Bihar Elections 2025 / सीट बंटवारे से नीतीश की सेहत तक... NDA का बिहार फतह के लिए क्या है प्लान?

बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर चर्चा तेज है। सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव फार्मूले के तहत ही टिकट बंटवारा होगा। जेडीयू 102-103, बीजेपी 101-102 और शेष 40 सीटें अन्य घटक दलों को मिलने की संभावना है।

Bihar Elections 2025: बिहार में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी तेज हो गई है। एनडीए खेमे में अब सबसे अहम मुद्दा है — सीटों का बंटवारा। दिल्ली से पटना तक गहन चर्चा का दौर चल रहा है और सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 के फार्मूले को ही इस बार भी अपनाने की तैयारी है। बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी, हम और राष्ट्रीय लोक मोर्चा — सभी दलों के बीच तालमेल बिठाकर ऐसा फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है जिससे टकराव की गुंजाइश न रहे।

सीटों का बंटवारा आखिरी दौर में होगा

एनडीए के रणनीतिकारों ने तय किया है कि सीटों के बंटवारे को अंतिम दौर में सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि किसी तरह का विवाद न उभरे। विशेष ध्यान उन सीटों पर है, जहां कोई पार्टी लगातार दो चुनाव हार चुकी है। ऐसी सीटें किसी दूसरी सहयोगी पार्टी को देने पर विचार हो रहा है, ताकि जीत की संभावना को बढ़ाया जा सके।

किसके हिस्से कितनी सीटें?

लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने 17, जेडीयू ने 16, एलजेपी ने 5, और हम व राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने एक-एक सीटों पर चुनाव लड़ा था, वहीं विधानसभा में समीकरण थोड़ा अलग हो सकता है। संभावित गणित कुछ ऐसा बन रहा है:

  • जेडीयू: 102-103 सीटें

  • बीजेपी: 101-102 सीटें

  • एलजेपी: 25-28 सीटें

  • हम: 6-7 सीटें

  • राष्ट्रीय लोक मोर्चा: 4-5 सीटें

एलजेपी को अधिक सीटें मिलने की संभावना इसलिए है क्योंकि राज्य में उसके पांच सांसद हैं और पार्टी का जनाधार कुछ क्षेत्रों में मजबूत माना जाता है।

जातिगत संतुलन रहेगा प्राथमिकता में

बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण हमेशा से निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं। ऐसे में एनडीए इस बार भी इस समीकरण को साधने में कोई चूक नहीं करना चाहता। मसलन, किसी जिले की पांच विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का चयन करते समय यह देखा जाएगा कि सभी प्रमुख जातियों को प्रतिनिधित्व मिले और एक ही जाति के उम्मीदवार पास-पास की सीटों से न हों, खासकर अगर दोनों सीटें बीजेपी-जेडीयू को मिली हों।

नीतीश कुमार की सेहत भी चुनावी रणनीति में

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर विपक्षी खेमा हमलावर हो सकता है, लेकिन एनडीए इसे सहानुभूति में बदलने की रणनीति बना रहा है। आंतरिक बैठकों में यह चर्चा भी है कि विपक्ष अगर इस मुद्दे को बार-बार उठाता है, तो जनता में इसका उल्टा असर हो सकता है — जिससे एनडीए को फायदा पहुंचेगा।

पिछला इतिहास क्या कहता है?

पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो:

  • 2010 में जेडीयू ने 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

  • 2015 में जेडीयू ने एनडीए से नाता तोड़कर आरजेडी के साथ बराबरी पर चुनाव लड़ा।

  • 2020 में दोबारा बीजेपी-जेडीयू साथ आए, तब जेडीयू ने 115 और बीजेपी ने 110 सीटों पर दांव लगाया।