Giorgia Meloni / मुस्लिम कंट्री आउट, अमेरिका का नया बिचौलिया बन गया मेलोनी का इटली

जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में इटली अब केवल ईयू सदस्य नहीं, बल्कि अमेरिका का कूटनीतिक बिचौलिया बन गया है। यूक्रेन युद्ध, ईरान परमाणु वार्ता और रूस-यूक्रेन शांति प्रयासों में रोम की भूमिका बढ़ी है। अमेरिका-ईयू-इटली त्रिकोणीय संवाद से इटली वैश्विक कूटनीति का नया केंद्र बन रहा है।

Giorgia Meloni: जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में इटली अब केवल यूरोपीय संघ (EU) की सदस्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि वह वैश्विक राजनीति में एक नई भूमिका — अमेरिका का रणनीतिक कूटनीतिक बिचौलिया — निभा रहा है। यूक्रेन युद्ध, ईरान परमाणु वार्ता और रूस-यूक्रेन शांति प्रयास जैसे जटिल अंतरराष्ट्रीय मसलों में मेलोनी का इटली सक्रिय हस्तक्षेप कर रहा है। यह भूमिका पारंपरिक मुस्लिम मध्यस्थ देशों जैसे ओमान, तुर्की और कतर को पीछे छोड़ते हुए सामने आई है।

अमेरिका की छाया में रोम का उदय

यह बदलाव अचानक नहीं आया। अमेरिका की ओर से किया गया रणनीतिक इशारा और मेलोनी सरकार की आक्रामक व आकांक्षी विदेश नीति मिलकर इस परिवर्तन को संभव बना रहे हैं। इटली अब सिर्फ एक यूरोपीय शक्ति नहीं, बल्कि अमेरिका और यूरोप के बीच पुल का काम कर रहा है।

यूएस-ईयू-इटली त्रिकोणीय वार्ता: एक नया अध्याय

हाल ही में रोम में आयोजित यूएस-ईयू-इटली त्रिकोणीय बैठक में प्रधानमंत्री मेलोनी ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डर लेयेन की मेजबानी की। इस बैठक को ट्रांस-अटलांटिक संबंधों के एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है। यूक्रेन युद्ध पर चर्चा के दौरान मेलोनी की भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने अमेरिका और यूरोप के बीच सामंजस्य बनाकर यह दिखा दिया कि इटली अब पश्चिमी गठबंधन की नई धुरी बन चुका है।

रोम में ईरान-अमेरिका वार्ता: मध्यस्थता की नई परिभाषा

जहां पहले ईरान-अमेरिका की परमाणु वार्ताएं ओमान जैसे मुस्लिम देशों में होती थीं, अब उनका केंद्र रोम बनता जा रहा है। अमेरिका ने वार्ता के अगले चरण के लिए रोम को चुना है, और यह संकेत देता है कि वाशिंगटन अब मुस्लिम मध्यस्थों की बजाय ईसाई यूरोप, विशेष रूप से इटली, पर भरोसा जता रहा है। मेलोनी सरकार ने इसे एक अवसर की तरह लिया है, और कूटनीतिक जिम्मेदारी को राष्ट्रीय गौरव में बदलने का प्रयास किया है।

उपराष्ट्रपति वेंस की रोम में उपस्थिति, भले ही अनौपचारिक रही हो, लेकिन अमेरिका के गंभीर इरादों की पुष्टि करती है। यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका अब इटली को सिर्फ एक सहयोगी नहीं, बल्कि अपनी रणनीतिक योजना के केंद्र के रूप में देख रहा है।

वेटिकन में रूस-यूक्रेन वार्ता का प्रस्ताव: इटली की अगली चाल

मेलोनी ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है—पोप लियो XIV ने वेटिकन में रूस और यूक्रेन के बीच संभावित शांति वार्ता की मेज़बानी का प्रस्ताव दिया है। ट्रंप और पुतिन की हालिया बातचीत के बाद इस प्रस्ताव को एक गंभीर संभावना के रूप में देखा जा रहा है। यदि यह वार्ता वेटिकन में होती है, तो यह न केवल इटली की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को और ऊंचा करेगी, बल्कि मेलोनी की नेतृत्व क्षमता को भी वैश्विक मान्यता दिलाएगी।

मुस्लिम मध्यस्थों से आगे निकला रोम

जहां पहले मध्य-पूर्वी देश वैश्विक विवादों के मध्यस्थ के रूप में पहचाने जाते थे, अब रोम वह भूमिका निभा रहा है। यह बदलाव केवल एक भू-राजनीतिक परिवर्तन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और कूटनीतिक पुनर्संयोजन है। इटली की यह सक्रियता इस बात का संकेत है कि यूरोप में एक नया शक्ति केंद्र उभर रहा है—एक ऐसा केंद्र जो अमेरिका के निकट है, लेकिन अपनी स्वतंत्र पहचान बनाए रखे हुए है।