साल 2025 में भारतीय शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों (DIIs) ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने रिकॉर्ड 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करके बाजार की लाज। रखी है, खासकर ऐसे समय में जब विदेशी निवेशक (FPIs) लगातार मुनाफावसूली कर रहे थे। इस रिकॉर्ड निवेश के कारण, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों सूचकांकों ने मौजूदा साल में 5 प्रतिशत से। अधिक की तेजी दर्ज की है, भले ही साल खत्म होने में अभी ढाई महीने बाकी हैं।
रिकॉर्ड तोड़ निवेश और बाजार का समर्थन
मौजूदा कैलेंडर वर्ष में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 6 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है, जो 2007 में बीएसई द्वारा आंकड़े रखना शुरू करने के बाद से किसी कैलेंडर वर्ष में की गई सबसे बड़ी राशि है। पिछले साल, घरेलू निवेशकों ने सवा पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था, लेकिन 2025 का आंकड़ा उससे कहीं अधिक है। यह निवेश मुख्य रूप से SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के माध्यम से आ रहा है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह गति आगे भी बनी रहेगी। जियो ब्लैकरॉक एएमसी के मुख्य निवेश अधिकारी ऋषि कोहली का मानना है। कि DIIs मजबूत बने रहेंगे, जब तक कोई बड़ा वैश्विक झटका न लगे।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और उसका प्रभाव
एक ओर जहां घरेलू निवेशक रिकॉर्ड निवेश कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर विदेशी. पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने कैलेंडर वर्ष 2025 के दौरान भारतीय शेयर बाजारों से 23. 3 अरब डॉलर (लगभग 2. 03 लाख करोड़ रुपये) निकाले हैं। हालांकि, उन्होंने प्राथमिक बाजार और अन्य माध्यमों से 5. 71 अरब डॉलर (लगभग 49,590 करोड़ रुपये) का निवेश भी किया और आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के महेश पाटिल के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने अमेरिका, चीन, जर्मनी और ब्राजील जैसे बाजारों में अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जबकि जापान, भारत, वियतनाम और दक्षिण कोरिया में मुनाफावसूली की है।
घरेलू निवेशकों की रणनीति और भविष्य की संभावनाएं
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के जी चोकालिंगम ने बताया कि 2008 के लेहमैन ब्रदर्स संकट के बाद से, जब भी बाजार में गिरावट आई और FIIs ने बिकवाली की, DIIs ने आक्रामक खरीदारी करके अच्छा मुनाफा कमाया है। यह रणनीति पिछले 17 वर्षों से उनके लिए कारगर साबित हुई है। टाटा एसेट मैनेजमेंट की सोनम उदासी का कहना है कि मध्यम अवधि में, म्यूचुअल फंड और एसआईपी के। जरिए घरेलू निवेशक भारतीय इक्विटी पर अपना दबदबा बनाए रखेंगे, जिससे विदेशी पूंजी निकासी के खिलाफ मजबूती मिलेगी। हालांकि, बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप सूचकांकों में थोड़ी गिरावट देखी गई है, लेकिन समग्र इक्विटी बाजार DIIs के रिकॉर्ड निवेश के कारण मजबूत बने हुए हैं।