अक्टूबर के महीने में भारत के व्यापार आंकड़ों ने एक विरोधाभासी तस्वीर पेश की है। जहां एक ओर देश का कुल निर्यात लगातार दूसरे महीने कम हुआ है, वहीं दूसरी ओर चीन को होने वाले निर्यात में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। यह बढ़ोतरी 40 फीसदी से भी अधिक की है, जिसे एक रिकॉर्ड श्रेणी में रखा जा सकता है। यह ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका को भारत। के निर्यात में लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज की गई है।
कुल निर्यात में गिरावट के बीच चीन को बंपर एक्सपोर्ट
वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अक्टूबर के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, भारत का समग्र निर्यात भले ही धीमा रहा हो, लेकिन चीन के साथ व्यापार में एक असाधारण प्रवृत्ति सामने आई है। सरकारी रिपोर्टों से पता चलता है कि भारत का चीन को निर्यात 42. 35 प्रतिशत बढ़कर 1. 62 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है और यह वृद्धि दर इतनी महत्वपूर्ण है कि इसे एक रिकॉर्ड के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि भारत के चीन को निर्यात में इतनी तेज वृद्धि शायद ही कभी देखी जाती है। यह आंकड़ा अप्रैल-अक्टूबर 2025-26 की अवधि के लिए भी प्रभावशाली है, जब चीन को निर्यात 24. 77 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10. 03 अरब डॉलर तक पहुंच गया और यह दर्शाता है कि चीन के साथ व्यापार संबंध एक नए आयाम पर पहुंच रहे हैं, खासकर निर्यात के मोर्चे पर।
अमेरिका के साथ व्यापार संबंध और चुनौतियाँ
इसके विपरीत, भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक, अमेरिका के साथ व्यापार में चुनौतियाँ बनी हुई हैं और अक्टूबर में अमेरिका को भारत का वस्तु निर्यात लगातार दूसरे महीने घटा है, जिसमें 8. 58 प्रतिशत की गिरावट के साथ यह 6 और 3 अरब डॉलर रहा। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिका द्वारा 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर लगाया गया 50 प्रतिशत का भारी शुल्क बताया जा रहा है। इस शुल्क के कारण भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई हो रही है और हालांकि, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर अवधि के दौरान, अमेरिका को देश का निर्यात अभी भी 10. 15 फीसदी बढ़कर 52. 11 अरब डॉलर रहा है, जो पिछले महीनों की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है। इसी अवधि में अमेरिका से आयात 9. 73 प्रतिशत बढ़कर 30 अरब डॉलर रहा। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने इस बात पर जोर दिया है कि उच्च शुल्क के बावजूद भारत अपनी स्थिति बनाए रखने में सक्षम रहा है। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, और भारतीय टीम व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका में है, जो भविष्य में इन चुनौतियों को कम करने की उम्मीद जगाती है।
चीन से आयात में वृद्धि और त्योहारी मांग
जहां भारत का चीन को निर्यात बढ़ा है, वहीं चीन से आयात में भी वृद्धि दर्ज की गई है। अक्टूबर में पड़ोसी देश से आयात 15. 63 फीसदी बढ़कर 11. 1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों (अप्रैल-अक्टूबर) के दौरान, चीन से कुल आयात 11. 88 फीसदी बढ़कर 74 अरब डॉलर रहा। यह वृद्धि आंशिक रूप से अक्टूबर के त्योहारी महीने के कारण हो सकती है, जिसमें दिवाली जैसे बड़े त्योहार शामिल थे। इन त्योहारों के दौरान भारतीय बाजारों में चीनी उत्पादों की मांग बढ़ जाती है और हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निर्यात में वृद्धि आयात में वृद्धि की तुलना में अधिक प्रभावशाली रही है, जो व्यापार संतुलन के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
अन्य देशों के साथ व्यापार प्रदर्शन
अक्टूबर के महीने में भारत के निर्यात प्रदर्शन में अन्य देशों के साथ भी मिश्रित रुझान देखने को मिले हैं। संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, ब्रिटेन, जर्मनी, बांग्लादेश, सिंगापुर, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, इटली, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे कई प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को भारत के निर्यात में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। यह दर्शाता है कि वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और व्यापारिक चुनौतियों का असर कई बाजारों पर पड़ा है। हालांकि, हांगकांग और स्पेन को निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखी गई, जो इन बाजारों में भारतीय उत्पादों की मांग में लचीलापन दिखाता है। आयात के मोर्चे पर, अक्टूबर में रूस, सऊदी अरब, इराक, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और ताइवान से आयात में गिरावट आई, जबकि संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर, जापान, मलेशिया, ब्रिटेन और थाईलैंड से आयात में वृद्धि हुई और ये आंकड़े वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और क्षेत्रीय व्यापारिक गतिशीलता में बदलाव को दर्शाते हैं।