KGF स्टार यश की मां पुष्पलता, जो अब फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी सक्रिय रूप से कदम रख चुकी हैं, एक गंभीर विवाद में फंस गई हैं और उन्होंने अपनी पहली कन्नड़ फिल्म 'कोथलावाड़ी' के प्रचारक हरीश अरासु और पांच अन्य लोगों के खिलाफ ₹64. 8 लाख की धोखाधड़ी, धमकी और नकारात्मक प्रचार का आरोप लगाते हुए हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में एक विस्तृत शिकायत दर्ज कराई है। यह मामला कन्नड़ फिल्म उद्योग में विश्वासघात और वित्तीय अनियमितताओं की एक गंभीर तस्वीर पेश करता है, जिससे न केवल फिल्म की व्यावसायिक सफलता पर प्रश्नचिह्न लग गया है, बल्कि यश के परिवार की प्रतिष्ठा पर भी अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है। इस घटना ने फिल्म निर्माण के जटिल और अक्सर जोखिम भरे वित्तीय पहलुओं को उजागर किया है, जहां निर्माता अक्सर बाहरी एजेंसियों पर भरोसा करते हैं।
फिल्म 'कोथलावाड़ी' और प्रचार का जिम्मा: एक विश्वास का टूटना
पुष्पलता ने अपनी महत्वाकांक्षी कन्नड़ फिल्म 'कोथलावाड़ी' का निर्माण किया है, जो 1 अगस्त 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। एक नई फिल्म के लिए, विशेष रूप से एक नए निर्माता के लिए, प्रभावी प्रचार और विपणन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इसी आवश्यकता को समझते हुए, उन्होंने फिल्म के प्रचार और विपणन की जिम्मेदारी हरीश अरासु को सौंपी थी, जो एक अनुभवी फिल्म प्रमोटर के रूप में जाने जाते थे। फिल्म की शूटिंग 24 मई 2025 से शुरू होकर मध्य जुलाई तक तलकाडु, गुंडलुपेट, मैसूर और चामराजनगर जैसे विभिन्न सुरम्य स्थानों पर हुई थी। एक सफल रिलीज के लिए प्रचार एक महत्वपूर्ण पहलू होता है, और इसी कारण पुष्पलता ने हरीश पर भरोसा किया था कि वह फिल्म को दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह भरोसा ही अब धोखाधड़ी के आरोपों के केंद्र में है।
वित्तीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप: लाखों का हेरफेर
पुष्पलता की शिकायत के अनुसार, हरीश अरासु को फिल्म के प्रचार के लिए प्रारंभिक समझौते के तहत केवल ₹2. 3 लाख खर्च करने थे। यह एक स्पष्ट और लिखित समझौता था, जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की थी और हालांकि, आरोप है कि हरीश ने इस समझौते का उल्लंघन करते हुए, फिल्म के नाम का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न स्रोतों से ₹24 लाख अतिरिक्त जुटाए। यह राशि कथित तौर पर बिना किसी पारदर्शिता के एकत्र की गई थी। पुष्पलता का दावा है कि उन्होंने हरीश को कुल ₹64,87,700 रुपये दिए, जिसमें 31 जुलाई को प्रिंट मीडिया विज्ञापन के लिए दिए गए ₹4 लाख नकद भी शामिल थे। यह एक बड़ी राशि है जो फिल्म के प्रचार के लिए आवंटित की गई थी, लेकिन कथित तौर पर इसका दुरुपयोग किया गया, जिससे निर्माता को भारी वित्तीय नुकसान हुआ। यह धोखाधड़ी न केवल वित्तीय है, बल्कि यह एक निर्माता के विश्वास का भी उल्लंघन है।
धमकी और नकारात्मक प्रचार का खुलासा: फिल्म की छवि को नुकसान
जब पुष्पलता ने हरीश से इन बड़ी वित्तीय अनियमितताओं और खर्च की गई धनराशि का स्पष्टीकरण मांगा, तो स्थिति और बिगड़ गई और हरीश ने कथित तौर पर उन्हें धमकाया और ₹27 लाख और की मांग की, जो पहले से ही विवादित राशि के अतिरिक्त थी। यह मांग तब की गई जब पुष्पलता अपने निवेश का हिसाब मांग रही थीं, जिससे हरीश की मंशा पर और सवाल उठते हैं। 1 अगस्त को, फिल्म की रिलीज के दिन, पुष्पलता को एक और झटका लगा जब उन्हें पता चला कि फिल्म की प्रचार सामग्री गायब थी। यह एक सुनियोजित प्रचार अभियान के लिए एक बड़ा झटका था, जिससे फिल्म की शुरुआती पहुंच प्रभावित हुई और इसके बाद उन्हें जानकारी मिली कि हरीश फिल्म और उसकी टीम के खिलाफ सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से नकारात्मक प्रचार कर रहा था, जिससे फिल्म की छवि खराब हो रही थी और दर्शकों के बीच गलत संदेश जा रहा था।
व्यक्तिगत धमकियां और आपराधिक साजिश: सुरक्षा पर सवाल
आरोपों के अनुसार, हरीश ने पुष्पलता को केवल वित्तीय नुकसान ही नहीं पहुंचाया, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी धमकाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियाँ पोस्ट करने और उनके घर पर हंगामा करने की धमकी दी। यह केवल वित्तीय धोखाधड़ी का मामला नहीं रहा, बल्कि इसमें व्यक्तिगत धमकी और मानहानि के प्रयास भी शामिल हो गए, जिससे पुष्पलता की मानसिक शांति और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। स्थिति तब और गंभीर हो गई जब 15 अगस्त 2025 को पुष्पलता और फिल्म के निर्देशक श्रीराज को हरीश, मनु, नितिन और कुछ अन्य अज्ञात लोगों से धमकी भरे फोन आए और इन धमकियों ने मामले को और भी गंभीर बना दिया, जिससे पुलिस हस्तक्षेप की आवश्यकता महसूस हुई ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके और दोषियों को कानून के दायरे में लाया जा सके।
पुलिस में शिकायत और कानूनी कार्रवाई की मांग: न्याय की उम्मीद
इन सभी गंभीर आरोपों के बाद, पुष्पलता ने बिना किसी देरी के हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में हरीश अरासु, मनु, नितिन, महेश गुरु और स्वर्णलता (रणनायक) के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने धोखाधड़ी (IPC की धारा 420), आपराधिक धमकी (धारा 506), मानहानि (धारा 500), और आपराधिक साजिश (धारा 120B) जैसे गंभीर मामलों में कानूनी कार्रवाई की मांग की है। पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि सच्चाई सामने आ सके और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सके। यह मामला कन्नड़ फिल्म उद्योग में पारदर्शिता और नैतिकता के महत्व को रेखांकित करता है और यह दर्शाता है कि कैसे वित्तीय लेनदेन में सावधानी और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इस घटना से अन्य निर्माताओं और प्रमोटरों को भी सबक लेने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी से बचा जा सके।