दीपावली के अगले दिन मनाया जाने वाला गोवर्धन पूजा का पावन पर्व इस वर्ष 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को है। इसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है और यह विशेष रूप से मथुरा, वृंदावन, गुजरात तथा राजस्थान में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जिन्होंने इंद्र के अहंकार को तोड़कर गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था। इस दिन भक्त गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उसकी विधि-विधान से पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर को शाम। 5:54 बजे शुरू होकर 22 अक्टूबर को रात 8:16 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को ही मनाई जाएगी। पूजा के लिए दो शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं:सुबह का मुहूर्त: सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक। दोपहर का मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक।
अन्नकूट प्रसाद और पूजा सामग्री
अन्नकूट प्रसाद गोवर्धन पूजा का एक अभिन्न अंग है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों, खासकर सब्जियों से बने पकवानों का भोग लगाया जाता है। इसे 'अन्न का पर्वत' भी कहते हैं, जो ईश्वर के प्रति कृतज्ञता और प्रचुरता का प्रतीक है और पूजा सामग्री में गाय का गोबर, रोली, अक्षत, फूल, धूप-दीप, बताशे, कलश, दही, शहद, गंगाजल, फूल माला, खीर, मिठाई और भगवान कृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा शामिल होती है।
गोवर्धन पूजा विधि और मंत्र
गोवर्धन पूजा के लिए सबसे पहले गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और उसके ऊपर भगवान कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। पर्वत की नाभि पर एक गड्ढा बनाकर उसमें दीपक या कटोरी रखें। पवित्रीकरण के बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:" मंत्र का जाप करते हुए भगवान कृष्ण का ध्यान करें। मुख्य मंत्र "गोवर्धन धराधर गोकुल त्राणकारक और विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव। " का 108 बार जाप करें। दीपक जलाकर दूध, दही, शहद, बताशे, पेड़ा और लड्डू आदि का भोग लगाएं। पूजा के बाद आरती करें और गोवर्धन जी की 7 या 11 बार परिक्रमा करें और परिक्रमा के दौरान "गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक, विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव। " मंत्र का जाप करें।
क्या करें और क्या न करें
गोवर्धन पूजा के दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं, श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें और 56 भोग अर्पित करें। गौमाता की पूजा करें, उन्हें चारा खिलाएं। दिनभर सात्विक भोजन करें और शाम को मंदिर दर्शन करें। पूजा में लाल, पीले या नारंगी वस्त्र पहनें। तुलसी के पत्ते न तोड़ें, काले या नीले वस्त्र न पहनें, घर के द्वार। बंद न रखें, मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन न करें, और पेड़-पौधे न काटें।