अमेरिका / वैश्विक वैज्ञानिक ज्ञान में भारत का योगदान कोविड-19 से लड़ने में मदद कर रहा है: फाउची

शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने कहा, "वैश्विक वैज्ञानिक ज्ञान में भारत के योगदान से सभी परिचित हैं...यह पहले से ही कोविड-19 की रोकथाम और देखभाल के समाधान दे रहा है।" उन्होंने कहा कि कोविड-19 के इलाज की सुरक्षा और प्रभावकारिता के मूल्यांकन के लिए ग्लोबल क्लीनिकल ट्रायल्स में भारतीय जांचकर्ताओं को शामिल करने को अमेरिका उत्सुक है।

वाशिंगटन: अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ एंथनी फाउची ने बृहस्पतिवार को कहा कि उनका देश कोविड-19 चिकित्सा विधि की सुरक्षा और असर के आकलन के लिए वैश्विक क्लिनिकल ट्रायल में भारतीय जांचकर्ताओं को शामिल करने के लिए इच्छुक है।

डॉ फाउची ने अमेरिका-भारत सामरिक एवं भागीदारी मंच द्वारा आयोजित संवाद के दौरान कहा कि अमेरिका के एलर्जी एवं संक्रामक रोग संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिजीजेज का भारत में समकक्ष एजेंसियों के साथ काम करने का लंबा इतिहास रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय से चले आ रहे भारत-अमेरिका टीका कार्य कार्यक्रम के तहत हमलोग सार्स-सीओवी-2 (सीवियर एक्यूट रेस्पीरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस 2) टीका से संबंधित अनुसंधान पर भारत के साथ काम जारी रखेंगे। हमलोग कोविड-19 चिकित्सा विधि की सुरक्षा एवं असर के आकलन के लिए वैश्विक क्लिनिकल ट्रायल में भारतीय जांचकर्ताओं को भी शामिल करने के लिए इच्छुक हैं।’’

एनआईएच और भारत के जैवप्रौद्योगिकी विभाग के साथ भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने पहले भी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक एवं जनस्वास्थ्य संबंधी खोज में मदद की है।

डॉ फाउची ने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि वे भविष्य में भी इसे जारी रखेंगे। वैश्विक वैज्ञानिक ज्ञान के क्षेत्र में भारत के योगदान से हम सभी परिचित हैं। सरकार के मजबूत समर्थन और व्यापक बायोफार्मा निजी क्षेत्र के सहयोग से इसी ज्ञान की बदौलत कोविड-19 रोकथाम और देखभाल के लिए समाधान प्रदान किया जा रहा है।’’

अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने कहा कि भारत ने अपनी और वैश्विक जरूरतों की पूर्ति के लिए टीका उत्पादन को बढ़ाया है। इसके लिए बेहतर गुणवत्ता का कच्चा माल और घटक सामग्री उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित करने में वह अमेरिका के सहयोग पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया का टीकाकरण करना ही इस महामारी की अगली लहर को रोकने और आर्थिक सुधार में तेजी लाने की दिशा में हमारा सर्वश्रेष्ठ तरीका है।’’

उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका स्वास्थ्य सहयोग नया नहीं है और इसके तहत ही दोनों देशों ने रोटावायरस के खिलाफ टीका विकसित किया है, जो बच्चों में गंभीर डायरिया का कारण बनता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने बेहद किफायती दर पर एचआईवी की दवाओं का निर्माण किया है जिनका इस्तेमाल अफ्रीकी देशों में होता है और यह अमेरिकी संगठनों एवं निजी क्षेत्र के बीच सहयोग के कारण हुआ है।

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि जब पिछले साल अमेरिका ऐसे ही संकट से गुजर रहा था तब भारत ही था जिसने अमेरिका को अहम चिकित्सीय मदद दी थी। भारत अपनी चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे में अब मदद के लिए कदम बढ़ाने की बारी हमारी है। इसलिए यह एक पारस्परिक सहयोग है।’’