Delhi Free Schemes / आम आदमी के 1 महीने में केजरीवाल की फ्रीबीज से बचते हैं कितने रुपए?

दिल्ली सरकार की मुफ्त योजनाएं जैसे 200 यूनिट बिजली, 20,000 लीटर पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा हर महीने औसतन ₹2,500 की बचत देती हैं। अन्य योजनाओं में सरकारी स्कूलों में शिक्षा, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और पेंशन योजनाएं भी शामिल हैं।

Delhi Free Schemes: साल 2015 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद केजरीवाल की 200 यूनिट मुफ्त बिजली और 20,000 लीटर मुफ्त पानी योजना ने जबरदस्त लोकप्रियता हासिल की। अब, 10 साल बाद, विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले फिर यही सवाल उठ रहा है—क्या ये सुविधाएं जारी रहेंगी?

मुफ्त बिजली: हर महीने कितनी बचत?

दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त है और 201 से 400 यूनिट तक 50% सब्सिडी मिलती है। यदि 200 यूनिट की बात करें, तो टैरिफ के हिसाब से इसका खर्च ₹600, मीटर चार्ज ₹20 और अन्य शुल्क मिलाकर ₹800 तक होता, लेकिन यह राशि सरकार वहन करती है। अगर खपत 400 यूनिट हो, तो कुल बिल ₹2100 के करीब पहुंचता, लेकिन सब्सिडी के कारण उपभोक्ता को सिर्फ ₹1100-₹1200 देना पड़ता। कुल मिलाकर, मुफ्त बिजली योजना से आम आदमी को औसतन ₹1000 की मासिक बचत होती है।

मुफ्त पानी: कितनी राहत?

दिल्ली सरकार हर परिवार को 20,000 लीटर पानी मुफ्त देती है। औसतन, एक परिवार रोजाना 500-600 लीटर पानी खर्च करता है, जिससे अधिकांश लोग इस दायरे में आ जाते हैं। अगर यह सुविधा न होती, तो जल बोर्ड के टैरिफ के अनुसार, 20,000 लीटर पानी के लिए ₹350 प्रति माह और अतिरिक्त कर चुकाने पड़ते। यानी, मुफ्त पानी योजना से औसतन ₹500 की बचत होती है।

महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा

2019-20 से महिलाओं को दिल्ली में मुफ्त बस यात्रा की सुविधा मिल रही है। यदि एक महिला दैनिक पास से यात्रा करे, जिसकी लागत ₹50 है, तो 25 दिनों के सफर पर कम से कम ₹1250 बचते हैं।

कुल मासिक बचत: आम परिवार को राहत?

सिर्फ इन तीन योजनाओं से एक आम आदमी को हर महीने ₹2500 की सीधी बचत होती है। इसके अलावा, सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा, सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज, तीर्थ यात्रा योजना, पेंशन योजनाएं और नई घोषित महिला भत्ता योजना जैसी सुविधाएं अतिरिक्त लाभ देती हैं।

आने वाले चुनावों में मौजूदा सरकार ने महिलाओं को ₹2100 मासिक भत्ता देने का वादा किया है, जबकि कांग्रेस और बीजेपी ₹2500 देने की बात कर रही हैं। अब देखने वाली बात होगी कि क्या ये योजनाएं जारी रहेंगी या इनमें कोई बदलाव आएगा।