India-China News / हिंद महासागर में चीन की जासूसी बेनकाब: भारत ने बदला मिसाइल टेस्ट शेड्यूल

हिंद महासागर में चीन के तीन जासूसी जहाजों की मौजूदगी के कारण भारत को अपना मिसाइल टेस्ट शेड्यूल बदलना पड़ा है। भारत ने अब 1 से 3 दिसंबर 2025 के लिए नया नो-फ्लाई जोन नोटिफिकेशन जारी किया है, ताकि चीनी निगरानी से बचा जा सके। यह कदम चीन की बढ़ती समुद्री जासूसी गतिविधियों पर भारत की प्रतिक्रिया है।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती जासूसी गतिविधियों ने भारत को अपनी सामरिक योजनाओं में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया है और हाल ही में, तीन चीनी निगरानी और अनुसंधान जहाजों – Shi Yan-6, Shen Hai Yi Hao और Lan Hai 201 – की हिंद महासागर क्षेत्र में एक साथ मौजूदगी ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इन जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए, भारत ने अपने आगामी मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम को संशोधित किया है, जो पहले 25-27 नवंबर के बीच निर्धारित था। यह कदम चीन द्वारा भारत की युद्ध संबंधी तकनीक और मिसाइल क्षमताओं। की जासूसी करने के प्रयासों को विफल करने के लिए उठाया गया है।

बदला गया मिसाइल टेस्ट शेड्यूल

चीन की जासूसी गतिविधियों के उजागर होने के बाद, भारत ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पास होने वाले अपने मिसाइल टेस्ट के लिए एक नया NOTAM (नो-फ्लाई जोन नोटिफिकेशन) जारी किया है। यह नया शेड्यूल अब 1 से 3 दिसंबर 2025 के बीच निर्धारित किया गया है। इस परीक्षण के लिए बंगाल की खाड़ी में 490 किलोमीटर लंबा एक विशिष्ट क्षेत्र चिन्हित किया गया है, जिसे नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया है। यह बदलाव इस उम्मीद के साथ किया गया है कि तब तक चीनी जासूसी जहाज इस क्षेत्र से हटकर। मॉरीशस की ओर बढ़ जाएंगे, जिससे भारत अपने परीक्षणों को बिना किसी बाहरी निगरानी के सफलतापूर्वक पूरा कर सके। यह भारत की रणनीतिक लचीलेपन और अपनी सुरक्षा प्राथमिकताओं को बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हाई-टेक जासूसी जहाज Shi Yan-6

भारत के इस कदम से पहले, हिंद महासागर में चीन की गतिविधियाँ एक बार फिर तेज हो गई हैं। तीन चीनी निगरानी और अनुसंधान जहाज – Shi Yan-6, Shen Hai Yi Hao और Lan Hai 201 – एक साथ इस महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र में सक्रिय देखे गए हैं और सूत्रों के अनुसार, इन चीनी जहाजों का मुख्य उद्देश्य भारत की युद्ध संबंधी तकनीक का करीब से निरीक्षण करना और उसकी जासूसी करना है। भारत को चीन के इस इरादे का आभास हो गया। है, जिसके परिणामस्वरूप मिसाइल परीक्षण कार्यक्रम में बदलाव किया गया है। यह चीनी उपस्थिति हिंद महासागर में चीन के बढ़ते रणनीतिक प्रभाव और भारत की सुरक्षा के लिए उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का स्पष्ट संकेत है।

चीनी अनुसंधान वेसल Shi Yan-6, जिसे चीन वैज्ञानिक मिशन बता रहा है, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार एक हाई-टेक जासूसी जहाज है और यह जहाज अंडमान के दक्षिणी हिस्से के अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में मौजूद है। Shi Yan-6 में उन्नत सेंसर लगे हैं जो भारतीय मिसाइल रेंज की निगरानी कर सकते हैं और पानी के भीतर की गतिविधियों को ट्रैक करने में सक्षम हैं। यह जहाज मिसाइल लॉन्च, उसकी ट्राजेक्टरी (प्रक्षेपवक्र) और सिग्नल इंटरसेप्शन (सिग्नल अवरोधन) जैसी महत्वपूर्ण जानकारी जुटाने में सक्षम है। इसी जहाज की मौजूदगी के कारण भारत को अपना पहला तय किया गया मिसाइल टेस्ट (25-27 नवंबर) टालना पड़ा। इसकी क्षमताएं इसे भारत के सामरिक परीक्षणों के लिए एक गंभीर खतरा बनाती हैं।

गहरे समुद्र का सर्वे जहाज Shen Hai Yi Hao

वर्तमान में मालदीव के आसपास सक्रिय Shen Hai Yi Hao एक गहरे समुद्र का सर्वे जहाज है। यह जहाज 7,000 मीटर तक जाने वाली डीप-सी सबमर्सिबल तकनीक से लैस है। इसकी मुख्य भूमिका समुद्र तल, खनिज संसाधनों और अंडरसी केबल रूट की मैपिंग करना है और हालांकि यह एक अनुसंधान जहाज प्रतीत होता है, लेकिन इसके द्वारा जुटाया गया डेटा सैन्य दृष्टि से बेहद संवेदनशील होता है। समुद्र तल की विस्तृत जानकारी पनडुब्बी संचालन, नौसैनिक रणनीति और। समुद्री संचार केबलों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस तरह की जानकारी चीन को हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक क्षमताओं को बढ़ाने में मदद कर सकती है।

सोनार निगरानी जहाज Lan Hai 201

लक्षद्वीप के पश्चिम में सक्रिय Lan Hai 201 एक सोनार सर्विलांस जहाज है। यह जहाज समुद्र के भीतर की संरचना और गतियों का सोनार डेटा जुटाता है। इसकी क्षमताएं इसे पनडुब्बी मूवमेंट और नौसैनिक ऑपरेशन्स की निगरानी करने में सक्षम बनाती हैं। पनडुब्बियों का पता लगाना और उनकी गतिविधियों को ट्रैक करना किसी भी नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी होती है। Lan Hai 201 की उपस्थिति भारत के पश्चिमी तट के पास समुद्री सुरक्षा के लिए एक संभावित चुनौती पेश करती। है, क्योंकि यह भारतीय नौसेना की पनडुब्बी गतिविधियों पर नजर रख सकता है और महत्वपूर्ण सामरिक जानकारी एकत्र कर सकता है।

चीन की दोहरी रणनीति

हिंद महासागर में चीन की यह बढ़ती उपस्थिति और जासूसी की रणनीति दोहरे मकसद को पूरा करती है। पहला, इसका उद्देश्य भारत के मिसाइल कार्यक्रम की जासूसी करना और संवेदनशील डेटा जुटाना है, जिससे चीन को भारत की रक्षा क्षमताओं का आकलन करने में मदद मिल सके। दूसरा, चीन हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी और दबदबा बढ़ाना चाहता। है, जो उसके 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति का एक हिस्सा है। यह रणनीति चीन को इस महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर नियंत्रण स्थापित करने और अपनी भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सहायता करती है। यह भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती है, क्योंकि यह। सीधे तौर पर उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करती है।

भारत के लिए बढ़ती चिंताएँ

भारत के लिए यह चिंता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि चीन लगातार ऐसे जहाज हिंद महासागर में भेज रहा है, जिससे भारत को अपनी सामरिक गतिविधियों में बदलाव करना पड़ता है। यह भारत की संप्रभुता और उसकी सैन्य तैयारियों में सीधा हस्तक्षेप माना जा रहा है। मिसाइल परीक्षणों को टालना या उनके शेड्यूल में बदलाव करना न केवल लॉजिस्टिक चुनौतियाँ पैदा करता है, बल्कि यह चीन को भारत की प्रतिक्रिया क्षमताओं का आकलन करने का अवसर भी देता है। ऐसे में, भारत ने चीन की नजरों से बचकर मिसाइल टेस्ट शेड्यूल करने का एक नया कार्यक्रम बनाया है, जो उसकी सतर्कता और रणनीतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है। यह स्थिति भारत-चीन संबंधों में समुद्री क्षेत्र में बढ़ते तनाव को उजागर करती है।

आगे की रणनीति और चुनौतियाँ

भारत ने नया NOTAM जारी कर यह स्पष्ट कर दिया है कि मिसाइल टेस्ट टाला गया है, रद्द नहीं और अगला टेस्ट विंडो 1 से 3 दिसंबर 2025 तय की गई है। अब सबकी नजर इस पर होगी कि क्या चीन का Shi Yan-6 इस क्षेत्र से दूर जाता है या फिर एक बार फिर भारत को अपनी टेस्टिंग रणनीति बदलनी पड़ेगी। यह स्थिति दर्शाती है कि भारत-चीन प्रतिस्पर्धा अब केवल जमीनी सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि समुद्र में भी यह तेजी से गर्म हो रही है और भारत को हिंद महासागर में अपनी निगरानी क्षमताओं को और मजबूत करने और ऐसी जासूसी गतिविधियों का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए निरंतर नई रणनीतियाँ विकसित करनी होंगी। यह समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।