Uniform Civil Code / UCC पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक, विपक्ष के गले की बना फांस

Zoom News : Jun 28, 2023, 06:01 PM
Uniform Civil Code: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले मोदी सरकार समान नागरिक संहिता (UCC) के मुद्दे पर कदम बढ़ाने जा रही है. पीएम मोदी ने भोपाल की रैली में साफ शब्दों में कह दिया है कि देश को दो कानून से नहीं चलाया जा सकता है. इसे लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दबाव उन पर है, लेकिन विपक्ष भ्रम फैला रहा है. प्रधानमंत्री के यूसीसी पर दिए गए बयान के बाद देशभर की सियासत गरमा गई है.

पीएम मोदी का यूसीसी पर बयान ऐसे समय आया है, जब विपक्षी दल एकजुट होकर 2024 के आम चुनाव में बीजेपी के खिलाफ उतरने की कवायद कर रहे हैं. पटना में विपक्षी दलों की बैठक में गठबंधन के लिए सहमति भी काफी हद तक बन गई है. ऐसे में पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाकर बड़ा सियासी दांव चल दिया है. इसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है तो विपक्ष के लिए ये गले की फांस बन सकता है.

बता दें कि विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर 30 जून तक देश की जनता और तमाम धार्मिक संगठनों से उनके विचार मांगे हैं. ऐसे में पीएम मोदी ने भोपाल की रैली में यूसीसी को लेकर पहली बार बयान दिया. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वोटबैंक के चलते विपक्षी दलों ने मुसलमानों को यूसीसी के मुद्दे पर भड़काने और भ्रम फैलाने का काम किया है. सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर हमसे लगातार पूछ रहा है कि कब लागू कर रहे हैं, लेकिन विपक्षी पार्टियां इसे लागू नहीं होने देना चाहती हैं. पीएम मोदी का साफ-साफ कहना है कि यूसीसी की राह में विपक्ष बाधा बन रहा है, जिसके चलते ही लागू नहीं हो पा रहा.

यूसीसी को लेकर विपक्ष बंटा

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सियासत तेज हो गई है. बीजेपी आक्रामक मोड में नजर आ रही है तो विपक्ष बंटा हुआ नजर आ रहा है. आम आदमी पार्टी समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर मोदी सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है तो कांग्रेस खुलकर विरोध नहीं कर पा रही है. कांग्रेस महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे से भटकाने का दांव बता रही है तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने चुप्पी अख्तियार कर रखी है जबकि डीएमके विरोध में उतर गई है. इस तरह विपक्ष बिखरा हुआ है.

बीजेपी को मिला AAP का साथ

समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी मोदी सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही है और देश में यूसीसी को लागू किए जाने के पक्ष में है. AAP नेता संदीप पाठक ने कहा कि यूसीसी के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी केंद्र सरकार को सैद्धांतिक रूप से समर्थन करती है, क्योंकि अनुच्छेद 44 भी समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात करता है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा है कि यूसीसी पर सभी धर्म, समाज, राजनीतिक दल और संगठनों के साथ विस्तारपूर्वक चर्चा और सहमति बनाने के बाद ही लागू किया जाए.

डीएमके खुलकर कर रही विरोध

समान नागरिक संहिता पर डीएमके ने सवाल उठाते हुए कहा कि पहले इसे हिंदुओं पर लागू किए जाना चाहिए. डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि हिंदुओं की सभी जातियों के लोगों को मंदिर में जाने और पूजा-अर्चना करने की अनुमति दी जाए. देश में अभी भी दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को कई मंदिरों में जाने और प्रार्थना करने की इजाजत नहीं है. यूसीसी का विरोध करते हुए डीएमके ने कहा कि संविधान ने हर धर्म को सुरक्षा दी है, जिसके चलते यूसीसी हमें नहीं चाहिए.

कशमकश में कांग्रेस

कांग्रेस यूसीसी के मुद्दे पर कशमकश में है और खुलकर स्टैंड नहीं ले पा रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम से लेकर केसी वेणुगोपाल तक ने आम लोगों से जुड़े मुद्दे से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण करने वाला बताया है. चिदंबरम ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और बढ़ते अपराधों के मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए पीएम मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत कर रहे हैं. साथ ही कहा कि बीजेपी ध्रुवीकरण के लिए यूसीसी का इस्तेमाल कर रही है. चिदंबरम ने कहा कि यूसीसी को थोपा नहीं जा सकता है और अगर थोपा जाएगा तो समाज में विभाजन और भी बढ़ेगा. चिदंबरम के सुर में सुर मिलाते हुए कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि गरीबी, महंगाई और बेरोजगारी के लोगों को ध्यान भटकने के लिए इस तरह से मुद्दों को उठा रहे हैं.

आरजेडी-जेडीयू का स्टैंड

यूसीसी के मुद्दे पर आरजेडी नेता व राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा कि समान नागरिक संहिता को जो लोग मुसलमानों के नजरिए से देख रहे हैं, वो इस कोड को समझ नहीं पा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी को समझना चाहिए कि वो फैसला कुछ भी कर लें, लेकिन देश उसे स्वीकार नहीं करेगा. बिहार में आरजेडी की सहयोगी जेडीयू भी यूसीसी के विरोध में खड़ी है. जेडीयू के नेता विजय चौधरी ने कहा कि पीएम मोदी के द्वारा गठित विधि आयोग ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें यूसीसी को सही नहीं माना गया है. विपक्षी एकता के चलते ही मोदी ने यूसीसी को उठाया है. इससे उनकी घबराहट साफ दिखती है.

मुस्लिम दल और संगठन कर रहे विरोध

समान नागरिक संहिता को लेकर मुस्लिम राजनीतिक दल और संगठन खुलकर विरोध कर रहे हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि यूसीसी का विरोध करेंगे, क्योंकि उनकी शरई हक में बाधा बनेगी. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री भारत की विविधता को समस्या मानते हैं. इसीलिए इस तरह की वो बातें कर रहे हैं. यूसीसी के नाम पर देश की विविधता को छीन लेंगे.

उद्धव ठाकरे UCC पर चुप क्यों?

उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर चुप्पी अख्तियार कर रखी है जबकि एक समय तक इसे लागू किए जाने का समर्थन करती रही है. विधि आयोग ने जब पिछले दिनों राजनीतिक संगठनों से राय मांगी थी तो उद्धव ठाकरे ने कहा था कि समान नागरिक संहिता के विचारों का उनकी पार्टी समर्थन करती है, लेकिन इससे सिर्फ मुस्लिमों को नहीं बल्कि हिंदुओं के लिए भी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. उद्धव ठाकरे का यूसीसी पर यह नजरिया बीजेपी के साथा नाता तोड़कर विपक्षी खेमे में जाने के बदला है, क्योंकि उससे पहले तक इसका समर्थन करती रही है.

हिंदू वोट छिटकने का डर?

बता दें कि देश की सियासत 2014 के बाद बदल गई है. अब अल्पसंख्यक आधारित राजनीति की जगह बहुसंख्यक समुदाय के इर्द-गिर्द राजनीति हो गई है. अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों से कुछ सीटें तो जीती जा सकती हैं, लेकिन सत्ता पर काबिज नहीं हुआ जा सकता है. यही वजह है कि मुस्लिमों के मुद्दों पर कोई भी दल खुलकर खड़ा होना नहीं चाहता हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे बहुसंख्यक समुदाय उनसे खिसक सकता है. समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर भी विपक्षी दलों का स्टैंड क्लियर न होना भी इसी को दर्शाता है.

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