देश / चीन से तनाव के बीच विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका को दी बड़ी नसीहत

AajTak : Jul 23, 2020, 05:10 PM
Delhi: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि अमेरिका को गुटों (एलायंस) से ऊपर उठना चाहिए और एक बहुध्रुवीय दुनिया में रहना सीखना चाहिए। विदेश मंत्री ने यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल के 'इंडिया आइडियाज समिट' में ये बातें कहीं। जयशंकर ने इससे पहले भी कहा था कि भारत ना कभी किसी गुट का हिस्सा था और ना ही कभी होगा। 

जयशंकर ने कहा, मुझे लगता है कि अमेरिका को ज्यादा बहुध्रुवीय और बहुपक्षीय व्यवस्था में काम करना सीखना होगा। पिछली दो पीढ़ियों में जिन गठबंधनों और साझेदारियों के साथ वह आगे बढ़ा है, उस दायरे से निकलना होगा।

जयशंकर ने कहा, मैं खास तौर पर भारत की बात कर रहा हूं, हमारे स्वतंत्रता के इतिहास को देखें, हम बिल्कुल अलग-अलग जगहों से आते हैं। कई ऐसे मुद्दे होंगे जहां पर हमारी सोच एक जैसी होगी जबकि कई मुद्दों पर अलग। हमें भविष्य में और भी ज्यादा कॉमन ग्राउंड खोजने होंगे।

भारत और अमेरिका आक्रामक चीन का सामना कर रहे हैं और दोनों देशों के चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। जयशंकर ने कहा, आज हमारे पास क्षमता है कि हम मिलकर दुनिया को नया आकर दे सके।। हम समुद्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, की रोकथाम, कनेक्टिविटी, जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी समेत तमाम मुद्दों पर काम कर सकते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि द्विपक्षीय एजेंडे को मजबूत करते हुए हमें बड़े एजेंडे पर भी काम करना चाहिए।

जयशंकर का ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका लगातार आक्रामक चीन के खिलाफ एक गठबंधन बनाने की बात कर रहा है। हाल ही में, पोम्पियो ने कहा था, चीन ने समुद्र में अवैध कब्जा किया है, हिमालयी देशों को को डराया-धमकाया, कोरोना वायरस की महामारी पर पर्दा डाला और बड़े ही शर्मनाक तरीके से महामारी का दोहन अपने हितों की पूर्ति करने में किया।

पोम्पियो ने कहा था, हमें उम्मीद है कि हम एक ऐसा गठबंधन बनाएं जो इस खतरे को समझता हो और मिलकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को यह समझा सकें कि इस तरह का बर्ताव करना उसके हितों के लिए सही नहीं है। हम चाहते हैं कि लोकतंत्र और स्वतंत्रता को समझने वाला हर देश यह देख सकें कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी उनके लिए कितना बड़ा खतरा है।

इससे पहले, विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने गुटनिरपेक्षता की नीति पर कहा था कि भारत अतीत की तरह भविष्य में कभी भी किसी गुट में शामिल नहीं होगा। एस। जयशंकर ने कहा कि अमेरिका की स्थिति में बदलाव और चीन की आक्रामकता ने भारत, जापान, यूरोपीय यूनियन व कई अन्य देशों को बड़ी भूमिका में आने का मौका दिया है। जयशंकर ने ये भी माना कि आज की बहुध्रुवीय दुनिया में भी अमेरिका और चीन के बीच दोध्रुवीय व्यवस्था का तत्व मौजूद है।

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि गुट निरपेक्षता आज भले ही पुराना सिद्धांत हो गया है लेकिन भारत कभी भी किसी गुट का हिस्सा नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, गुट-निरपेक्षता टर्म एक खास युग और भू-राजनीतिक परिदृश्य को लेकर था लेकिन इसका एक पहलू था- स्वतंत्रता जो हमारे लिए आज भी अहमियत रखता है।अमेरिकी की वैश्विक व्यवस्था में बदलती स्थिति को लेकर विदेश मंत्री ने कहा था, अमेरिकी का दुनिया में पहले जितना प्रभाव था, अब वो कम हो गया है। इससे कई दूसरे देशों को स्वतंत्र भूमिका निभाने का मौका मिल रहा है। हालांकि, इससे हमें कोई खास फर्क नहीं पड़ा क्योंकि हम किसी गुट का हिस्सा ना कभी थे और ना ही कभी होंगे। लेकिन जो देश अमेरिका पर ज्यादा निर्भर थे, उन्हें एहसास हो रहा है कि तमाम मुद्दों पर अब उन्हें खुद ही फैसला करना पड़ेगा।

जयशंकर के बयान पर चीन ने भी प्रतिक्रिया दी थी। चीन ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को कायम रखेगा।

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