Dengue Vaccine / डेंगू की पहली स्वदेशी वैक्सीन- कब आएगी और कितनी असरदार होगी?

भारत डेंगू के खिलाफ जंग में इतिहास रचने की ओर है। ICMR और एक भारतीय कंपनी पहली स्वदेशी डेंगू वैक्सीन का ट्रायल कर रही हैं। यह टेट्रा वेले वैक्सीन सभी चार सीरोटाइप्स पर असरदार होगी। 2027 तक उपलब्ध होने वाली यह वैक्सीन मौतों को 90% तक घटा सकती है।

Dengue Vaccine: भारत डेंगू के खिलाफ एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। हर साल हजारों लोगों को बीमार करने और सैकड़ों की जान लेने वाली इस बीमारी का अंत अब करीब है। मच्छरों से फैलने वाले डेंगू वायरस से निपटने के लिए भारत अपनी पहली स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और एक भारतीय कंपनी के सहयोग से तैयार की जा रही इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जोरों पर है।

डेंगू के खिलाफ ‘स्वदेशी हथियार’

बारिश का मौसम आते ही डेंगू का खतरा बढ़ जाता है, जो हर साल हजारों लोगों को प्रभावित करता है। इस बीमारी से निपटने के लिए ICMR और एक भारतीय कंपनी मिलकर देश की पहली स्वदेशी वैक्सीन तैयार कर रहे हैं। वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है और विशेषज्ञों का मानना है कि यह 2027 के अंत तक ड्रग रेगुलेटर की मंजूरी के लिए तैयार हो सकती है। मंजूरी मिलने के बाद यह वैक्सीन आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी।

वैक्सीन की प्रभावशीलता

हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. समीर भाटी के अनुसार, यह एक टेट्रावैलेंट वैक्सीन होगी, जो डेंगू के चारों सीरोटाइप्स (DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4) के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगी। डॉ. भाटी का अनुमान है कि इस वैक्सीन के बाजार में आने के बाद डेंगू से होने वाली मौतों में 80 से 90 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। यह वैक्सीन न केवल बीमारी की गंभीरता को कम करेगी, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मामलों को भी काफी हद तक घटाएगी।

वैक्सीन का कार्य सिद्धांत

यह वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को डेंगू वायरस से लड़ने के लिए तैयार करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य इंफेक्शन को गंभीर होने से रोकना और मरीज की जान बचाना है। हालांकि, कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी नहीं देती, लेकिन यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करके डेंगू के गंभीर प्रभावों को कम कर सकती है। विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए यह वैक्सीन वरदान साबित हो सकती है।

स्वदेशी वैक्सीन की खासियत

यह वैक्सीन आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पूरी तरह से भारत में विकसित और परीक्षित, यह वैक्सीन डेंगू के सभी चार सीरोटाइप्स के खिलाफ प्रभावी होगी। डेंगू के चार अलग-अलग सीरोटाइप्स के कारण वैक्सीन निर्माण एक जटिल चुनौती रही है, लेकिन इस स्वदेशी प्रयास ने इसे संभव बनाया है। यह न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में भी देश की स्थिति को मजबूत करेगा।

वैक्सीन के लाभ

  • मृत्यु दर में कमी: वैक्सीन के उपयोग से डेंगू से होने वाली मौतों और गंभीर मामलों में उल्लेखनीय कमी आएगी।

  • विशेष रूप से जोखिम वाले समूहों के लिए लाभ: बच्चे, बुजुर्ग और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इस वैक्सीन से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे।

  • स्वास्थ्य सेवाओं पर बोझ में कमी: अस्पताल में भर्ती होने वाले मामलों में कमी से स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव कम होगा।

  • आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा: स्वदेशी वैक्सीन का विकास भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा।

चुनौतियां और सावधानियां

वैक्सीन के आने के बाद भी डेंगू की रोकथाम के लिए मच्छरों पर नियंत्रण और साफ-सफाई पर ध्यान देना जरूरी रहेगा। मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए स्वच्छता अभियान, पानी के ठहराव को रोकना और मच्छरदानी का उपयोग जैसे उपाय अब भी महत्वपूर्ण होंगे। वैक्सीन बीमारी से पूर्ण सुरक्षा की गारंटी नहीं देती, इसलिए जागरूकता और सावधानी बरतना आवश्यक रहे