Bihar Elections / महागठबंधन में दरार: तेजस्वी या राहुल, किसका भविष्य दांव पर?

बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर गहरी दरार उभरी है। सहयोगी दलों के बीच 'फ्रेंडली मुकाबले' हो रहे हैं, जिससे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी दोनों के सियासी भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। यह दरार इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है।

बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर गंभीर दरार सामने आई है। सहयोगी दलों के बीच अंतिम समय तक सहमति नहीं बन पाई, जिसके परिणामस्वरूप राज्य की 8 सीटों पर 'फ्रेंडली मुकाबले' हो रहे हैं। कांग्रेस, राजद और वामपंथी दल कई निर्वाचन क्षेत्रों में एक-दूसरे के खिलाफ। चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे महागठबंधन टूटता हुआ दिखाई दे रहा है। यह स्थिति तेजस्वी यादव और राहुल गांधी दोनों की राजनीतिक रणनीति पर सवाल उठा रही है और

नेतृत्व और भविष्य पर सवाल

वोटर अधिकार यात्रा के दौरान तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया था, लेकिन कांग्रेस ने तेजस्वी के मुख्यमंत्री पद के दावे पर सहमति नहीं जताई। जब तेजस्वी यादव सीट बंटवारे पर राहुल गांधी से मिलने दिल्ली। पहुंचे, तो उन्हें समय नहीं मिला, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ गई। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देना शुरू कर दिया, जिसके बाद अन्य सहयोगी पार्टियों ने भी अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया। पहले चरण के नामांकन समाप्त होने के बावजूद सीट बंटवारे की घोषणा। न होने से कई सीटों पर महागठबंधन के घटक दल आमने-सामने हैं।

बढ़ता आंतरिक कलह

औरंगाबाद जिले की कुटुम्बा सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम के खिलाफ राजद का उम्मीदवार उतारना तनाव का एक बड़ा कारण बना है और इसके अलावा, भाकपा ने रोसड़ा, राजापाकर और बिहारशरीफ में कांग्रेस उम्मीदवारों के खिलाफ प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि राजगीर में भाकपा (माले) और बछवाड़ा में कांग्रेस ने भाकपा के खिलाफ उम्मीदवार दिए हैं। राजद ने वैशाली और लालगंज में भी कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारे हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जिससे महागठबंधन की चुनौतियाँ और बढ़ गई हैं।

इंडिया गठबंधन की एकजुटता पर प्रश्नचिन्ह

कांग्रेस के भीतर भी असंतोष उभरा है, जिसमें पूर्व विधायक गजानंद शाही और छत्रपति यादव जैसे नेताओं ने टिकट वितरण में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। एनडीए बिहार चुनाव में एकजुट दिख रहा है, जबकि इंडिया गठबंधन बिखरा हुआ नजर आ रहा है। यह स्थिति राहुल गांधी की एक मोर्चे का नेतृत्व करने की क्षमता पर सवाल उठाती। है, खासकर जब ममता बनर्जी जैसे नेताओं ने पहले भी उनके नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। यदि इस दरार के कारण चुनाव परिणाम प्रभावित होते हैं, तो न केवल तेजस्वी यादव का भविष्य दांव पर लगेगा, बल्कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर भी गंभीर सवाल उठेंगे, जिसका असर आगामी विधानसभा चुनावों जैसे पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी दिख सकता है।