Lok Sabha Election 2024 / मोदी के गढ़ में नीतीश कुमार की रैली रद्द, JDU का अब जानें क्या है प्लान-B

Zoom News : Dec 15, 2023, 01:15 PM
Lok Sabha Election 2024: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से मिशन-2024 का शंखनाद करने के अरमानों पर पानी फिर गया है. नीतीश कुमार की 24 दिसंबर को वाराणसी के रोहनिया क्षेत्र में होने वाली रैली के लिए जगह न मिलने के चलते रद्द कर दी गई है. इसे लेकर सियासत शुरू हो गई है.जेडीयू ने आरोप लगाया कि योगी सरकार के दबाव के चलते कॉलेज प्रशासन ने नीतीश कुमार की रैली के लिए अनुमति नहीं दी है. बीजेपी नहीं चाहती है कि नीतीश कुमार वाराणसी में रैली करें. बीजेपी को डर लग रहा है. वहीं, बीजेपी ने कहा कि तीन राज्यों में बीजेपी की मिली जीत से नीतीश कुमार खुद डर गए हैं और रैली करने से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं.

नीतीश कुमार की रैली को नहीं मिली इजाजत

नीतीश कुमार बिहार से बाहर निकल कर यूपी, झारखंड, महाराष्ट्र में रैली करने का प्लान ऐसे ही नहीं बनाया है बल्कि 2024 के चुनाव में खुद विपक्ष के चेहरे को तौर पर स्थापित करने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. इसीलिए नीतीश ने अपनी रैली पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करने की योजना बनाई थी.

वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से मिशन-2024 के शंखनाद कर देश को यह संदेश देना कि वो पीएम मोदी से किसी भी मामले में कम नहीं हैं. जेडीयू के इस मंसूबे पर पानी फिर गया है, क्योंकि जिस कॉलेज ग्राउंड में नीतीश की रैली होने वाली थी, उस कॉलेज के प्रशासन ने जनसभा की अनुमति नहीं दी. ऐसे में अब जेडीयू के पास क्या विकल्प है?

मोदी के बराबर खड़े होने का नीतीश प्लान

पीएम मोदी के गढ़ में नीतीश अपनी पहली सार्वजनिक रैली करके राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने की रणनीति है, ताकि समय आने पर विपक्ष खेमे में मजबूती से अपनी दावेदारी पेश कर सके. इसी मद्देनजर उन्होंने पहली चुनावी रैली अपने गृह राज्य बिहार से शुरू करने के बजाय वाराणसी को चुना है.

वाराणसी नरेंद्र मोदी का चुनाव क्षेत्र है और यह कुर्मी बहुल है. यहां रैली करने से नीतीश कुमार चर्चा के केंद्र में आ जाएंगे. नीतीश इस रैली से यह भी संदेश देने की कोशिश में थे कि देश के लिए उनका रोडमैप क्या है. ऐसे में रोहनिया की रैली रद्दे होने के बाद भी जेडीयू ने हार नहीं मानी और जनसभा के लिए नई जगह तलाश रही है.

बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का दांव

जेडीयू नेता श्रवण कुमार ने वाराणसी सर्किट हाउस में मीडिया से बात करते हुए प्रशासन की अनुमति न मिलने से 24 दिसंबर की रैली भले ही रद्द कर दी गई हो, लेकिन अब रैली के लिए दूसरी नई तारीख तय की जाएगी. नीतीश की रैली की इजाजत न देने की बात को हम जनता के बीच ले जाएंगे और वाराणसी के इलाके में ही नई जगह तलाश कर जल्द ही जनसभा आयोजित की जाएगी. सूत्रों की मानें तो जेडीयू वाराणसी से बाहरी इलाके में नीतीश की रैली के लिए जगह देख रही है. जेडीयू ने अपनी यूपी नेताओं को भी इसके लिए कह दिया है.

जेडीयू ने अभी तक सिर्फ नीतीश कुमार की वाराणसी में ही रैली कराने का प्लान बना रखा था, लेकिन अब इस प्रकरण के बाद पूर्वांचल क्षेत्र में कई रैलियां कराने की रूप रेखा बनाई जा रही है. नीतीश के जरिए पूर्वांचल के कुर्मी समुदाय के वोटों को बीजेपी के पाले से दूर करके विपक्षी खेमे में लाने की रणनीति है.

जेडीयू यूपी के अलग-अलग जिलों का दौरा करके नीतीश की रैली के निरस्त करने का आरोप बीजेपी के माथे पर मंढने का है. जेडीयू नेता यह बताने लगा हैं कि बीजेपी नीतीश कुमार की होने वाली रैली से डर गई है, जिसकी वजह से ही अनुमति नहीं मिली.

मोदी स्टाइल में नीतीश का प्लान

दिल्ली की सत्ता का रास्ता तय करने के लिए नीतीश कुमार पूरी तरह से पीएम मोदी की राह पर चल रहे हैं. 2014 में प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम की जब पहली बार घोषणा हुई थी, तो उनके बारे में यह कहा जाता था कि गुजरात मॉडल देश भर में लागू करेंगे. उसी तर्ज पर अब नीतीश कुमार के बिहार मॉडल को स्थापित करने और उसका आगाज यूपी से करने की रणनीति बनाई है. पीएम मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़कर देश के प्रधानमंत्री बने, उसी तरह नीतीश के भी यूपी के फूलपुर से चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू नेताओं ने प्रस्ताव रखा है.

पीएम मोदी ने जिस तरह से 2014 के चुनाव से पहले देशभर के अलग-अलग हिस्सों में रैली करके सियासी माहौल को बीजेपी के पक्ष में बनाया था, उसी तरह जेडीयू ने नीतीश कुमार की रैली का प्लान बनाया है. नीतीश कुमार की वाराणसी के अलावा झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में रैली करने का प्लान है. वाराणसी की रैली भले ही रद्द हो गई हो, लेकिन 21 जनवरी को झारखंड में उनकी जनसभा तय है.

इसके बाद फिर हरियाणा और महाराष्ट्र में भी रैली आयोजित की जाएगी. यूपी में नीतीश कुमार की कम से कम पांच रैली मार्च से पहले तक कराने की है, जिसके साथ मंच पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी साथ रहेंगे. इस तरह यूपी में नीतीश और अखिलेश की राजनीतिक जोड़ी बीजेपी से मुकाबला करने की तैयारी कर रही है. देखना है कि इसका सियासी लाभ क्या मिलता है?

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