Indigo Crisis News / इंडिगो पर गहराया संकट: 5000 से अधिक उड़ानें रद्द, एंटीट्रस्ट जांच की आहट

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दिसंबर में 5000 से अधिक उड़ानें रद्द होने और हजारों यात्रियों के फंसे रहने के बाद, अब कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) एयरलाइन पर एंटीट्रस्ट जांच पर विचार कर रहा है। यह जांच बाजार में वर्चस्व के संभावित दुरुपयोग को लेकर हो सकती है।

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) के लिए चुनौतियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। दिसंबर महीने में ही 5000 से अधिक उड़ानों के रद्द होने और हजारों यात्रियों के विभिन्न हवाई अड्डों पर फंसे रहने के बाद, अब एयरलाइन पर एक नई मुसीबत का साया मंडरा रहा है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) इंडिगो के खिलाफ एंटीट्रस्ट जांच शुरू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जिससे एयरलाइन की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

उड़ानों का रद्द होना और यात्रियों की परेशानी

दिसंबर के शुरुआती हफ्तों में इंडिगो की 5000 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं, जिससे हजारों यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा है। इन रद्दीकरणों के कारण यात्रियों को अपनी यात्रा योजनाओं में बदलाव करना पड़ा, कई लोग हवाई अड्डों पर घंटों फंसे रहे, और कुछ को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। यह स्थिति एयरलाइन के लिए एक बड़ा परिचालन संकट बन गई है, जिसने उसकी विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े किए हैं। यह संकट ऐसे समय में आया है जब हवाई यात्रा की मांग आमतौर पर अधिक होती है, जिससे यात्रियों की निराशा और बढ़ गई है।

डीजीसीए का हस्तक्षेप और इंडिगो का जवाब

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने मामले की व्यापक जांच शुरू कर दी है। डीजीसीए ने इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और सीओओ इसिड्रे पोरक्वेरास को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें 24 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा गया था और हालांकि, इंडिगो ने अपने नेटवर्क को 'बहुत बड़ा और पेचीदा' बताते हुए तुरंत जवाब देने में असमर्थता व्यक्त की। एयरलाइन ने डीजीसीए से जवाब देने के लिए 15 दिन का समय मांगा है, जो नियमों के तहत एक वैध अनुरोध है। डीजीसीए इस मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है और इंडिगो के जवाब का इंतजार कर रहा है ताकि आगे की कार्रवाई तय की जा सके।

पायलटों की कमी और नए आराम नियम

उड़ानों के रद्द होने का मुख्य कारण पायलटों की भारी कमी है, जो नए आराम नियमों को सही तरीके से लागू न कर पाने के कारण उत्पन्न हुई है। पायलटों के लिए लागू किए गए नए आराम नियमों का उद्देश्य उनकी सुरक्षा और कार्य-जीवन संतुलन सुनिश्चित करना है, लेकिन इंडिगो इन नियमों के अनुरूप पर्याप्त क्रू उपलब्ध कराने में विफल रही है। एयरलाइन को कुल 2422 कैप्टन्स की आवश्यकता थी, लेकिन उसके पास केवल 2357 कैप्टन उपलब्ध थे, जिससे लगभग 65 कैप्टन्स की कमी हो गई और इस कमी ने एयरलाइन के परिचालन को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द हुई हैं।

सीसीआई की संभावित एंटीट्रस्ट जांच

उड़ानों के रद्द होने और यात्रियों की परेशानी के बीच, कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) अब इंडिगो पर एंटीट्रस्ट जांच शुरू करने पर विचार कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, सीसीआई इस बात की जांच कर सकता है कि क्या इंडिगो ने अपने बाजार में वर्चस्व का गलत इस्तेमाल किया है। यह जांच इस बात पर केंद्रित होगी कि क्या एयरलाइन ने यात्रियों के लिए सेवाओं में बाधा डाली है या उन पर अनुचित शर्तें थोपी हैं और सीसीआई इस मामले पर करीब से नजर रख रहा है और जल्द ही यह तय करेगा कि अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों की जांच शुरू की जाए या नहीं।

इंडिगो का घरेलू बाजार में प्रभुत्व

इंडिगो देश के घरेलू एयरलाइन बाजार का लगभग 65% हिस्सा नियंत्रित करती है, जिससे यह एक प्रमुख खिलाड़ी बन जाती है। बाजार में इस तरह का प्रभुत्व रखने वाली कंपनी पर प्रतिस्पर्धा अधिनियम के तहत विशेष जिम्मेदारियां होती हैं। सीसीआई यह सुनिश्चित करने के लिए काम करता है कि कोई भी प्रमुख कंपनी अपनी स्थिति का दुरुपयोग न करे और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बनी रहे। इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी उसे सीसीआई की निगरानी में लाती है, खासकर जब परिचालन संबंधी बड़े व्यवधान होते हैं।

प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 के तहत प्रतिबंध

कॉम्पिटिशन एक्ट की धारा 4 के अनुसार, कोई भी बड़ी या प्रमुख कंपनी अपने फायदे के लिए अनुचित या भेदभावपूर्ण नियम नहीं बना सकती है। यह धारा किसी सेवा या उत्पाद की आपूर्ति में बाधा डालने या ग्राहकों पर अनुचित शर्तें थोपने पर भी प्रतिबंध लगाती है। यदि सीसीआई को शुरुआती जांच में यह लगता है कि कोई कंपनी इन प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है, तो वह पूरी तरह से जांच शुरू करने का आदेश दे सकती है और इंडिगो के मामले में, यात्रियों को हुई असुविधा और सेवाओं में बाधा की शिकायतें इस धारा के तहत जांच का आधार बन सकती हैं।

पहले भी जांच के घेरे में आ चुकी है इंडिगो

यह पहली बार नहीं है जब इंडिगो एंटीट्रस्ट जांच के घेरे में आई है। एयरलाइन पहले भी ऐसी जांचों का सामना कर चुकी है। 2015 और 2016 में, इंडिगो के खिलाफ दो मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से एक व्यक्तिगत शिकायत यात्रियों पर अनुचित शर्तें लगाने को लेकर थी, जबकि दूसरा मामला एयर इंडिया की शिकायत (भर्ती में अपमानजनक तरीके) से संबंधित था। हालांकि, उन दोनों मामलों को सीसीआई ने खारिज कर दिया था। इस बार, स्थिति की गंभीरता और बड़े पैमाने पर उड़ानों के रद्द होने को देखते हुए, सीसीआई की जांच का परिणाम अलग हो सकता है।

आगे की राह और संभावित परिणाम

इंडिगो के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। एक ओर उसे डीजीसीए की जांच का सामना करना पड़ रहा है और परिचालन स्थिरता बहाल करनी है, वहीं दूसरी ओर सीसीआई की संभावित एंटीट्रस्ट जांच का खतरा मंडरा रहा है और यदि सीसीआई जांच शुरू करता है और इंडिगो को दोषी पाता है, तो एयरलाइन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है और उसे अपनी व्यावसायिक प्रथाओं में बदलाव करने का आदेश दिया जा सकता है। इन सभी चुनौतियों के बीच, इंडिगो को न केवल अपनी परिचालन दक्षता में सुधार करना होगा, बल्कि यात्रियों का विश्वास भी फिर से हासिल करना होगा।