दिल्ली में लाल किले के पास सोमवार शाम को हुए भीषण विस्फोट ने पूरे देश को हिला दिया था। इस आतंकी घटना में एक सफेद रंग की i20 कार में हुए धमाके के। कारण 13 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। इस भयावह घटना के बाद से ही विभिन्न राज्यों की पुलिस और कई सुरक्षा एजेंसियां मामले की गहन जांच में जुटी हुई हैं। अब तक इस मामले में कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया जा चुका है,। और भारत सरकार ने इस घटना को एक आतंकी कृत्य घोषित किया है।
तुर्की से जुड़ा धमाके का लिंक
जांच के दौरान सामने आए नए तथ्यों ने सभी को हैरान कर दिया है, क्योंकि इस धमाके के तार अब एक ऐसे देश से जुड़ रहे हैं जिसकी उम्मीद कम ही लोगों ने की थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिल्ली धमाके का सीधा लिंक तुर्की से पाया गया है। यह खुलासा जांच एजेंसियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, जो इस आतंकी साजिश की गहराई को समझने में मदद कर रहा है।
हैंडलर 'यूकासा' और 'सेशन ऐप' का इस्तेमाल
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए आतंकी और डॉक्टर उमर मोहम्मद जिस हैंडलर के संपर्क में थे, उसका नाम 'यूकासा' (UKasa) था। एजेंसियों को संदेह है कि 'यूकासा' एक कोड नेम भी हो सकता है, जिसका इस्तेमाल अपनी असली पहचान छिपाने के लिए किया जा रहा था। इन आतंकियों और उनके हैंडलर के बीच बातचीत के लिए 'सेशन ऐप' (Session App) का इस्तेमाल किया जाता था, जो एन्क्रिप्टेड संचार प्रदान करता है। इस ऐप के माध्यम से की गई बातचीत की लोकेशन तुर्की की राजधानी अंकारा की। बताई जा रही है, जिससे तुर्की के साथ इस साजिश का सीधा संबंध स्थापित होता है।
अंकारा में ब्रेन वॉश का शक
जांच एजेंसियों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मार्च 2022 में कुछ लोग भारत से तुर्की की राजधानी अंकारा गए थे और यह संदेह जताया जा रहा है कि इसी दौरान इन व्यक्तियों का ब्रेन वॉश किया गया था और उन्हें भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित किया गया था। अंकारा में हुई इन मुलाकातों और उसके बाद दिल्ली में हुए धमाके के बीच एक। गहरा संबंध होने की संभावना है, जिसकी जांच एजेंसियां बारीकी से पड़ताल कर रही हैं।
विस्फोटक के लिए कोड वर्ड: 'शिपमेंट' और 'पैकेज'
आतंकी विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड रूट के माध्यम से संपर्क में रहते थे और उन्हीं से उन्हें अपने आदेश मिलते थे। अपनी बातचीत में, वे अमोनियम नाइट्रेट, ऑक्साइड और फ्यूल ऑयल जैसे घटकों से तैयार किए जाने वाले विस्फोटक को सीधे नाम से नहीं बुलाते थे। इसके बजाय, वे इसके लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। सूत्रों के मुताबिक, आतंकी डॉक्टर विस्फोटक को 'शिपमेंट' (Shipment) और 'पैकेज' (Package) जैसे कोड वर्ड में लिखा करते थे। उनके फोन से बरामद हुए ये कोड वर्ड जांच एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण सबूत साबित हुए हैं, जो उनकी गुप्त संचार प्रणाली को उजागर करते हैं।
4 स्थानों पर सिलसिलेवार धमाकों की साजिश
जांच में यह भी सामने आया है कि आतंकियों ने देश के चार अलग-अलग स्थानों पर सिलसिलेवार धमाके (Serial Blasts) करने की एक बड़ी और भयावह साजिश रची थी। सूत्रों के अनुसार, इस साजिश में लगभग 8 संदिग्ध शामिल थे, जिन्होंने चार अलग-अलग शहरों में हमला करने की योजना बनाई थी। इस योजना के तहत, कुल चार ग्रुप बनाए गए थे, और प्रत्येक ग्रुप में दो-दो सदस्य शामिल थे। हर ग्रुप के पास कई आईईडी (Improvised Explosive Devices) रखे जाने। थे, जिससे वे अपने निर्धारित लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकें। प्लानिंग के मुताबिक, सभी टीमें एक ही समय पर चार शहरों में धमाके करने वाली थीं, जिसका उद्देश्य देश में बड़े पैमाने पर दहशत फैलाना था। सुरक्षा एजेंसियां अब इन संदिग्धों की गतिविधियों और उनके पूरे नेटवर्क की गहराई से। जांच कर रही हैं ताकि इस साजिश के हर पहलू को उजागर किया जा सके।
कैसे नाकाम हुआ बड़ा हमला?
खुफिया एजेंसियों ने 12 तारीख के लिए एक विशेष अलर्ट जारी किया था, जिसमें बड़ी आतंकी वारदात की आशंका जताई गई थी। जांच में सामने आया कि कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों में 12 तारीख का उल्लेख था, जिससे यह संकेत मिला कि आतंकी इस दिन किसी बड़े हमले को अंजाम दे सकते हैं। इस अलर्ट के मद्देनजर, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने 12 तारीख के लिए पूरे देश में विशेष सुरक्षा इंतजाम किए थे। यह अलर्ट खुफिया एजेंसियों द्वारा अलग-अलग राज्यों की पुलिस को भेजा गया था, जिससे वे सतर्क रह सकें। हालांकि, 12 तारीख से पहले ही 'डॉक्टर मॉड्यूल' का भंडाफोड़ हो गया और 10 तारीख को उमर ने घबराहट में विस्फोट कर दिया। यह अनियोजित विस्फोट, हालांकि दुखद था, लेकिन इसने आतंकियों की बड़ी और समन्वित साजिश को नाकाम कर दिया, जिससे देश में होने वाले एक बड़े हमले को टाला जा सका और सुरक्षा एजेंसियां अब इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए लगातार काम कर रही हैं।