- भारत,
- 25-Aug-2025 07:20 AM IST
Modi 3.0 Government: केंद्र सरकार ने भारतीय निर्यातकों को वैश्विक बाजार में मजबूती प्रदान करने के लिए एक महत्वाकांक्षी एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन की योजना बनाई है। इस मिशन के तहत वित्त वर्ष 2025 से 2031 तक निर्यातकों को लगभग 25,000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाजारों में पहुंचाना और निर्यातकों को सस्ते व सुलभ ऋण उपलब्ध कराना है। यह योजना खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए लाभकारी होगी, जो वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं, जैसे कि अमेरिकी करों से उत्पन्न चुनौतियों, का सामना करते हैं।
मिशन का ढांचा और मंजूरी प्रक्रिया
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने इस प्रस्ताव को एक्सपेंडिचर फाइनेंस कमेटी (EFC) को भेजा है। EFC से मंजूरी मिलने के बाद यह प्रस्ताव केंद्रीय कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। मिशन का लक्ष्य अगले छह वर्षों में समावेशी और सतत निर्यात वृद्धि को बढ़ावा देना है। इसके लिए पारंपरिक दृष्टिकोण से आगे बढ़कर MSMEs के सामने आने वाली प्रमुख समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
इस मिशन को दो उप-योजनाओं के माध्यम से लागू करने की योजना है:
एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम (10,000 करोड़ रुपये से अधिक)
एक्सपोर्ट दिशा स्कीम (14,500 करोड़ रुपये से अधिक)
एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम: प्रमुख विशेषताएं
इस स्कीम के तहत सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बना रही है, जिनमें शामिल हैं:
इंटरेस्ट सबवेंशन सपोर्ट: अगले छह वर्षों के लिए 5,000 करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज सब्सिडी समर्थन, जिससे निर्यातकों को सस्ते ऋण मिल सकें।
वैकल्पिक ट्रेड फाइनेंस: वैकल्पिक व्यापार वित्तपोषण विकल्पों को बढ़ावा देना।
ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड: ई-कॉमर्स क्षेत्र के निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
कैश फ्लो समाधान: नकदी प्रवाह की कमी को दूर करने के लिए वित्तीय व्यवस्थाएं।
एक्सपोर्ट दिशा स्कीम: वैश्विक बाजार में भारतीय ब्रांड की पहचान
एक्सपोर्ट दिशा स्कीम का उद्देश्य भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता और वैश्विक स्वीकार्यता को बढ़ाना है। इसके तहत प्रस्तावित प्रमुख पहलें हैं:
निर्यात गुणवत्ता मानक: निर्यात गुणवत्ता मानकों को पूरा करने के लिए लगभग 4,000 करोड़ रुपये की सहायता।
विदेशी बाजार विकास: विदेशी बाजारों में भारतीय उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए 4,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश।
ब्रांडिंग और लॉजिस्टिक्स: भारतीय उत्पादों की ब्रांडिंग, भंडारण, और लॉजिस्टिक्स को मजबूत करना।
क्षमता निर्माण: अधिक से अधिक भारतीय उद्यमों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने के लिए प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराना।
वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कदम
यह मिशन न केवल भारतीय निर्यातकों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार की अनिश्चितताओं से निपटने में भी मदद करेगा। विशेष रूप से, MSMEs को सशक्त बनाने के लिए यह योजना महत्वपूर्ण साबित हो सकती है, क्योंकि ये उद्यम भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। सस्ते ऋण, बेहतर लॉजिस्टिक्स, और गुणवत्ता मानकों के साथ, भारतीय उत्पादों की वैश्विक बाजार में मांग बढ़ने की उम्मीद है।
