India-US Tariff War / भारत का फ्यूल एक्सपोर्ट ट्रंप की टैरिफ लिस्ट से बाहर, US जाने वाले इन सामानों पर नहीं लगेगा टैरिफ

अमेरिका ने भारत से एक्सपोर्ट होने वाले डीजल और एटीएफ जैसे पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को टैरिफ से छूट दी है। हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार पर संभावित जुर्माने को लेकर स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत का सबसे बड़ा फ्यूल एक्सपोर्टर बना हुआ है।

India-US Tariff War: हाल ही में अमेरिका ने भारत से आयात किए जाने वाले डीजल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को आयात शुल्क (टैरिफ) से छूट देने का फैसला किया है। इसके अलावा, कच्चा तेल, एलएनजी, रिफाइंड फ्यूल, बिजली और कोयला जैसे ऊर्जा उत्पाद भी इस छूट की सूची में शामिल हैं। यह निर्णय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद आया है, जिसका उद्देश्य मौजूदा व्यापार बाधाओं को संबोधित करना था। हालांकि, ट्रंप ने यह भी संकेत दिया था कि रूस के साथ भारत के ऊर्जा और रक्षा संबंधों के कारण अलग से जुर्माना लगाया जा सकता है, लेकिन उनके हस्ताक्षरित कार्यकारी आदेश में इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है।

टैरिफ छूट वाले अन्य सामान

पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा, अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई अन्य सामानों को भी टैरिफ से छूट दी है। इनमें शामिल हैं:

  • फार्मास्युटिकल उत्पाद: टैबलेट, इंजेक्शन, सिरप जैसे तैयार दवाएं और दवा निर्माण में उपयोग होने वाला कच्चा माल।

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईसीटी उत्पाद: सेमीकंडक्टर, स्मार्टफोन, एसएसडी, और कंप्यूटर जैसे उपकरण।

यह छूट भारत के निर्यातकों, खासकर रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अमेरिका को पेट्रोलियम उत्पादों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।

भारत का अमेरिका को पेट्रोलियम निर्यात

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 48.6 लाख टन पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात किया, जिनकी कुल कीमत 4 अरब डॉलर से अधिक थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज इस क्षेत्र में अग्रणी रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोलियम उत्पादों को टैरिफ छूट की सूची में रखने से भारत और रिलायंस जैसी कंपनियों का कारोबार सामान्य रूप से चलता रहेगा।

रूस के साथ भारत का ऊर्जा व्यापार

फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद भारत ने रूसी कच्चे तेल को रियायती दरों पर बड़े पैमाने पर खरीदना शुरू किया। ऐतिहासिक रूप से, भारत अपना अधिकांश कच्चा तेल इराक और सऊदी अरब जैसे पश्चिम एशियाई देशों से आयात करता रहा है, लेकिन रूस से सस्ता तेल उपलब्ध होने के कारण भारत का आयात पैटर्न बदल गया। अमेरिकी प्रशासन ने अभी तक रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार पर किसी जुर्माने का संकेत नहीं दिया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और ऊर्जा क्षेत्र के लिए राहत की बात है।

भविष्य की संभावनाएं

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रूस से तेल आयात पर कोई प्रतिबंध या जुर्माना नहीं लगाया जाता, तो भारत के लिए यह एक सकारात्मक स्थिति होगी। साथ ही, पेट्रोलियम और अन्य सामानों पर टैरिफ छूट से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को और मजबूती मिलेगी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन की ओर से रूस के साथ भारत के ऊर्जा और रक्षा संबंधों पर भविष्य में किसी नीतिगत बदलाव की संभावना को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में यह घटनाक्रम वैश्विक भू-राजनीति और आर्थिक नीतियों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच संतुलित व्यापार संबंध बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि भविष्य में भी ऐसी नीतियां बनाई जाएं, जो पारस्परिक लाभकारी हों।