Red Fort Blast / आतंकी डॉ. उमर का वीडियो, 'शहीद होने का मिशन' और ड्रोन हमले की साजिश का खुलासा

दिल्ली में लाल किले के पास हुए आत्मघाती धमाके के आतंकी डॉ. उमर का नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वह इसे 'शहीद होने का मिशन' बता रहा है। जांच में खुलासा हुआ है कि आतंकियों की मूल योजना हमास की तर्ज पर ड्रोन और रॉकेट से हमला करने की थी। अब तक 8 गिरफ्तारियां हुई हैं, जिनमें 6 डॉक्टर शामिल हैं।

दिल्ली में लाल किले के पास हुए 10 नवंबर के आत्मघाती धमाके। की जांच में हर दिन नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इस भयावह घटना को अंजाम देने वाले आतंकी डॉ. उमर का एक नया वीडियो सामने आया है, जिसमें वह अपने कृत्य को 'शहीद होने का मिशन' बता रहा है और यह वीडियो धमाके से ठीक पहले बनाया गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक सुनियोजित फिदायीन हमला था। इस हमले में 15 लोगों की जान चली गई थी और 20 से अधिक घायल हुए थे, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था और राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। सामने आए वीडियो में डॉ. उमर टूटी-फूटी अंग्रेजी में अपनी बात रख रहा है। वह स्पष्ट रूप से कहता है कि "एक बात जो नहीं समझी गई कि यह शहीद होने के लिए ऑपरेशन (मार्टरडम ऑपरेशन) है, न कि सुसाइड हमला और " वह इस बात पर जोर देता है कि 'मार्टरडम ऑपरेशन' और 'सुसाइड हमला' में विरोधाभास है। उसकी इस टिप्पणी से उसकी कट्टरपंथी मानसिकता और आत्मघाती हमले को एक। धार्मिक 'शहादत' के रूप में महिमामंडित करने की कोशिश उजागर होती है। उसकी यह व्याख्या आतंकी संगठनों द्वारा अपने गुर्गों को आत्मघाती हमलों के लिए उकसाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भ्रामक विचारधारा का हिस्सा प्रतीत होती है, जिसका उद्देश्य हिंसा को वैधता प्रदान करना है। यह दर्शाता है कि कैसे आतंकी समूह अपने सदस्यों को आत्मघाती। मिशनों के लिए प्रेरित करने हेतु धार्मिक शब्दावली का दुरुपयोग करते हैं।

लाल किले के पास का भयावह हमला

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास हुंडई i20 कार का इस्तेमाल कर डॉ. उमर ने यह आत्मघाती धमाका किया था। इस हमले ने राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि आसपास के क्षेत्र में भारी तबाही हुई, जिसमें निर्दोष नागरिकों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना दिल्ली के दिल में एक बड़े आतंकी हमले का प्रयास। थी, जिसका उद्देश्य अधिकतम नुकसान पहुंचाना और भय का माहौल पैदा करना था। लाल किला, एक ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित स्थल होने के कारण, इस हमले के लिए चुना जाना आतंकियों की प्रतीकात्मक मंशा को भी दर्शाता है।

ड्रोन और रॉकेट हमले की मूल साजिश

जांच एजेंसियों ने सोमवार रात एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि इस 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' की मूल योजना हमास की तर्ज पर ड्रोन और रॉकेट से हमला करने की थी। यह योजना 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले से प्रेरित थी, जिसमें ड्रोन और रॉकेट का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। यह दर्शाता है कि आतंकी समूह अंतरराष्ट्रीय आतंकी गतिविधियों से प्रेरणा ले रहे हैं और अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। इस प्रकार की योजना का खुलासा देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक नई चुनौती पेश करता है, क्योंकि ड्रोन और रॉकेट जैसे हथियार पारंपरिक सुरक्षा उपायों को भेदने में सक्षम हो सकते हैं।

तकनीकी विशेषज्ञ जसीर बिलाल वानी की भूमिका

एनआईए को यह महत्वपूर्ण जानकारी आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर-उन-नबी के एक और साथी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश की गिरफ्तारी के बाद मिली और दानिश जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड का रहने वाला है। उसे चार दिन पहले श्रीनगर से हिरासत में लिया गया था और सोमवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया और दानिश को छोटे ड्रोन हथियार बनाने और उन्हें मॉडिफाई करने का तकनीकी अनुभव है। उसने डॉ. उमर को तकनीकी मदद दी और आतंकी हमलों को अंजाम देने। के लिए ड्रोन और रॉकेट तैयार करने की कोशिश कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी से इस आतंकी मॉड्यूल की तकनीकी क्षमताओं और इरादों का पता चला है।

भीड़भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन से बम गिराने की योजना

एनआईए के अनुसार, दानिश भीड़भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन से बम गिराने की योजना पर काम कर रहा था, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को नुकसान पहुंचाया जा सके और यह एक बेहद खतरनाक और क्रूर योजना थी, जिसका उद्देश्य अधिकतम जनहानि और सार्वजनिक आतंक फैलाना था। ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर आतंकी हमलों को अंजाम देने की यह कोशिश सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चिंता। का विषय है, क्योंकि ड्रोन आसानी से निगरानी से बच सकते हैं और दूर से नियंत्रित किए जा सकते हैं। इस प्रकार के हमले शहरी क्षेत्रों में बड़ी तबाही मचा सकते। हैं और नागरिकों के बीच व्यापक भय पैदा कर सकते हैं।

मुख्य आरोपी आमिर राशिद अली की गिरफ्तारी

धमाके के मुख्य आरोपी आमिर राशिद अली को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोमवार को 10 दिन की एनआईए कस्टडी में भेज दिया। एजेंसी के मुताबिक, पंपोर निवासी आमिर वही शख्स है, जो डॉ. उमर से आखिरी बार संपर्क में था। धमाके में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार आमिर के नाम पर रजिस्टर्ड थी और वह इसे खरीदने के लिए दिल्ली आया था। आमिर को रविवार को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी इस मामले की जांच में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुई है, क्योंकि वह सीधे तौर पर हमले से जुड़ी लॉजिस्टिक्स में शामिल था और उसने आतंकी को वाहन उपलब्ध कराने में मदद की थी।

जांच का दायरा और 'व्हाइट कॉलर' मॉड्यूल

इस मामले में अब तक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से 6 डॉक्टर हैं। यह तथ्य 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' की गंभीरता को दर्शाता है, जहां शिक्षित और पेशेवर लोग आतंकी गतिविधियों में शामिल पाए जा रहे हैं। जांच एजेंसियां इस मॉड्यूल के बाकी सदस्यों और तकनीकी सपोर्ट नेटवर्क की पहचान में जुटी हैं। यह एक जटिल नेटवर्क है जिसमें विभिन्न भूमिकाओं वाले लोग शामिल हैं, और इसका भंडाफोड़ करना देश की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जा सके और इस तरह की विचारधारा को फैलने से रोका जा सके।