Dharmendra Health / धर्मेंद्र और अर्जुन हिंगोरानी की अटूट दोस्ती: KKK फिल्मों से लेकर जीवन के आखिरी पलों तक

दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र और फिल्ममेकर अर्जुन हिंगोरानी की दोस्ती बॉलीवुड में एक मिसाल है। हिंगोरानी ने धर्मेंद्र को पहला मौका दिया और उनकी 'KKK' सीरीज की फिल्मों में साथ काम किया। यह दोस्ती अर्जुन हिंगोरानी के जीवन के आखिरी पलों तक कायम रही, जो व्यावसायिक उतार-चढ़ाव से परे थी।

बॉलीवुड के 'ही-मैन' धर्मेंद्र हाल ही में ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे, जहां से उनकी सेहत में सुधार की खबरें सामने आई हैं। उनकी पत्नी हेमा मालिनी ने अफवाहों को खारिज करते हुए बताया कि 89 वर्षीय अभिनेता धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। इस दौरान, धर्मेंद्र के पुराने दोस्त और फिल्ममेकर अर्जुन हिंगोरानी का नाम भी चर्चा में आया, जिन्होंने धर्मेंद्र को बॉलीवुड में पहला ब्रेक दिया था और इन दोनों की दोस्ती ने सिनेमा जगत में एक मिसाल कायम की, जो अर्जुन हिंगोरानी के जीवित रहने तक मजबूती से टिकी रही।

धर्मेंद्र का पहला ब्रेक और अर्जुन हिंगोरानी का साथ

धर्मेंद्र को बॉलीवुड में पहला मौका देने का श्रेय फिल्ममेकर अर्जुन हिंगोरानी को जाता है। 1960 में आई फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' में हिंगोरानी ने धर्मेंद्र को अभिनय का अवसर दिया। उस समय मुंबई में संघर्ष कर रहे धर्मेंद्र के लिए अर्जुन हिंगोरानी एक मजबूत सहारा बने और हिंगोरानी ने धर्मेंद्र के शुरुआती दिनों में उनका बहुत ख्याल रखा और उनकी परेशानियों को दूर करने की पूरी कोशिश की। यह सिर्फ एक पेशेवर रिश्ता नहीं था, बल्कि एक गहरी दोस्ती की नींव थी जो समय के साथ और मजबूत होती गई। हिंगोरानी ने धर्मेंद्र को न केवल एक अभिनेता के रूप में पहचान दिलाई, बल्कि एक दोस्त के रूप में भी उनका साथ दिया।

'दिल भी तेरा हम भी तेरे' और 'अबाना' का महत्व

अर्जुन हिंगोरानी ने अपने निर्देशन की शुरुआत सिंधी भाषा की फिल्म 'अबाना' से की थी, जिसने अभिनेत्री साधना के करियर को भी लॉन्च किया था। इसके बाद उन्होंने 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' का निर्देशन किया, जिसमें बलराज साहनी मुख्य हीरो थे और धर्मेंद्र सैकेंड लीड में कुमकुम के अपोजिट थे। यह फिल्म धर्मेंद्र के करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने उन्हें दर्शकों के बीच एक अलग पहचान दिलाई। भले ही वह मुख्य भूमिका में नहीं थे, लेकिन इस फिल्म ने उन्हें बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने का अवसर प्रदान किया। यह हिंगोरानी का विश्वास ही था जिसने धर्मेंद्र को यह मंच दिया।

'KKK' सीरीज की अनोखी फिल्में

धर्मेंद्र और अर्जुन हिंगोरानी की पेशेवर साझेदारी का एक और महत्वपूर्ण पहलू उनकी 'KKK' सीरीज की फिल्में थीं। धर्मेंद्र ने हिंगोरानी की अधिकांश फिल्मों में काम किया, और इनमें। से कई फिल्में अपने अनोखे 'KKK' टाइटल के लिए यादगार बन गईं। इन फिल्मों में 'कहानी किस्मत की', 'कब क्यों और कहां', 'खेल खिलाड़ी का' और 'कातिलों के कातिल' शामिल हैं और भले ही इनमें से कुछ फिल्मों को व्यावसायिक रूप से संघर्ष करना पड़ा हो, लेकिन इस जोड़ी की अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता कभी कम नहीं हुई। धर्मेंद्र के अभिनय ने इन फिल्मों में आकर्षण और ऊर्जा भरी, जबकि हिंगोरानी के निर्देशन ने उन्हें बॉलीवुड में एक विशिष्ट पहचान दी। यह सीरीज उनकी रचनात्मकता और एक-दूसरे के प्रति उनके समर्पण का प्रमाण है।

जीवन भर चली दोस्ती की मिसाल

सिनेमा के पर्दे से परे, धर्मेंद्र और हिंगोरानी के बीच एक गहरी और अटूट दोस्ती थी। उनका रिश्ता अर्जुन हिंगोरानी के निधन तक चला, जो यह साबित करता है कि सच्चा साथ अक्सर पेशेवर उतार-चढ़ाव से कहीं अधिक समय तक रहता है और इंडस्ट्री में कई लोगों ने उनके इस रिश्ते की तारीफ की है, जो वफादारी और सम्मान पर आधारित था। 'केकेके' सीरीज सिर्फ फिल्मों का एक संग्रह नहीं थी, बल्कि हिंगोरानी की रचनात्मकता और धर्मेंद्र के समर्पण का प्रतीक थी। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह एक ऐसी इंडस्ट्री में वफादारी। और दोस्ती के मूल्यों को दर्शाती है जहां रिश्ते अक्सर बदलते रहते हैं। हिंगोरानी के साथ धर्मेंद्र का सहयोग प्रशंसकों को याद दिलाता है कि बॉलीवुड में कुछ साझेदारियां केवल सफलता से कहीं अधिक होती हैं, जो भरोसे और आपसी सम्मान पर टिकी होती हैं। यह दोस्ती आज भी कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।