीर से दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश के हापुड़ से डॉ. फारुक को हिरासत में लिया गया है। डॉ. फारुक की पृष्ठभूमि और अल-फलाह यूनिवर्सिटी से उनके संबंध को देखते हुए, उनसे ब्लास्ट केस के संबंध में विस्तृत पूछताछ की जा रही है। जांच एजेंसियां यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या डॉ. फारुक का इस आतंकी घटना में कोई सीधा या परोक्ष संबंध है और। क्या उन्होंने किसी भी तरह से फंडिंग या लॉजिस्टिक्स में मदद की है। हिरासत में लिए गए अन्य संदिग्धों से भी महत्वपूर्ण जानकारी मिलने की उम्मीद है।

सरकार का कड़ा रुख और कैबिनेट का प्रस्ताव

भारत सरकार ने दिल्ली में 10 नवंबर को हुए इस धमाके को एक आतंकी घटना के रूप में स्वीकार किया है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस घटना में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई और दो मिनट का मौन भी रखा गया और इसके अलावा, कैबिनेट ने एक प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें इस घटना को देशविरोधी ताकतों की साजिश बताया गया। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि इस घटना की जांच अत्यंत तत्परता और पेशेवर तरीके से की जाएगी, और अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। सरकार का यह कड़ा रुख दर्शाता है कि वह इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रही है और दोषियों को बख्शने के मूड में नहीं है। यह घटना देश की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है, और सरकार इसे पूरी ताकत से निपटाने के लिए प्रतिबद्ध है।