सर्वदलीय बैठक / तानाशाह चीन के खिलाफ हम केंद्र सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं: ममता बनर्जी

Live Hindustan : Jun 19, 2020, 10:19 PM
नई दिल्ली | लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ भारतीय जवानों के संघर्ष के बाद उपजे तनाव को लेकर शुक्रवार (19 जून) को केंद्र द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह राष्ट्र के लिए एक अच्छा संदेश है, जो ये दिखाता है कि हम अपने जवानों के पीछे एकजुट हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि बैठक में ममता बनर्जी ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी उद्योग में चीन की भारत में एंट्री को बैन कर देना चाहिए, फिर चाहे हमें थोड़ा नुकसान ही क्यों ना हो। उन्होंने कहा, "चीन को किसी भी सूरत में भारत के दूरसंचार, रेलवे और उड्डयन (एविएशन) क्षेत्रों में प्रवेश की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। इससे हमें कुछ दिक्कतों का सामना जरूर करना पड़ेगा, लेकिन हमें चीन को घुसने नहीं देना है।"

ममता बनर्जी ने कहा, "चीन में लोकतंत्र नहीं है। वे एक तानाशाही हैं। वे वही कर सकते हैं जो वे महसूस करते हैं। दूसरी ओर, हमें एक साथ काम करना होगा। भारत जीत जाएगा, चीन हार जाएगा। एकता के साथ बोलिए। एकता के साथ सोचें। एकता के साथ काम करें। हम सरकार के साथ हैं।" 

वहीं, जेडीयू चीफ और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "चीन के खिलाफ देशभर में गुस्सा है। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। हम एक साथ हैं।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7-लोक कल्याण मार्ग पर भारत-चीन सीमा स्थिति पर चर्चा के लिए सर्वदलीय वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में 20 पार्टियों ने हिस्सा लिया।

कर्नल समेत 20 भारतीय जवान शहीद, चीन के 43 जवान हताहत

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं के बीच गतिरोध कम करने के प्रयासों के बीच सोमवार (15 जून) को गलवान घाटी में तीन घंटे तक दोनों सेनाओं के बीच चले खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के एक कमांडिग अधिकारी (कर्नल) समेत 20 जवान शहीद हो गए। इस झड़प में चीनी जवानों के मारे जाने की भी पुष्टि की गई, लेकिन चीन की तरफ से यह नहीं बताया गया है कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए हैं। पर न्यूज एजेंसी एनएनआई को मिली जानकारी के अनुसार 43 चीनी सैनिक या तो गंभीर रूप से घायल हुए हैं या मारे गए हैं। चीन द्वारा हताहत हुए सैनिकों की संख्या सावर्जनिक नहीं किए जाने की बाबत कहा जा रहा है कि बीजिंग की तरफ से गुडविल के तौर पर ऐसा किया जा रहा है ताकि दोनों देशों की जनता के बीच सैनिकों की मौतों को लेकर तुलना न हो। हालांकि उसी दिन घायल सैनिकों की तलाश में चीनी हैलीकॉप्टर दिन भर एलएसी के करीब देखे गए और घायल जवानों को एयर लिफ्ट करने की कोशिश की गई। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी नहीं हुई।

1967 के बाद पहली बार PLA के साथ झड़प में भारतीय सैनिक की मौत

सोमवार (15 जून) को हुआ संघर्ष नाथू ला में 1967 में हुई उस झड़प के बाद सबसे बड़ा संघर्ष है जिसमें चीन के 300 से अधिक सैनिक मारे गए थे और भारत के लगभग 80 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 1975 में चीन की सेना के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सैनिक की मौत हुई थी। 1975 में अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में दोनों देशों के बीच अस्थाई सीमा के पास घात लगाकर किए गए हमले में चार भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे।

पूर्वी लद्दाख के इलाकों में चल रहा है विवाद

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी में गतिरोध चल रहा है। काफी संख्या में चीनी सैनिक अस्थायी सीमा के अंदर भारतीय क्षेत्र में पैंगोंग सो सहित कई स्थानों पर घुस आए हैं। भारतीय सेना ने घुसपैठ पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए उनकी तुरंत वापसी की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच पिछले कुछ दिनों में कई वार्ताएं हुई हैं। भारत और चीन का सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर है। चीन, तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है जबकि भारत इसे अपना अभिन्न अंग बताता है।

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