Masoud Pezeshkian: ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान शुक्रवार को मॉस्को पहुंचे, जहां उन्होंने रूस के साथ एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि पर हस्ताक्षर किए। क्रेमलिन की दीवार के पास स्थित गुमनाम सैनिकों के स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करने के बाद, पेजेशकियान ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह बैठक जुलाई 2024 में राष्ट्रपति बनने के बाद पेजेशकियान और पुतिन के बीच तीसरी महत्वपूर्ण वार्ता थी।
रणनीतिक साझेदारी: विस्तृत दायरा
रूस और ईरान के बीच हस्ताक्षरित 'व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि' व्यापार, रक्षा, विज्ञान, शिक्षा और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों को शामिल करती है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने बताया कि यह संधि दोनों देशों के सहयोग को "अतिरिक्त प्रोत्साहन" प्रदान करेगी। पेजेशकियान ने इस साझेदारी को भविष्य के लिए एक "मजबूत नींव" करार दिया।
अंतरराष्ट्रीय पृष्ठभूमि और ट्रंप की नई भूमिका
यह संधि ऐसे समय में आई है, जब डोनाल्ड ट्रंप जल्द ही अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले हैं। ट्रंप ने ईरान के खिलाफ कठोर नीति अपनाने और यूक्रेन में शांति स्थापना के लिए काम करने का वादा किया है। हालांकि, क्रेमलिन ने संधि पर हस्ताक्षर और ट्रंप के शपथ ग्रहण के समय के बीच किसी भी संबंध से इनकार किया।
रूस-ईरान संबंध: मजबूती की ओर
फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस और ईरान के संबंध और गहरे हुए हैं। यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने ईरान पर रूस को सैकड़ों ड्रोन मुहैया कराने का आरोप लगाया है, लेकिन दोनों देशों ने इन दावों को खारिज कर दिया।
क्षेत्रीय संतुलन और नई संभावनाएं
यह साझेदारी पश्चिम एशिया में नए समीकरण पैदा कर सकती है। जहां रूस वैश्विक स्तर पर अलगाव झेल रहा है, वहीं ईरान आर्थिक और सैन्य दबावों का सामना कर रहा है। दोनों देशों के बीच यह समझौता न केवल उनके आपसी संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि पश्चिमी देशों के लिए नई कूटनीतिक चुनौतियां भी पेश करेगा।
भविष्य की राह
रूस और ईरान की यह पहल यह दर्शाती है कि दोनों देश भू-राजनीतिक और आर्थिक दबावों से निपटने के लिए एकजुट हो रहे हैं। यह संधि उनके संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकती है।इस ऐतिहासिक समझौते का असर न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण होगा।