Union Budget 2025 / अगर बजट 2025 में हो गया ये ऐलान, इन सेक्टर्स में आ जाएगी जान

मेडिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और फुटवियर इंडस्ट्री के लिए कच्चे माल पर कस्टम ड्यूटी घटाने की मांग उठी है। विशेषज्ञ फेजवाइज मैन्युफैक्चरिंग स्कीम जैसी रियायतें चाहते हैं। सरकार दरों को सरल बनाकर विवाद कम करने पर विचार कर रही है। यह कदम रोजगार और अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देगा।

Vikrant Shekhawat : Jan 20, 2025, 06:00 AM
Union Budget 2025: 2025-26 के बजट को लेकर उद्योग जगत से बड़ी उम्मीदें जताई जा रही हैं, खासकर लोकल मैन्युफैक्चरिंग को समर्थन देने के लिए। मेडिकल कंपोनेंट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और फुटवियर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर कस्टम ड्यूटी में कटौती की मांग जोर पकड़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन सुधारों से न केवल अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

प्राथमिकताएं और मांगें

डेलॉयट इंडिया के अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञ हरप्रीत सिंह का कहना है कि आगामी बजट से सीमा शुल्क सुधारों पर मुख्य जोर रहने की संभावना है। प्रमुख मांगों में शामिल हैं:

  • सीमा शुल्क दरों को युक्तिसंगत बनाना।
  • व्यवस्था को सरल बनाना।
  • मुकदमेबाजी और विवाद प्रबंधन को बेहतर बनाना।
सिंह ने उम्मीद जताई है कि फेजवाइज मैन्युफैक्चरिंग स्कीम की तर्ज पर इलेक्ट्रॉनिक्स, घरेलू उपकरण, हेल्थ सर्विस प्रोडक्ट्स, और फार्मास्युटिकल्स जैसे उद्योगों में कच्चे माल पर शुल्क कटौती की जा सकती है।

विनिर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन

पिछले बजट में सरकार ने कारोबार को सुगम बनाने के लिए सीमा शुल्क ढांचे की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी। इस बार भी उद्योग जगत को भरोसा है कि सरकार आयात शुल्क में कटौती और उलट शुल्क ढांचे को दुरुस्त करने जैसे कदम उठाएगी।

विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर बजट में इनपुट लागत को कम किया जाता है, तो इससे:

  1. घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा – उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
  2. रोजगार में इजाफा होगा – विशेष रूप से स्किल्ड और अनस्किल्ड लेबर के लिए।
  3. आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी – निर्यात बढ़ने की संभावना है।

विभिन्न स्लैब लाने की संभावना

प्राइस वॉटरहाउस एंड कंपनी एलएलपी के अनुराग सहगल के अनुसार, सरकार विभिन्न उत्पादों के लिए अलग-अलग सीमा शुल्क स्लैब लागू कर सकती है। यह वर्गीकरण कच्चे माल, मध्यवर्ती उत्पादों, और मूल्य वर्धित वस्तुओं के आधार पर किया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त, ग्रांट थॉर्नटन के मनोज मिश्रा का कहना है कि सीमा शुल्क विवादों में करीब 50,000 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं। यदि सरकार माफी योजना लाती है, तो इन विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी।

उलट शुल्क ढांचे को ठीक करने की जरूरत

नांगिया एंडरसन एलएलपी के शिवकुमार रामजी ने कहा कि उलट शुल्क ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। यह ढांचा तब बनता है जब कच्चे माल पर अधिक शुल्क लगता है और तैयार उत्पाद पर कम। इससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को नुकसान होता है।

निष्कर्ष

आगामी बजट में सरकार से यह अपेक्षा है कि वह लोकल मैन्युफैक्चरिंग को समर्थन देने के लिए कस्टम ड्यूटी में कटौती करेगी और सीमा शुल्क ढांचे को सरल बनाएगी। ये सुधार न केवल उद्योगों की लागत को कम करेंगे, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन में भी अहम भूमिका निभाएंगे।