Iran-Israel Conflict / भारत की कूटनीति का जलवा, ईरान ने भारतीय छात्रों की निकासी के लिए खोला एयर स्पेस

विदेशी धरती पर भारत की कूटनीति ने फिर कमाल किया है। इजरायल-ईरान युद्ध के बीच ईरान ने सिर्फ भारत के लिए अपना एयरस्पेस खोला, जिससे 1,000 छात्रों की वापसी संभव हुई। यह प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। पहली फ्लाइट आज रात दिल्ली पहुंचेगी, बाकी शनिवार को आएंगी।

Iran-Israel Conflict: विदेशी ज़मीन पर एक बार फिर भारतीय कूटनीति ने कमाल कर दिखाया है। इजरायल-ईरान युद्ध की आशंका और तनाव के माहौल में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए भारत सरकार ने एक प्रभावी और संवेदनशील पहल की। इसका नतीजा यह हुआ कि ईरान ने केवल भारत के लिए विशेष रूप से अपना एयरस्पेस खोलने का फैसला लिया। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की अंतरराष्ट्रीय साख और मजबूत विदेश नीति का जीवंत उदाहरण बन गया है।

ईरान ने सिर्फ भारत के लिए खोला हवाई क्षेत्र

ईरान ने स्पष्ट रूप से कहा कि उसका एयरस्पेस फिलहाल सिर्फ भारत के लिए खोला गया है ताकि वहां फंसे भारतीय नागरिकों, विशेषकर छात्रों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की जा सके। यह कदम इस बात का संकेत है कि भारत और ईरान के द्विपक्षीय संबंध कितने मजबूत और परस्पर सम्मान पर आधारित हैं।

तेहरान में फंसे करीब 1,000 भारतीय छात्रों की स्वदेश वापसी का रास्ता अब साफ हो गया है। इनमें से पहली फ्लाइट शुक्रवार रात लगभग 11 बजे दिल्ली पहुंचेगी। इसके बाद शनिवार को दो और फ्लाइट्स — एक सुबह और एक शाम — के जरिए बाकी छात्रों की वापसी सुनिश्चित की जाएगी।

छात्रों और परिजनों में राहत की लहर

तनावपूर्ण माहौल और युद्ध के डर के बीच यह खबर छात्रों और उनके परिजनों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। देश के अलग-अलग हिस्सों से ताल्लुक रखने वाले ये छात्र तेहरान और उसके आसपास के मेडिकल व टेक्निकल संस्थानों में पढ़ाई कर रहे थे। अब उनके चेहरों पर राहत की मुस्कान लौट आई है। भारत सरकार की सक्रियता और दूतावास की तत्परता ने समय रहते बड़ा संकट टाल दिया।

ईरान में कितने हैं भारतीय नागरिक?

भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2025 की शुरुआत तक ईरान में कुल 10,765 भारतीय नागरिक मौजूद थे। इनमें 6,000 से अधिक छात्र हैं, जो मुख्य रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए ईरान में रह रहे हैं। इसके अलावा करीब 4,320 अन्य भारतीय नागरिक – जिनमें व्यापारी, पेशेवर और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल हैं – भी ईरान में कार्यरत हैं।

वर्तमान संघर्ष की स्थिति में भारत सरकार ने न सिर्फ छात्रों बल्कि अन्य भारतीयों के लिए भी संपर्क और राहत प्रयासों को तेज किया है।

मोदी सरकार की कूटनीतिक सफलता

ईरान जैसे रणनीतिक और संवेदनशील देश से इस तरह का विशेष सहयोग मिलना भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के साथ-साथ 'जन हित और सुरक्षा' को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। यह मामला इसी दृष्टिकोण की पुष्टि करता है।

भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी जिम्मेदार और मानवीय शक्ति के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है।