देश / यहां 250 साल से मकर संक्रांति पर सूना रहता है आसमान, नहीं उड़ती एक भी पतंग

Zoom News : Jan 13, 2023, 01:40 PM
Makar Sankranti Kite Flying: मकर संक्रांति (Makar Sankranti) का त्योहार 14 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाएगा. मकर संक्रांति मनाने वाले लोग सुबह उठकर स्नान करेंगे और फिर दान-पुण्य करेंगे. मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी एक खास परंपरा है. हालांकि, ये कहना तो मुश्किल है कि मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की शुरुआत कब से हुई, लेकिन राजस्थान में एक ऐसा शहर है जहां पिछले 250 साल से मकर संक्रांति पर एक भी पतंग नहीं उड़ाई गई है. आइए जानते हैं कि यहां मकर संक्रांति पर पतंग क्यों नहीं उड़ाई जाती है और इसके पीछे की वजह क्या है?

यहां मकर संक्रांति पर नहीं उड़ती पतंग

मकर संक्रांति के दिन अधिकतर लोग पतंगबाजी का लुत्फ उठाते हैं. लेकिन राजस्थान के करौली (Karauli) शहर में बीते करीब 250 साल से मकर संक्रांति के दिन पतंगबाजी नहीं की जाती है. महाराजा गोपाल सिंह के काल से ही मकर संक्रांति की जगह यहां जन्माष्टमी और रक्षाबंधन के दिन पतंगबाजी करने की परंपरा है. करौली के लोग पिछले 250 साल से मकर संक्रांति की इस परंपरा को निभा रहे हैं.

लोग निभा रहे 250 साल पुरानी परंपरा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, करौली पहले एक रियासत थी और यहां के लोग आज भी 250 साल पहले की राजा के समय की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोग करौली में मदन मोहन के विग्रह को भी इसका कारण मानते हैं. करौली में मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य की परंपरा है, लेकिन पतंग नहीं उड़ाई जाती है.

करौली में ऐसे मनाई जाती है मकर संक्रांति

जान लें कि मकर संक्रांति के दिन करौली में लोग दान-पुण्य करते हैं. करौली में मकर संक्रांति पर जगह-जगह भंडारे भी लगाए जाते हैं. लोग गरीबों में गर्म कपड़े, गुड़ और अन्य खाने-पीने का सामान बांटते हैं.

गरीबों को दान की जाती हैं ये चीजें

करौली के लोकल लोगों का भी कहना है कि मकर संक्रांति पर यहां पतंग उड़ाने की परंपरा नहीं है. मकर संक्रांति पर यहां गरीबों को दान देने की परंपरा है. गरीबों को यहां पुआ, पूड़ी, मंगोड़ा और गर्म कपड़े आदि दान में दिए जाते हैं. हर साल मकर संक्रांति पर यहां भंडारे का आयोजन भी होता है.

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