देश / गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने दिया इस्तीफा

Zoom News : Dec 16, 2020, 04:47 PM
गुजरात कांग्रेस में राजनीतिक संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनानी ने बुधवार को राज्य के पार्टी प्रभारी राजेश यादव को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। ऐसा माना जाता है कि हाल ही में गुजरात में हुए उप-चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के कारण दोनों नेताओं ने अपना इस्तीफा दिया है। ऐसे में गुजरात में नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है।

गुजरात कांग्रेस के प्रभारी राजीव सातव ने अहमदाबाद नागरिक निकाय के समक्ष राज्य में डेरा डाल दिया है। उन्होंने हाल ही में उपचुनाव की हार के कारणों के बारे में कांग्रेस आलाकमान को एक रिपोर्ट भेजी थी। गुजरात प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और परेश धनानी के नेतृत्व में लोकसभा और दो उपचुनाव हुए हैं। लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस गुजरात में 26 सीटों में से कोई भी सीट नहीं जीत सकी और हाल के उप-चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

गुजरात में कांग्रेस के लगातार निराशाजनक प्रदर्शन को लेकर पार्टी के अंदर सवाल उठ रहे थे। माना जा रहा है कि इसी के चलते कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा और विधानसभा में विपक्ष के नेता परेश धनानी ने अपने इस्तीफे सौंप दिए हैं।

विपक्ष के नेता परेश धनानी ने कहा कि उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद, उन्होंने हाईकमान को अपने इस्तीफे की पेशकश की थी और अब उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में परेश धनानी के इस्तीफे के बाद, शैलेश परमार पूंजा वंश और अश्विन कोतवाल में से एक को चुनने की बात चल रही है।

वहीं, गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष अमित चावड़ा के इस्तीफे के बाद अगले पीसीसी को लेकर चर्चा भी तेज हो गई है। नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए अर्जुन मोढवाडिया और जगदीश ठाकुर के नाम की चर्चा है। इसके अलावा हार्दिक पटेल को कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदोन्नति देने की बात भी सामने आ रही है। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान हार्दिक पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर गुजरात में कमान सौंप सकती है।

हालांकि, गुजरात में कांग्रेस की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। राज्यसभा चुनाव से पहले, कांग्रेस के आठ विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और इन आठ सीटों पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। वहीं, भाजपा नगर निकाय चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है, इसलिए कांग्रेस बिखरी हुई नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस के नए अध्यक्ष के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि वह संगठन को सिविक चुनाव से पहले खड़ा करे और चुनावी जंग जीते।


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