India-China Relation / गलवान झड़प के बाद पहली बार चीन के दौरे पर जयशंकर, जानें कितने बदले दोनों देशों के रिश्ते

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन दौरे पर हैं। पांच वर्षों में पहली बार बीजिंग पहुंचे जयशंकर ने उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। गलवान संघर्ष के बाद यह दौरा भारत-चीन संबंधों को पटरी पर लाने की कोशिश है। वे तियानजिन में SCO बैठक में भी भाग लेंगे।

India-China Relation: विदेश मंत्री एस जयशंकर की पांच वर्षों में पहली चीन यात्रा ने भारत-चीन संबंधों को नई दिशा देने की उम्मीद जगाई है। बीजिंग में चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ उनकी मुलाकात और तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेना, दोनों देशों के बीच सार्थक संवाद की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस दौरे का उद्देश्य 2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद बिगड़े रिश्तों को सुधारना और आपसी विश्वास बहाली के लिए आधार तैयार करना है। जयशंकर की चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी इस दौरे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

चीन की चालबाजी और भरोसे की कमी

यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ा है, और चीन ने पाकिस्तान को सैन्य समर्थन देकर अपनी रणनीतिक चाल दिखाई है। 2020 से 2025 तक भारत-चीन संबंधों में भरोसे की कमी साफ झलकती है। गलवान झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को सहयोग से टकराव की ओर मोड़ दिया। सीमा विवाद को लेकर तनाव कम हुआ है, लेकिन इसका प्रभाव अब भी दोनों देशों के बीच सावधानी और दूरी के रूप में देखा जा सकता है।

मोदी-शी मुलाकात: आपसी विश्वास की पहल

हालांकि, इन वर्षों में संबंध पूरी तरह ठप नहीं हुए। रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने सकारात्मक संकेत दिए। मोदी ने इस दौरान मतभेदों को उचित तरीके से निपटाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता संबंधों का आधार होनी चाहिए। वहीं, शी ने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए और मिलकर काम करना चाहिए।

गलवान के बाद स्थिरता की ओर

गलवान घाटी में जून 2020 की झड़प ने दोनों देशों के संबंधों को निचले स्तर पर ला दिया था। यह पिछले कुछ दशकों में सबसे गंभीर सैन्य टकराव था। हालांकि, इसके बाद पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को कम करने के लिए दोनों पक्षों ने सैनिकों को पीछे हटाने और गश्त शुरू करने के समझौते किए। यह समझौता चार वर्षों से चले आ रहे तनाव को कम करने की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी गई। विशेष प्रतिनिधि तंत्र के तहत 2003 से अब तक 20 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं, जो दोनों देशों के बीच बातचीत के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।

रूस का सकारात्मक दृष्टिकोण

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेतों का जिक्र करते हुए रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिपक्षीय वार्ता के जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि इस समूह की अब तक विदेश मंत्रियों और अन्य मंत्रिस्तरीय स्तरों पर 20 से अधिक बैठकें हो चुकी हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।

सावधानी के साथ आगे बढ़ने का समय

जयशंकर की यह यात्रा भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करने का अवसर हो सकती है। दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक मॉडल भले ही अलग हों, लेकिन साझा हितों और आपसी सम्मान के आधार पर संबंधों को मजबूत करने की संभावना मौजूद है। गलवान के बाद बदले हालात में सावधानी और संवाद के जरिए ही विश्वास बहाली संभव है। यह दौरा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।