मुंबई / राष्ट्रपति शासन के दौरान महाराष्ट्र विधानसभा निलंबित रहेगी, सरकार बनने की संभावना अभी भी बरकरार

Dainik Bhaskar : Nov 13, 2019, 07:50 AM
नई दिल्ली | महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के 19 दिन बाद मंगलवार को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य के तीन प्रमुख दलों भाजपा, शिवसेना और राकांपा को सरकार बनाने का न्योता दिया था, लेकिन कोई भी दल सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाया। 

सवाल-जवाब में समझें राज्य की स्थिति

किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की प्रक्रिया क्या होती है और किस आधार पर राष्ट्रपति शासन लगता है?

अगर राज्यपाल सिफारिश करें या राष्ट्रपति इस बात पर संतुष्ट हो जाएं कि राज्य संविधान अनुसार नहीं चल सकता या सरकार नहीं बन सकती, संवैधानिक तंत्र असफल हो गया है, तो वे राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। इसके लिए राज्यपाल संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजते हैं। कैबिनेट इसे मंजूरी देकर राष्ट्रपति के पास भेजती है। राष्ट्रपति इस पर अंतिम फैसला लेते हैं।

राज्यपाल ने तीन दलों को सरकार बनाने का न्योता दिया, कांग्रेस को यह मौका क्यों नहीं मिला?

यह राज्यपाल के विवेक पर निर्भर करता है। राज्यपाल चाहें, तो चौथी पार्टी को बुला सकते हैं और अगर वे समझें कि चौथी पार्टी के पास सीटें बहुत कम हैं, तो उसे न बुलाने का फैसला भी कर सकते हैं। कांग्रेस अगर खुद भी सरकार बनाने का दावा करती, तो उनका दावा स्वीकार करना राज्यपाल के विवेक पर ही निर्भर करता।

राष्ट्रपति शासन लगने के बाद विधानसभा के पास कोई शक्ति रहती है?

राष्ट्रपति शासन लागू करने के आदेश में विधानसभा को भंग करने या निलंबित रखने (सस्पेंडेड एनीमेशन) का उल्लेख होता है। भंग किए जाने की स्थिति में विधानसभा के पास कोई शक्ति नहीं होती और 6 महीने के अंदर दोबारा चुनाव कराने जरूरी होते हैं। अगर राज्यपाल को लगता है कि राज्य में स्थिति बदल सकती है या सरकार बनाई जा सकती है, तो वे विधानसभा को निलंबित करने की सिफारिश करते हैं।

महाराष्ट्र में क्या स्थिति बनेगी?

महाराष्ट्र में विधानसभा को निलंबित किया गया है। अब यहां आगे सरकार बनने की संभावना बनी रहेगी। सामान्य तौर पर यह राज्यपाल पर ही निर्भर करता है कि वे राष्ट्रपति को विधानसभा को भंग करने या निलंबित रखने की सिफारिश करें।

कुछ दिनों बाद सरकार बनने की संभावना बनती है, तो क्या राष्ट्रपति शासन हटाया जा सकता है?

विधानसभा निलंबित किए जाने पर, राष्ट्रपति शासन कभी भी हटाया जा सकता है और विधानसभा अपनी मूल स्थिति में लौट सकती है। यानी 1 महीने या 2 महीने बाद, जब भी कभी सरकार बनने की स्थिति बने, तो राष्ट्रपति शासन हटाया जा सकता है।

अगर विधानसभा भंग होती, तो क्या स्थिति होती?

अगर राष्ट्रपति शासन के आदेश में विधानसभा भंग की जाती, तो फिर 6 महीने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन रहता और इन 6 महीनों के अंदर-अंदर राज्य में विधानसभा चुनाव कराने पड़ते।

मध्यावधि चुनाव में भी सरकार नहीं बन पाए, तब क्या?

विधानसभा भंग होने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव के बाद भी अगर कोई दल या गठबंधन सरकार बनाने के लिए जरूरी संख्या बल नहीं जुटा पाता और राज्यपाल को सरकार बनने के आसार नजर नहीं आते, तो वे फिर से राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हैं। हालांकि संविधान इस बात की आशा करता है कि चुनाव में जनता किसी एक दल या गठबंधन को बहुमत से चुनें, संविधान ऐसी नकारात्मक कल्पनाएं नहीं करता कि बार-बार चुनाव हों और सरकार का गठन ही न हो पाए।

कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितने दिनों के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है?

निलंबन की स्थिति में राज्यपाल कभी भी राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश कर सकते हैं। लेकिन ज्यादा से ज्यादा 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। इस अवधि के अंदर सरकार बनानी होती है। अगर राष्ट्रपति शासन को छह महीने के लिए और बढ़ाना हो तो संसद के दोनों सदनों से अनुमोदन लेना होता है। 1992-93 में मध्यप्रदेश में 355 दिन राष्ट्रपति शासन रहा था। इसके बाद विधानसभा चुनाव कराए गए थे।

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