देश / चीन की तरह भारत बनेगा मैन्युफैक्चरिंग हब, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

Live Hindustan : Aug 06, 2020, 09:51 AM
Delhi: आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने (विनिर्माण केंद्र) बनाने की तैयारी जोरों पर है। इसके लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) चीन की तरह भारत को मैन्युफैक्चिरंग हब बनाने के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर ब्लू प्रिंट कर रहा तैयार है।  सूत्रों के अनुसार, डीपीआईआईटी की ओर से गठिति समिति और उद्योग जगत चीन पर निर्भरता खत्म करने के लिए मेक इन इंडिया के तहत भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का खाका तैयार कर रहे हैं।  डीपीआईआईटी ने पहले से चयनित 12 सेक्टर्स के अलावा आठ और सेक्टर्स का जोड़ा है, जिसपर काम किया जाएगा।

डीपीआईआईटी की तैयारी इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो कंपोनेंट्स, फर्नीचर, कृषि-रसायन, वस्त्र (जैसे मानव निर्मित सूत), एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान, दवा, जूते-चप्पल समेत एक दर्जन से अधिक चिन्हित क्षेत्रों के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का खाका जल्द से जल्द तैयार करना है। एक सरकार अधिकारी के अनुसार, हम राज्य सरकारों, केंद्र के विभागों और उद्योग जगत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। हम यह जानकारी जुटा रहे हैं कि किस-किस सेक्टर में हम जल्द से जल्द आत्मनिर्भर बन सकते हैं। उसके राह में क्या-क्या बाधा है उससे दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा उद्येश्य देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है। 


पवन गोयनका बन सकते हैं चेयरपर्सन

डीपीआईआईटी की ओर से गठित समिति के चेयनपर्सन महिंद्र और महिंद्रा के एमडी पवन गोयनका बन सकते हैं। इस समिति में जेएसडब्ल्यू स्टील के ज्वाइंट एमडी शेषगिरि राव, फिक्की, सीआईआई और एसोचैम आदि के प्रमुखों को शामिल किया गया है। वहीं, सरकार की ओर से डीपीआईआईटी के संयुक्त सचिव, मनमीत नंदा प्रतिनिधत्व करेंगे। 


रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिलेगी 

विशेषज्ञों का कहना है कि मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने से भारत के धीमे पड़ते निर्यात को तेज करने तथा रोजगार के अधिक अवसर सृजित करने में मदद मिल सकती है। उल्लेखनीय है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का करीब 15 प्रतिशत योगदान है। भारत सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जीडीपी में हिस्सेदारी को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। इसके साथ ही भारत की नजर चीन से निकल रही कंपनियों को आकर्षित कर ग्लोबल सप्लाई चेन पर कब्जा करने की है। 


छह राज्य सरकारें मोबइल निर्माण को बढ़ावा देने की दौड़ में  

देश के छह राज्य अपने यहां मोबाइल निर्माण को बढ़ावा देने की दौड़ में हैं। केंद्र सरकार की ओर से इलेक्ट्रॉनिकी विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) लाने के बाद उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की सरकारे 10 मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों को अपने राज्य में कई तरह छूट और रियायत देकर मैन्युफैक्चरिंग प्लान लगाने का प्रस्ताव भेजी हैं। केंद्र सरकार की प्रोडक्ट लिंक्ड स्कीम के अलावा ये राज्य मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा इन्सेंटिव देने को तैयार हैं। सबसे ज्यादा दिलचस्पी पेगाट्रोन को बुलाने में दिखाई जा रही है। यह कंपनी ऐपल की दूसरी बड़ी कॉन्ट्रेक्टर मैन्यूपैक्चरर है। भारत में इसे अपना प्लांट लगाना है।


कंपनियों को रिझाने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे


मोबाइल कंपनियों को आकर्षित करने में अब तक सबसे आगे उत्तर प्रदेश सरकार है। यूपी के ग्रेटर नोएडा में कई कंपनियों ने पहले से ही अपना प्लांट लगा रहा है। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने पेगाट्रोन और एप्पल  दोनों को चिट्ठी लिखी और कहा है कि पीएलआई में मिल रहे इन्सेंटिव के अलावा भी वह लगाई गई पूंजी पर 20 फीसदी इन्सेंटिव देगी। साथ ही जमीन पर 25 फीसदी सब्सिडी देगी। यूपी सैमसंग को इस स्कीम के तहत प्लांट लगाने का न्योता दे रही है। यूपी सरकार का कहना है कि उसे उम्मीद है कि सैमसंग विस्तार लिए उत्तर प्रदेश को ही चुनेगी। यहां सैमसंग मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट पहले से ही मौजूद है।


ठेके में पारदर्शिता लाने को एजेंसी का चुनाव

उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने और पारदर्शिता लाने के लिए डीपीआईआईटी ने एक एजेंसी का चयन करने का फैसला किया है। यह एजेंसी सार्वजनिक खरीद नियमों के अनुपालन में  परामर्श एजेंसी में भूमिका निभाएगा, जिसका उद्देश्य 'मेड इन इंडिया' उत्पादों को बढ़ावा देना होगा। एजेंसी चयन के लिए अनुरोध पत्र जारी किए गए हैं। गौरतलब है कि सरकार ने भारतीय वस्तुओं व सेवाओं को बढ़ावा देने और देश में रोजगार को बढ़ाने के लिए 15 जून, 2017 को सार्वजनिक खरीद आदेश, 2017 जारी किया था।

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