- भारत,
- 03-Sep-2025 09:00 AM IST
GST Council Meeting: नई दिल्ली में आज से जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक शुरू हो रही है, जो 4 सितंबर 2025 को समाप्त होगी। पूरे देश की नजरें इस बैठक पर टिकी हैं, क्योंकि इसमें जीएसटी के टैक्स स्ट्रक्चर में बड़े पैमाने पर बदलाव की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) को घटाकर केवल दो स्लैब (5% और 18%) करने का ऐतिहासिक फैसला ले सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद का सबसे बड़ा सुधार होगा। इससे न केवल व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी कई वस्तुओं और सेवाओं पर राहत मिल सकती है।
12% और 28% स्लैब खत्म करने की योजना
जीएसटी काउंसिल की योजना के तहत, मौजूदा 12% और 28% के टैक्स स्लैब को समाप्त कर केवल 5% और 18% के स्लैब लागू किए जा सकते हैं। इस बदलाव का उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सरल और अधिक पारदर्शी बनाना है। जीएसटी काउंसिल के पदेन सचिव द्वारा पिछले महीने जारी सर्कुलर में इस बैठक के एजेंडे का उल्लेख किया गया था। साथ ही, रेवेन्यू सेक्रेटरी के नोटिस के अनुसार, 2 सितंबर को राज्यों और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर विचार-विमर्श भी हुआ। यह कदम टैक्स अनुपालन को आसान बनाने और व्यापारियों के लिए प्रक्रिया को सुगम करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
तंबाकू और सिगरेट के लिए 40% का सिन टैक्स
बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव तंबाकू, सिगरेट, गुटखा और अन्य हानिकारक (डीमेरिट) उत्पादों के लिए 40% का एक अलग टैक्स स्लैब लागू करने का है। इसे सिन टैक्स के रूप में जाना जा रहा है, जिसका मकसद न केवल राजस्व बढ़ाना है, बल्कि इन उत्पादों की खपत को नियंत्रित करना भी है। इसके अतिरिक्त, लग्जरी कार, हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स और कुछ विशेष सेवाओं को भी इस श्रेणी में शामिल किया जा सकता है। इस स्लैब से प्राप्त अतिरिक्त राजस्व का उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं को मजबूत करने में किया जा सकता है।
आम लोगों और कारोबारियों पर प्रभाव
वित्त और नीति विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी स्लैब में यह बदलाव बाजार में खपत को बढ़ावा देगा। टैक्स स्लैब की संख्या कम होने से व्यापारियों को अनुपालन में आसानी होगी, जिससे उनका समय और लागत बचेगी। साथ ही, उपभोक्ताओं को कई आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर कम टैक्स के कारण राहत मिल सकती है। राजनीतिक विश्लेषक आयुष नांबियार के अनुसार, जीएसटी लागू होने से पहले भारत का टैक्स सिस्टम जटिल और असंगठित था, जिसमें हर राज्य के अलग-अलग नियम व्यापार में बाधा डालते थे। जीएसटी ने देश को एकीकृत बाजार के रूप में जोड़ा, और अब यह प्रस्तावित बदलाव उस दिशा में एक और मजबूत कदम साबित हो सकता है।
जीएसटी कलेक्शन में मजबूती
जीएसटी स्ट्रक्चर में सुधार के साथ-साथ राजस्व संग्रहण के आंकड़े भी सकारात्मक संकेत दे रहे हैं। अगस्त 2025 में जीएसटी कलेक्शन 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.5% अधिक है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि देश की टैक्स प्रणाली लगातार मजबूत हो रही है और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी देखी जा रही है। यह वृद्धि सरकार के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जो जीएसटी सुधारों को लागू करने में और अधिक विश्वास पैदा कर सकती है।
