देश / अब सरकारी बाबू बनेंगे 'कर्मयोगी', जानिए मोदी सरकार के इस नए मिशन की खास बातें

Zee News : Sep 03, 2020, 07:49 AM
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम मिशन कर्मयोगी (Mission Karmayogi) को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर (Prakash Javadekar) ने कहा कि अधिकारियों और कर्मचारियों को मिशन कर्मयोगी के साथ अपने प्रदर्शन को सुधारने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही क्षमता निर्माण आयोग की स्थापना करना भी प्रस्तावित है। 

जावड़ेकर ने कहा कि मिशन कर्मयोगी का लक्ष्य भविष्य के लिए भारतीय सिविल सेवक को अधिक रचनात्मक, कल्पनाशील, सक्रिय, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-सक्षम बनाकर तैयार करना है। 

केंद्रीय राज्य मंत्री (पीएमओ) डॉ। जितेंद्र सिंह ने कहा कि मिशन कर्मयोगी, राष्ट्र की सेवा के लिए एक आदर्श कर्मयोगी में एक सरकारी कर्मचारी को पुनर्जन्म देने का प्रयास है। यह क्षमता निर्माण और प्रतिभा को निखारने में एक तंत्र प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम सभी विभागों और सेवाओं के लिए वार्षिक क्षमता निर्माण योजनाओं की निगरानी करेगा। डिजिटल लर्निंग फ्रेमवर्क (आईजीओटी-कर्मयोगी) 2।5 करोड़ सिविल सेवकों को लाभ प्रदान करेगा।

कार्मिक और प्रशिक्षण सचिव और कार्मिक विभाग के सचिव सी चंद्रमौली ने कहा ने कहा कि मिशन कर्मयोगी का गठन न्यू इंडिया की दृष्टि से जुड़कर, सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के साथ भविष्य के लिए तैयार सिविल सेवा का निर्माण करने के लिए किया गया है। यह सक्षम नेतृत्व क्षमता निर्माण पर आधारित है।

उन्होंने कहा कि मिशन कर्मयोगी सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए एक नई राष्ट्रीय वास्तुकला को देखता है। यह न केवल व्यक्तिगत क्षमता निर्माण बल्कि संस्थागत क्षमता निर्माण और प्रक्रिया पर भी केंद्रित है। वर्तमान में विभिन्न मंत्रालयों में विभिन्न प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा प्रशिक्षण प्राथमिकताओं में विसंगतियां हैं। इसने भारत की विकासात्मक आकांक्षाओं की साझा समझ को रोका है। उन्होंने कहा कि एक सिविल सेवक को समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए कल्पनाशील, सक्रिय, सक्षम, विनम्र, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, पारदर्शी और तकनीकी-सक्षम होना चाहिए।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में निम्नलिखित संस्थागत ढांचे के साथ सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू करने की मंजूरी दी है। 

1- प्रधानमंत्री के सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद

2- क्षमता निर्माण आयोग

3- डिजिटल संपत्तियों के स्वामित्व और संचालन के लिए विशेष प्रयोजन वाहन और ऑनलाइन प्रशिक्षण के लिए तकनीकी मंच

4- कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समन्वय इकाई


क्या हैं मुख्य विशेषताएं

- एक एचआर काउंसिल का गठन किया जाएगा। जिसका कार्य मिशन के तहत नियुक्ति पर निर्णय लेना होगा। 

- एनपीसीएससीबी को सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण की नींव रखने के लिए तैयार किया गया है। 

- 'नियमों पर आधारित' होने से लेकर 'भूमिका आधारित' मानव संसाधन प्रबंधन का समर्थन करना।

- पद की आवश्यकता और दक्षता का मिलान करके सिविल सेवकों के कार्य का आवंटन।

- नीतिगत सुधारों के लिए क्षेत्रों की पहचान करना।

- सहकारी और सह-साझाकरण के आधार पर क्षमता निर्माण।

- लगभग 46 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए, वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक 510।86 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी।

- एनपीसीएससीबी के लिए पूर्ण स्वामित्व वाली नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी होगी। जोकि आईजीओटी-कर्मयोगी का स्वामित्व और प्रबंधन का कार्य देखेगी।


आयोग की भूमिका

- योजनाओं को मंजूरी देने में पीएम सार्वजनिक मानव संसाधन परिषद की सहायता करना।

- सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों पर कार्यात्मक पर्यवेक्षण का उपयोग करना।

- आंतरिक और बाहरी संकाय और संसाधन केंद्रों सहित साझा शिक्षण संसाधन बनाने के लिए।

- हितधारक विभागों के साथ क्षमता निर्माण योजनाओं के कार्यान्वयन का समन्वय और पर्यवेक्षण करना।

- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, शिक्षाशास्त्र और पद्धति के मानकीकरण पर सिफारिशें करना।

- सभी सिविल सेवाओं में सामान्य मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए मानदंड निर्धारित करना।

- सरकार को मानव संसाधन प्रबंधन और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में आवश्यक नीतिगत हस्तक्षेप का सुझाव देना।


जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए खास बातें

बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में जम्मू-कश्मीर राजभाषा विधेयक 2020, को पेश करने की मंजूरी दे दी है। इसमें पांच भाषाएं होंगी। जिनमें क्रमशः उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री (पीएमओ) डॉ। जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक मांग को देखते हुए डोगरी, हिंदी और कश्मीरी भाषा को आधिकारिक भाषा के तौर पर शामिल किया गया है।


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