भारत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और बैटरी निर्माण के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना जैसी नीतियों ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया है, जिससे भारत अब दुनिया के प्रमुख ईवी बाजारों में से एक बन रहा है। हालांकि, भारत की इस बढ़ती सफलता से चीन खुश नहीं है और उसने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। चीन का आरोप है कि भारत की ये नीतियां वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करती हैं और उसकी अपनी औद्योगिक रणनीति की नकल हैं।
डब्ल्यूटीओ में चीन की चुनौती
चीन की शिकायत का मुख्य बिंदु भारत की PLI योजना और ईवी नीति है और ये योजनाएं भारतीय कंपनियों को घरेलू स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरियां बनाने के लिए सब्सिडी प्रदान करती हैं। चीन का तर्क है कि ये सब्सिडी विदेशी कंपनियों के लिए समान अवसर प्रदान नहीं करतीं और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देकर आयात को कम करने का प्रयास करती हैं, जो डब्ल्यूटीओ के नियमों के विपरीत है। डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत, ऐसी शिकायतों को पहले परामर्श के माध्यम से सुलझाने का प्रयास किया जाता है और चीन ने इसी तरह की शिकायतें तुर्की, कनाडा और यूरोपीय संघ के खिलाफ भी की हैं, जो ग्रीन टेक्नोलॉजी में अपने समर्थन को बढ़ा रहे हैं।
भारत से चीन की नाराजगी
भारत अपने आर्थिक विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखते हुए आयात पर निर्भरता कम करना चाहता है। ईवी और बैटरी उद्योग इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। सरकार ने इन क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए हैं ताकि भारत उच्च तकनीक वाले उत्पाद स्वयं बना सके। ये नीतियां धीरे-धीरे प्रभावी हो रही हैं और भारत एक बड़ा विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है और चीन के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि भारत के बढ़ते कदम उसकी वैश्विक विनिर्माण शक्ति को चुनौती दे रहे हैं।
**चीन की असली परेशानी क्या है?
दिलचस्प बात यह है कि चीन जिन नीतियों पर भारत पर आरोप। लगा रहा है, वे चीन की अपनी औद्योगिक नीतियों की ही झलक हैं। दशकों से चीन ने भारी सब्सिडी, सस्ते कर्ज और संरक्षणवादी नीतियों के माध्यम से अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दिया है, जिसने उसे दुनिया का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र बनने में मदद की। अब जब भारत भी इसी मॉडल को थोड़ा कम आक्रामक तरीके से अपना रहा है, तो। चीन इसे पसंद नहीं कर रहा, क्योंकि उसे अपनी बाजार हिस्सेदारी में कमी का डर है।