हमास ने गाजा युद्धविराम के अंतिम क्षणों में एक बड़ा यूटर्न लेते हुए मिस्र में होने वाले शांति प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। इस घोषणा से गाजा में स्थायी शांति स्थापित करने के प्रयासों को गहरा झटका लगा है। हमास का कहना है कि इस प्रस्ताव के कई महत्वपूर्ण बिंदु उसके हितों के खिलाफ हैं, जिन पर अभी और बातचीत की आवश्यकता है।
प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु जिन पर आपत्ति
अल अरबिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, हमास के प्रवक्ता हुसम बदरान ने बताया कि मिस्र में तैयार हुए इस प्रस्ताव पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कतर और मिस्र के मध्यस्थ हस्ताक्षर करेंगे, लेकिन हमास का कोई प्रतिनिधि समारोह में उपस्थित नहीं रहेगा और ट्रंप के 20 सूत्री शांति योजना में हमास के निशस्त्रीकरण और फिलिस्तीन के शासन का जिक्र है। समझौते में यह भी कहा गया है कि डील की मियाद पूरी होते ही हमास के लड़ाकों को गाजा छोड़ना होगा, जिसके बाद अमेरिका और मिस्र संयुक्त रूप से यहां की शासन व्यवस्था तैयार करेंगे।
हमास की नाराजगी और मांगें
हमास इन्हीं दो मुख्य शर्तों से नाराज है और उसका कहना है कि उसे अहिंसक तरीके से गाजा में रहने दिया जाए और भविष्य में गाजा की जो भी सरकार बने, उसमें उसकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए। हमास ने अपनी मांगों को लेकर कतर से पैरवी भी कराई थी, लेकिन बात नहीं बन पाई। हमास का तर्क है कि उसे एक राजनीतिक शक्ति के रूप में मान्यता मिलनी चाहिए।
**आगे क्या होगा?
गाजा पर हमास का पूर्ण नियंत्रण है और इजराइल का मुख्य संघर्ष हमास के साथ ही है। भले ही हमास कमजोर पड़ा हो, लेकिन उसके पास अभी भी लगभग 15,000 लड़ाके हैं। यदि हमास इस डील पर हस्ताक्षर नहीं करता है, तो वह शांति समझौते को मानने के लिए बाध्य नहीं होगा। इसका अर्थ है कि डील के बाद भी गाजा और फिलिस्तीन में जंग की स्थिति बनी रह सकती है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका है। ट्रंप ने इजराइल आने से पहले अमेरिका में पत्रकारों से बात करते हुए गाजा में पूर्ण रूप से युद्ध रुकवाने की बात कही थी।