भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण उछाल दर्ज करते हुए, अक्टूबर 2025 में ग्रॉस वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कलेक्शन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह संग्रह 4. 6 प्रतिशत बढ़कर लगभग 1 और 96 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब सरकार ने दिवाली से पहले जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा की थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि त्योहारी मांग और उपभोक्ताओं की दबी हुई क्रय शक्ति ने आर्थिक गतिविधियों को एक नई गति प्रदान की है और यह आंकड़ा पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 के 1. 87 लाख करोड़ रुपये के संग्रह से अधिक है, जो देश की अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार और उपभोक्ता विश्वास को दर्शाता है।
जीएसटी दर कटौती की घोषणा और उसका प्रभाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अपने ऐतिहासिक भाषण में। देशवासियों को दिवाली से पहले जीएसटी दरों में कटौती का तोहफा देने का ऐलान किया था। इस घोषणा ने उपभोक्ताओं के बीच एक उम्मीद जगाई थी, जिसके परिणामस्वरूप कई लोगों ने अपनी खरीदारी को टाल दिया था। वे नई, कम दरों का लाभ उठाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे और यह रणनीतिक घोषणा न केवल सरकार की ओर से एक प्रोत्साहन थी बल्कि इसने बाजार में एक तरह की प्रत्याशा भी पैदा की, जिससे बाद में खरीदारी में तेजी देखने को मिली।
जीएसटी दरों में यह कटौती 22 सितंबर से पूरे देश में लागू हो गई थी। यह तारीख शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से मेल खाती है, जिसे भारतीय संस्कृति में नए। सामान खरीदने और शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। इस कटौती में रसोई के आवश्यक सामान से लेकर आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल तक, कुल 375 वस्तुओं को शामिल किया गया था। इन व्यापक कटौतियों का उद्देश्य उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ को कम करना और उन्हें त्योहारी सीजन के दौरान अधिक खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित करना था, जिसका सीधा असर अक्टूबर के जीएसटी कलेक्शन पर पड़ा।
त्योहारी मांग और दबी हुई खरीदारी का उछाल
उपभोक्ताओं ने प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद से ही अपनी खरीदारी को रोक रखा था, और जैसे ही नई दरें लागू हुईं, बाजार में एक साथ खरीदारी का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दबी हुई मांग ने त्योहारी उत्साह के साथ मिलकर एक शक्तिशाली आर्थिक लहर पैदा की, जिसने अक्टूबर के जीएसटी संग्रह को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दर्शाता है कि सही समय पर की गई नीतिगत घोषणाएं और त्योहारी भावना का मेल किस प्रकार आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।
अक्टूबर के जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े स्पष्ट रूप से त्योहारी सत्र की। बिक्री और उपभोक्ताओं की दबी हुई मांग के संयुक्त प्रभाव को दर्शाते हैं। नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही, जो 22 सितंबर से शुरू हुई थी, देश भर में खरीदारी का माहौल गर्म हो गया था और यह वह समय होता है जब लोग बड़े पैमाने पर कपड़े, गहने, इलेक्ट्रॉनिक्स, वाहन और घर के सामान खरीदते हैं। जीएसटी दरों में कटौती ने इस खरीदारी को और भी अधिक आकर्षक बना। दिया, जिससे उपभोक्ताओं ने अपनी लंबित इच्छाओं को पूरा करने का अवसर देखा।
पिछले महीनों की तुलना में संग्रह और वृद्धि दर
हालांकि अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन में सालाना आधार पर 4 और 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, यह पिछले कुछ महीनों में देखी गई लगभग 9 प्रतिशत की औसत वृद्धि की तुलना में थोड़ी कम है। यह तुलनात्मक आंकड़ा बताता है कि जबकि त्योहारी मांग ने संग्रह को बढ़ाया, वृद्धि की गति पिछले कुछ समय से थोड़ी धीमी हुई है। सितंबर में, ग्रॉस जीएसटी कलेक्शन 1 और 89 लाख करोड़ रुपये रहा था, जबकि अगस्त में यह 1. 86 लाख करोड़ रुपये था।
यह पैटर्न दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में एक स्थिर वृद्धि तो है, लेकिन अक्टूबर की वृद्धि दर पिछले कुछ महीनों की तुलना में थोड़ी कम रही है। इसके बावजूद, 1. 96 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा अपने आप में एक। मजबूत प्रदर्शन है, खासकर जीएसटी दरों में कटौती के संदर्भ में। यह दर्शाता है कि भले ही प्रति वस्तु पर कर संग्रह कम हुआ हो, लेकिन। बिक्री की मात्रा में इतनी वृद्धि हुई कि कुल राजस्व में बढ़ोतरी दर्ज की गई।
राजस्व का विस्तृत विश्लेषण: घरेलू बिक्री और आयात कर
अक्टूबर 2025 के जीएसटी आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण घरेलू आर्थिक गतिविधियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दोनों के रुझानों को उजागर करता है। सकल घरेलू राजस्व, जिसे स्थानीय बिक्री का एक महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है, अक्टूबर में दो प्रतिशत बढ़कर 1. 45 लाख करोड़ रुपये हो गया और यह वृद्धि घरेलू बाजार में उपभोक्ता खर्च और व्यावसायिक गतिविधियों में निरंतरता का संकेत देती है, जो देश की आंतरिक आर्थिक शक्ति के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
दूसरी ओर, आयात कर में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जो लगभग 13 प्रतिशत बढ़कर 50,884 करोड़ रुपये रहा। आयात कर में यह वृद्धि देश में आयातित वस्तुओं की मांग में वृद्धि को दर्शाती है, जो या तो उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ती मांग या औद्योगिक उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल और पूंजीगत वस्तुओं के आयात में वृद्धि का परिणाम हो सकती है। इसके अतिरिक्त, जीएसटी रिफंड भी सालाना आधार पर 39. 6 प्रतिशत बढ़कर 26,934 करोड़ रुपये हो गया, जो व्यवसायों के लिए तरलता और अनुपालन में सुधार का संकेत हो सकता है। अक्टूबर 2025 में नेट जीएसटी रेवेन्यू 1 और 69 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की तुलना में 0. 2 प्रतिशत ज्यादा है, यह दर्शाता है कि शुद्ध राजस्व में भी मामूली वृद्धि दर्ज की गई है, जो सरकार के लिए एक स्थिर आय स्रोत को बनाए रखने में मदद करता है।