India-Pakistan War / न गोला-बारूद, न हिम्मत... पाकिस्तान युद्ध में 4 दिन से ज्यादा नहीं टिक पाएगा

पाकिस्तान की युद्ध तैयारियों पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। हालिया हथियार निर्यात से उसका तोपखाना गोला-बारूद लगभग खत्म हो चुका है। सिर्फ चार दिन का युद्ध लड़ने लायक संसाधन बचा है। आर्थिक तंगी और हथियारों की कमी ने पाक सेना को सिर्फ दिखावटी ताकत में बदल दिया है।

India-Pakistan War: पाकिस्तान की सैन्य तैयारियों पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों के ताज़ा खुलासों के मुताबिक, पाकिस्तान के पास उच्च तीव्रता वाले युद्ध की स्थिति में केवल चार दिन का तोपखाना गोला-बारूद शेष है। यह खुलासा ऐसे समय पर हुआ है जब पाकिस्तान ने हाल ही में यूक्रेन और इज़राइल को बड़े पैमाने पर हथियार निर्यात किए हैं। इस वजह से देश के भीतर रक्षा भंडार लगभग खाली हो चुके हैं, जिससे उसकी युद्ध नीति और सामरिक संतुलन पर बड़ा असर पड़ा है।

हथियार तो हैं, गोला-बारूद नहीं

पाकिस्तानी सेना का मुख्य दारोमदार M109 हॉवित्जर, BM-21 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर और SH-15 माउंटेड गन सिस्टम पर है। लेकिन इन आधुनिक हथियारों के लिए पर्याप्त गोला-बारूद नहीं बचा है। सुरक्षा सूत्रों की मानें तो SH-15 जैसे नए तोप सिस्टम के लिए तो एक भी शेल नहीं बचा है। इससे स्थिति यह बन गई है कि ये हथियार केवल शोपीस बनकर रह गए हैं — देखने में खतरनाक, लेकिन व्यावहारिक उपयोग में लगभग शून्य।

घरेलू ज़रूरतों पर भारी पड़ा निर्यात

पाकिस्तान ऑर्डनेंस फैक्ट्रियाँ (POF) अंतरराष्ट्रीय मांग पूरी करने में इतनी व्यस्त हैं कि वे घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहीं। यूक्रेन युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने 42,000 BM-21 रॉकेट, 60,000 हॉवित्जर शेल और 130,000 अन्य रॉकेट निर्यात किए। इससे देश को भले ही 364 मिलियन डॉलर की कमाई हुई हो, लेकिन सेना का गोला-बारूद भंडार न के बराबर रह गया।

वित्तीय लाभ की इस रणनीति ने पाकिस्तान को कुछ डॉलर तो दिलाए, लेकिन इसकी कीमत राष्ट्रीय सुरक्षा को चुकानी पड़ी। सेना की युद्ध क्षमता पर गहरी चोट पहुंची है, और पाकिस्तान की रणनीतिक स्थिति कमजोर पड़ी है।

अभ्यास पर रोक, पेट्रोल-राशन में कटौती

देश की आर्थिक स्थिति पहले से ही गंभीर है — IMF की शर्तें, विदेशी कर्ज का बोझ और घटता मुद्रा भंडार। इन सबके बीच सेना को भी अपने संसाधनों में कटौती करनी पड़ी है। टैंकों को चलाने के लिए पेट्रोल नहीं है, तो युद्ध अभ्यास भी बंद कर दिए गए हैं। राशन में कटौती तक करनी पड़ी है। यह स्थिति पाकिस्तान की सैन्य आत्मनिर्भरता और मनोबल — दोनों के लिए हानिकारक है।

2 मई 2025 को हुई स्पेशल कॉर्प्स कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भी यह स्वीकार किया गया कि हालात गंभीर हैं। पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल बाजवा भी पहले कह चुके हैं कि भारत जैसे देश से लंबी लड़ाई में पाकिस्तान टिक नहीं पाएगा।

भारत तैयार, पाकिस्तान असहाय

जहां भारत पिछले एक दशक में अपने रक्षा आयात में 60% से अधिक की बढ़ोतरी कर चुका है, वहीं पाकिस्तान के पास न तो संसाधन हैं और न ही समय। पाकिस्तान की नीति फिलहाल "अभी बेचो, बाद में सोचो" जैसी लगती है — जिसमें तात्कालिक डॉलर कमाने के लिए दीर्घकालिक सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है।

चार दिन का गोला-बारूद और टूटी रणनीति

आज की वैश्विक भू-राजनीति में जब हर देश अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने में जुटा है, पाकिस्तान की स्थिति चिंताजनक है। उसकी युद्ध नीति न केवल कमजोर हुई है, बल्कि उसकी सामरिक विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में आ गई है। जब युद्ध की बात आती है, तो सिर्फ हथियार नहीं, उनके लिए गोला-बारूद, ईंधन और रणनीति की भी ज़रूरत होती है — और फिलहाल पाकिस्तान इन सभी मोर्चों पर पिछड़ता दिख रहा है।