देश / जानें कब और कैसे कम होगी महंगाई, क्या मानसून से ठंडी होगी यह आग? अर्थशास्त्रियों ने बताई अपनी राय

Zoom News : Jun 20, 2022, 08:10 AM
Delhi: सामान्य मानसून से बंपर कृषि उत्पादन और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से महंगाई के मोर्चे पर राहत मिल सकती है। अर्थशास्त्रियों ने यह राय जताई है। खाद्य वस्तुओं और ईंधन के महंगा होने से मुद्रास्फीति की दर कई वर्षों के उच्चतम स्तर पर है। खुदरा मुद्रास्फीति मई में सालाना आधार पर 7.04 प्रतिशत बढ़ी, जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 7.79 प्रतिशत था। मूल्यवृद्धि का तीन-चौथाई हिस्सा खाद्य पदार्थों से आ रहा है और सामान्य मानसून के चलते इसमें राहत मिलने की उम्मीद है।

खाद्य तेल की कीमतों में प्रमुख कंपनियों ने पहले ही कमी की घोषणा की है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अर्थशास्त्री विश्रुत राणा ने कहा कि वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतें मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के लिए एक प्रमुख प्रेरक कारक हैं और आगे खाद्य कीमतें मानसून पर निर्भर करेंगी। बेहतर मानसून से कृषि उत्पादन बढ़ेगा और कीमतों पर लगाम लगेगी। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक पहले ही प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है और आने वाले समय में इसमें 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी और हो सकती है।

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि वस्तुओं का शुद्ध आयातक होने के नाते भारत इस मोर्चे पर बहुत कुछ नहीं कर सकता है। हालांकि, प्रभाव को कम करने के लिए आयात शुल्क में कटौती की जा सकती है। हालांकि, इसकी अपनी सीमाएं हैं। ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि आपूर्ति बाधाओं को कम करने के लिए राजकोषीय नीतियां प्रभावी हो सकती हैं।

विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर: फिक्की

विनिर्माण क्षेत्र पर फिक्की के नवीनतम तिमाही सर्वेक्षण से पता चलता है कि 2021-22 की पहली तीन तिमाहियों में भारतीय विनिर्माण के पुनरुद्धार देखने के बाद, चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2021-22) में भी विकास की गति जारी रही है। साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अप्रैल-जून (2022-23) में भी तेजी जारी रहने से लंबे अंतराल के बाद अगली तिमाही में इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ कई क्षेत्रों नए मौके बढ़ सकते हैं।

रोजगार सृजन में सुधार हुआ

सर्वेक्षण के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 53 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि अगले तीन महीनों में अतिरिक्त कार्यबल की भर्ती पर विचार कर रहे हैं। जबकि वित्त वर्ष 2021-21 की तीसरी तिमाही में केवल 25 फीसदी ने कहा था कि वह अतिरिक्त भर्तियों की योजना बना रहे हैं। उत्तरदाताओं में 23% ने कहा कि उनके क्षेत्र में कुशल कार्यबल की कमी है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह आकलन ऑर्डर बुक में भी प्रतिबिंबित होता है क्योंकि पहली तिमाह में 55% उत्तरदाताओं को अधिक संख्या में ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।

विनिर्माण क्षेत्र में 77 फीसदी क्षमता का उपयोग

सर्वे के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में औसत क्षमता उपयोग 77% रहा जो उसकी पिछली तिमाही से अधिक है। यह इस क्षेत्र में बढ़ी हुई आर्थिक गतिविधि को दर्शाता है। पिछली तिमाहियों की तुलना में भविष्य के निवेश दृष्टिकोण में भी सुधार हुआ है, लेकिन सतर्क आशावाद बना हुआ है, क्योंकि 40% उत्तरदाताओं ने अगले छह महीनों में औसतन 14% क्षमता वृद्धि की योजना के बारे में जानकारी दी। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 54.8% उत्तरदाताओं ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल- जून 2022-23) में उच्च उत्पादन स्तर की सूचना दी, जिसमें उत्पादन में 10% से अधिक की वृद्धि की औसत उम्मीद थी।

12 क्षेत्रों से मिले उत्साहजनक संकेत

फिक्की के नवीनतम तिमाही सर्वेक्षण में वाहन, कैपिटल गुड्स, सीमेंट, केमिकल्स, उर्वरक, दवा , फुटवियर, मशीन टूल्स, धातु एवं धातु उत्पाद, पेपर, कपड़ा, खिलौने, टायर समेत बारह प्रमुख क्षेत्रों के लिए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए निर्माताओं की भावनाओं का आकलन किया गया। इनमें कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, लगभग सभी क्षेत्रों में मध्यम से मजबूत वृद्धि दर्ज करने की संभावना है। इन क्षेत्रों का तीन लाख करोड़ से अधिक का संयुक्त वार्षिक कारोबार है। इनसे जुड़ी 300 से अधिक विनिर्माण इकाइयों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त की गई हैं।

निर्यात में तेजी का अनुमान

सर्वे के मुताबिक निर्यात के लिए दृष्टिकोण सकारात्मक दिखाई दे रहा है। उत्तरदाताओं में 53.4% ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ​निर्यात में औसतन 15.2% की वृद्धि की उम्मीद है।


ब्याज दर से लागत बढ़ी

निर्माताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली औसत ब्याज दर बढ़कर 9.69% प्रति वर्ष हो गई है। लगभग 70% उत्तरदाताओं ने उच्च उधार दरों की मुश्किलों की जानकारी दी। 91% उत्तरदाताओं ने कहा कि लागत बढ़ी है। कम उपलब्धता और उच्च कच्चे माल की कीमतें विशेष रूप से स्टील, बढ़ी हुई परिवहन, रसद और माल ढुलाई लागत, और कच्चे तेल और ईंधन की कीमतों में वृद्धि उत्पादन की बढ़ती लागत में मुख्य योगदानकर्ता रही है। उत्पादन लागत में वृद्धि के लिए जिम्मेदार अन्य कारकों में बढ़ी हुई श्रम लागत, इन्वेंट्री ले जाने की उच्च लागत और विदेशी विनिमय दर में उतार-चढ़ाव शामिल हैं।

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