Lalu Prasad Yadav / लालू यादव के हैलोवीन उत्सव पर बीजेपी का हमला, कुंभ पर 'फालतू' टिप्पणी से जोड़ा

लालू प्रसाद यादव के परिवार द्वारा हैलोवीन मनाने पर बीजेपी ने निशाना साधा है। बीजेपी ने उनके कुंभ मेले को 'फालतू' बताने वाले पुराने बयान से जोड़ते हुए कहा कि आस्था पर हमला करने वालों को वोट नहीं मिलेंगे, खासकर बिहार चुनाव से ठीक पहले।

बिहार विधानसभा चुनाव से कुछ ही दिन पहले, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार में मनाए गए हैलोवीन उत्सव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन पर तीखा हमला बोला है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर अपने बच्चों की हैलोवीन पोशाक में तस्वीरें साझा कीं, जिसमें लालू यादव भी अपने पोते-पोतियों के साथ पोज देते नजर आए।

हैलोवीन का उत्सव और तस्वीरें

शुक्रवार को, लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं, जिनमें उनके बच्चे हैलोवीन की वेशभूषा में सजे हुए थे। इन तस्वीरों में बच्चों को ग्रिम रीपर और अन्य डरावनी वेशभूषा में देखा जा सकता है, जो इस पश्चिमी त्योहार की पारंपरिक थीम के अनुरूप है। इन तस्वीरों में सबसे खास बात यह थी कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी अपने पोते-पोतियों के साथ खुशी-खुशी पोज देते हुए दिखाई दिए। आचार्य ने अपनी पोस्ट के साथ 'सभी को हैलोवीन की शुभकामनाएं' कैप्शन लिखा, जो एक सामान्य बधाई थी, लेकिन जल्द ही यह राजनीतिक विवाद का केंद्र बन गई। यह पारिवारिक उत्सव, जिसमें लालू यादव की उपस्थिति ने चार चांद लगा दिए। थे, कुछ ही घंटों में एक बड़े राजनीतिक टकराव का कारण बन गया।

बीजेपी का तीखा पलटवार

जैसे ही ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, बीजेपी ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी। बीजेपी की किसान मोर्चा इकाई ने लालू यादव पर निशाना साधते हुए एक स्प्लिट वीडियो साझा किया। इस वीडियो में एक तरफ लालू यादव के परिवार के हैलोवीन उत्सव की तस्वीरें थीं, और दूसरी तरफ उनके एक पुराने बयान का जिक्र था, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले को 'फालतू' या 'अर्थहीन' बताया था और बीजेपी ने इस तुलना के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की कि लालू यादव एक विदेशी त्योहार मनाने में तो संकोच नहीं करते, लेकिन भारत की सदियों पुरानी धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराओं का अपमान करते हैं। यह प्रतिक्रिया बिहार में आगामी चुनावों के मद्देनजर विशेष रूप से महत्वपूर्ण। थी, जहां धार्मिक भावनाएं अक्सर चुनावी विमर्श का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं।

कुंभ पर 'फालतू' टिप्पणी का विवाद

बीजेपी ने अपने हमले में लालू यादव के उस पुराने बयान का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले को 'फालतू' करार दिया था। कुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और बड़े आयोजनों में से एक है, जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं। इस तरह के एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन को 'फालतू' कहना कई लोगों के लिए आस्था का अपमान माना गया था। बीजेपी ने इस बयान को हैलोवीन उत्सव से जोड़कर यह संदेश देने की कोशिश की कि लालू यादव और उनकी पार्टी धार्मिक भावनाओं के प्रति असंवेदनशील हैं। बीजेपी किसान मोर्चा ने अपने ट्वीट में तंज कसते हुए कहा, 'बिहार की जनता मत भूलिए, ये वही लालू यादव हैं जिन्होंने आस्था और आध्यात्म के महापर्व कुंभ को फालतू बताया और ब्रिटिश पर्व हैलोवीन मना रहे हैं और ' यह टिप्पणी सीधे तौर पर लालू यादव की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पर सवाल उठाती है।

बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक निहितार्थ

यह घटना बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई है, जिससे इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। बीजेपी ने इस मुद्दे को तुरंत भुनाया और इसे एक चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और उनका मुख्य तर्क यह था कि जो लोग आस्था पर हमला करते हैं, उन्हें बिहार की जनता वोट नहीं देगी। यह बयान सीधे तौर पर मतदाताओं की धार्मिक भावनाओं को अपील करता है और आरजेडी को एक ऐसी पार्टी के रूप में चित्रित करने का प्रयास करता है जो भारतीय संस्कृति और परंपराओं का सम्मान नहीं करती। ऐसे समय में जब चुनाव प्रचार अपने चरम पर है, इस तरह के बयान मतदाताओं के बीच ध्रुवीकरण पैदा कर सकते हैं और चुनावी नतीजों पर असर डाल सकते हैं। बीजेपी का यह कदम लालू यादव और उनकी पार्टी को। रक्षात्मक स्थिति में लाने की रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है।

आस्था और चुनावी राजनीति

भारतीय राजनीति में आस्था और धार्मिक पहचान हमेशा से एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है। राजनीतिक दल अक्सर धार्मिक भावनाओं को भुनाने की कोशिश करते हैं, खासकर चुनावों के दौरान। लालू यादव के हैलोवीन उत्सव और कुंभ पर उनकी पुरानी टिप्पणी को जोड़कर बीजेपी ने एक बार फिर इस बात पर जोर दिया है कि धार्मिक आस्था पर हमला करने वाले नेताओं को जनता स्वीकार नहीं करेगी और यह घटना दर्शाती है कि कैसे एक पारिवारिक उत्सव भी राजनीतिक रंग ले सकता है और चुनावी बहस का हिस्सा बन सकता है, खासकर जब इसमें एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती शामिल हो। बीजेपी ने इस अवसर का उपयोग आरजेडी की धर्मनिरपेक्षता की छवि पर सवाल उठाने और अपनी हिंदुत्ववादी विचारधारा को मजबूत करने के लिए किया है।

बिहार की चुनावी जंग में नया मोड़

इस विवाद ने बिहार की चुनावी जंग में एक नया मोड़ ला दिया है और जहां एक ओर आरजेडी सामाजिक न्याय और विकास के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी ने इस घटना के माध्यम से सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के मुद्दे को सामने लाकर बहस को एक अलग दिशा दे दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद बिहार के मतदाताओं पर कितना असर डालता है और क्या लालू यादव की पार्टी इस आरोप का प्रभावी ढंग से जवाब दे पाती है और फिलहाल, बीजेपी ने इस मुद्दे को उठाकर आरजेडी पर दबाव बढ़ा दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि धार्मिक आस्था का मुद्दा आगामी चुनावों में चर्चा का विषय बना रहे।