दुनिया / नीरव मोदी को भारत लाने का रास्ता साफ, प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन में आखिरी अपील खारिज

Zoom News : Dec 15, 2022, 07:22 PM
Nirav Modi Extradition: भारत के भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी की गुरुवार (15 दिसंबर) को ब्रिटेन (Britain) में प्रत्यर्पण के खिलाफ आखिरी अपील खारिज हो गई है. इसी के साथ नीरव मोदी (Nirav Modi) को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है. नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी में कथित संलिप्तता का खुलासा होने पर 2018 में भारत से भाग गया था. 

भारत में धोखाखड़ी और धनशोधन के आरोपों में मुकदमा चलाने के लिए वांछित नीरव मोदी को लंदन के उच्च न्यायालय ने ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में अपने प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. आरोपी ने तर्क दिया है कि अगर उसे प्रत्यर्पित किया जाता है तो आत्महत्या का जोखिम है. हालांकि, हाई कोर्ट में नीरव मोदी की अपील खारिज हो गई. 

हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

लंदन में रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में सुनाए गए एक फैसले में, लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने कहा कि अपीलकर्ता (नीरव मोदी) के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति के आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया है. नीरव मोदी इस समय लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में सलाखों के पीछे है. इस अपील के खारिज होने के साथ ही अब आरोपी के पास प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन में कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है. 

बैंक घोटाले का खुलासा होने पर भारत से भागा

पिछले महीने नीरव मोदी ने ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के समक्ष ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में भारत में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति के लिए एक आवेदन दायर किया था. यह आवेदन 51 वर्षीय हीरा व्यापारी के मानसिक स्वास्थ्य के आधार पर प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील खारिज होने के बाद आया था. कोर्ट ने आरोपी की आत्महत्या के जोखिम वाली दलील को खारिज कर दिया. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले का खुलासा होने पर नीरव मोदी भारत से भाग गया था.

काफी समय से चल रही प्रत्यर्पण की कोशिश

नीरव मोदी 13,000 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले का मुख्य आरोपी है. भारतीय अधिकारी धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, सबूतों को नष्ट करने और गवाहों को डराने के आरोपों का सामना करने के लिए काफी समय से नीरव मोदी (Nirav Modi) को ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रहे हैं. सीबीआई पीएनबी पर बड़े पैमाने पर अंडरटेकिंग (एलओयू) या ऋण समझौतों के माध्यम से धोखाधड़ी की जांच कर रही है, जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) उस धोखाधड़ी की आय के शोधन की जांच कर रहा है.

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