India-China Relation / विवाद से व्यापार तक... भारत-चीन रिश्ते का SCO समिट होगा टर्निंग प्वाइंट?

भारत-चीन रिश्तों में नई शुरुआत के संकेत मिल रहे हैं। दिल्ली में हुई बातचीत के बाद सितंबर में तियानजिन में मोदी-जिनपिंग मुलाकात अहम होगी। सीमा विवाद, व्यापार, वीजा और संपर्क बढ़ाना एजेंडे में है। चीन ने फर्टिलाइज़र, रेयर अर्थ और मशीनरी पर पाबंदियां हटाकर बड़ा संदेश दिया है।

India-China Relation: भारत और चीन के बीच रिश्तों में जमी बर्फ अब धीरे-धीरे पिघलने लगी है। बीजिंग से दिल्ली तक बातचीत का एक नया दौर शुरू हुआ है, और अब सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आगामी मुलाकात पर टिकी हैं। दिल्ली में हाल ही में हुई उच्च-स्तरीय वार्ता के बाद अब अगला पड़ाव तियानजिन है, जहां सितंबर में SCO समिट के दौरान दोनों नेता आमने-सामने होंगे। इस मुलाकात का एजेंडा व्यापक है, जिसमें सीमा पर तनाव कम करना, व्यापार को बढ़ावा देना, वीजा प्रक्रिया को आसान करना और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाना शामिल है।

दिल्ली में शुरू हुई नई पहल

दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान पिछले साल कजान में हुई मोदी-जिनपिंग बैठक का जिक्र हुआ। वांग यी ने कहा कि कजान की मुलाकात ने दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा दी और सीमा विवाद के समाधान की राह खोली। इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की नींव रखी, जिसके बाद अब तियानजिन में होने वाली बैठक को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

मोदी-जिनपिंग मुलाकात का एजेंडा

SCO समिट में होने वाली इस मुलाकात के लिए कई अहम मुद्दों को एजेंडे में शामिल किया गया है:

  • एलएसी पर शांति और स्थिरता: सीमा पर तनाव कम करने के लिए ठोस कदम।

  • कैलाश मानसरोवर यात्रा का विस्तार: तीर्थयात्रियों के लिए सुगम व्यवस्था।

  • बॉर्डर ट्रेड की बहाली: लिपुलेख, शिपकी ला, और नाथु ला जैसे रास्तों से व्यापार को पुनर्जनन।

  • सीधी फ्लाइट्स की बहाली: दोनों देशों के बीच आवागमन को आसान करना।

  • वीजा प्रक्रिया में सरलता: लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए वीजा नियमों में ढील।

  • SCO और BRICS में सहयोग: क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन।

  • नदियों के जल-साझाकरण पर समझौता: जल संसाधनों के प्रबंधन में सहयोग।

चीन की ओर से बड़ा संकेत

मुलाकात से पहले ही चीन ने एक सकारात्मक कदम उठाते हुए फर्टिलाइजर, रेयर अर्थ मटेरियल, और टनल बोरिंग मशीनों पर लगी पाबंदियों को हटाने का ऐलान किया है। इसका असर भारत के कई क्षेत्रों पर पड़ने वाला है:

  • फर्टिलाइजर: भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद आयातक है, और यूरिया व पोटाश का बड़ा हिस्सा चीन से आता है। पाबंदी हटने से किसानों को सस्ता और समय पर खाद मिलेगा, जिससे कृषि क्षेत्र को बल मिलेगा।

  • रेयर अर्थ मटेरियल: मोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), और रक्षा प्रौद्योगिकी में रेयर अर्थ मटेरियल्स की जरूरत होती है। चीन पर वैश्विक आपूर्ति का 90% नियंत्रण है। इस ढील से भारत के टेक्नॉलजी और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बड़ा बूस्ट मिलेगा।

  • टनल बोरिंग मशीनें: ये मशीनें मेट्रो, हाइवे, और रक्षा बुनियादी ढांचे जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स की रीढ़ हैं। पाबंदी हटने से भारत में निर्माण कार्य तेजी से और कम लागत पर पूरे होंगे।

ये तीनों क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। चीन की यह रियायत किसानों, उद्योगों, और बुनियादी ढांचे को सीधा फायदा पहुंचाएगी। यही कारण है कि मोदी-जिनपिंग मुलाकात को एक गेम-चेंजर के रूप में देखा जा रहा है।

डोकलाम और गलवान की छाया

डोकलाम (2017) और गलवान (2020) की घटनाओं ने भारत-चीन रिश्तों में गहरी दरार पैदा की थी। कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद हालात कुछ बेहतर हुए हैं, लेकिन अविश्वास अभी भी बरकरार है। यही वजह है कि तियानजिन में होने वाली मोदी-जिनपिंग मुलाकात को एक टर्निंग पॉइंट के रूप में देखा जा रहा है। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं होगी, बल्कि दोनों देशों के भविष्य के रिश्तों का एक महत्वपूर्ण टेस्ट केस होगी।

वैश्विक संदर्भ में भारत-चीन संबंध

वांग यी का यह दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार से जुड़े कुछ अनिश्चितताएं सामने आई हैं। दूसरी ओर, रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिकोण के बीच बढ़ती बातचीत वैश्विक संतुलन को साधने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हालिया मॉस्को यात्रा भी इस दिशा में एक कदम है।

क्या लिखी जाएगी नई इबारत?

भारत और चीन, दोनों ही एशियाई महाशक्तियां हैं, लेकिन आपसी अविश्वास ने उनके रिश्तों को अब तक सीमित रखा है। तियानजिन में मोदी-जिनपिंग की मुलाकात से अगर सहयोग के नए रास्ते खुलते हैं, तो इसका असर भारत के किसानों, उद्योगों, और आम लोगों तक महसूस होगा। सीमा पर शांति और व्यापार में भरोसा बहाल करना इस मुलाकात का सबसे बड़ा लक्ष्य है। क्या यह मुलाकात भारत-चीन रिश्तों में एक नया अध्याय शुरू कर पाएगी? यह सवाल तियानजिन में जवाब का इंतजार कर रहा है।